किस्सा-ए-दालमंडी: अदालत ने भी माना “झूठा बलात्कार का आरोप लगाया गया था संजय सहगल उर्फ़ बब्बन पर” वादिनी का ऍफ़आर पर प्रोटेस्ट किया अदालत ने ख़ारिज
शाहीन बनारसी
वाराणसी: वाराणसी के दालमंडी इलाके में बहुचर्चित रहे मामला जिसमे संजय सहगल उर्फ़ बब्बन पर बलात्कार का आरोप लगा था और दशाश्वमेघ पुलिस ने अपनी विवेचना में मामले को झूठा पाया था और आपसी विवाद में संजय सहगल पर झूठा बलात्कार का आरोप लगाने की बात पुष्ट किया था को आज अदालत ने भी मान लिया कि पुलिस की विवेचना पूरी तरह सही थी और मामला झूठा था।
बताते चले कि वाराणसी दशाश्वमेघ थाने पर झारखंड की मूल निवासिनी और चंदौली जनपद के पडाव पर किराये के मकान में रहने वाली वादिनी ने तहरीर देकर वर्ष 2019 में आरोप लगाया था कि वह झोला बनाने का काम करती है और उसके कारखाने के मालिक संजय सहगल उर्फ़ बब्बन ने उसके साथ अपने घर के नीचे स्थित कमरे में बलात्कार की घटना को अंजाम दिया था। मामले में पुलिस ने तहरीर पर जाँच किया तो पहली ही विवेचना में मामला पुलिस को झूठा नज़र आ गया था। जिसके बाद कार्यवाही न होते देख वादिनी के द्वारा अदालत की शरण लिया गया और अदालत के आदेश पर मामला दर्ज कर दशाश्वमेघ थाना विवेचना करने लगा।
देखते ही देखते मामला बड़ा ही हाईटेक होता दिखाई देने लगा। इस मामले के दर्ज होने के बाद कयास काफी इलाके में लगने लगे थे। पूरी दालमंडी की निगाहें इस मामले में टिकी हुई थी। दूसरी तरफ आरोपी संजय सहगल उर्फ़ बब्बन ने हाई कोर्ट से अपनी गिरफ़्तारी पर स्टे लेने की कोशिश किया मगर हाई कोर्ट ने अरेस्ट स्टे नही दिया। जिसके बाद संजय सहगल पर गिरफ़्तारी की तलवार लटकी हुई थी। मामले में तब यु-टर्न आया जब पुलिस ने विभिन्न साक्ष्यो के आधार पर मामले को झूठा पाया और विवेचना में निकल कर सामने आया कि जिस समय वादिनी ने घटना होने का आरोप लगाया था उस समय वादिनी का मोबाइल चंदौली में अपनी लोकेशन बता रहा था, वही आरोपी संजय सहगल का मोबाइल लोकेशन भी उसके घर का न दिखा कर कही और का दिखा रहा था।
यहाँ से शुरू हुई इस विवेचना के युटर्न की कहानी में एक से बढकर एक मोड़ आये और आखिर मामला पुलिस ने पूरा झूठा पाया तथा विभिन्न साक्ष्यो के आधार पर मामले में ऍफ़आर लगा दिया। ऍफ़आर जब अदालत में दाखिल हुई तो वादिनी मुकदमा के द्वारा इस ऍफ़आर पर प्रोटेस्ट दाखिल कर मामले में पुनः विवेचना की मांग की गई। जिसके बाद इस मुकदमा संख्या 2232/2021 में न्यायिक मजिस्ट्रेट कक्ष संख्या 2 में सुनवाई शुरू हुई। सुनवाई में एक तरफ जहा सरकारी अधिवक्ता के द्वारा ऍफ़आर का पूरा समर्थन करते हुवे दलील पेश किया। वही दूसरी तरफ वादिनी के अधिवक्ता द्वारा पुलिस जाँच पर सवाल उठाये गए।
अदालत ने दोनों पक्षों को सुनते हुवे आज अपना फैसला सुनाया और वादिनी मुकदमा का प्रोटेस्ट ख़ारिज करते हुवे ऍफ़आर को मंज़ूर कर लिया तथा फाइल को दाखिल दफ्तर करने का आदेश दिया है। अदालत ने अपने आदेश में आज कहा है कि “यह परिलक्षित हुआ है कि विवेचक द्वारा एक एक पहलू की विवेचना किया गया। जिस जिस बिंदु पर विवेचना में कुछ कमी थी वह क्षेत्राधिकारी के द्वारा निर्देशित किये जाने पर उसको भी पूरी किया गया।” घटना के समय कथित अभियुक्त संजय सहगल और वादिनी के मोबाइल लोकेशन घटना की जगह पर नही मिलने की बात को भी अदालत ने अपने फैसले में साफ़ करते हुवे कहा कि “वादिनी द्वारा कहा गया कि उसका मोबाइल उसके पति के पास रहता है। जबकि विवेचक द्वारा विवेचना में यह तथ्य सामने आया कि वादिनी मुकदमा और उसका पति एक दुसरे के साथ नही रहते है और उसका पति दूसरा विवाह करके झारखण्ड में रहता है।” इस पर्चे में पुलिस ने वादिनी के पति का बयान लिखा था जिसकी पुष्टि वादिनी के 164 के बयान में भी थी कि उसका उसके पति से विवाद चलता है।
अदालत ने अपने फैसले में पुलिस के इस तथ्य को माना कि बादशाह अली कथित अभियुक्त संजय सहगल उर्फ़ बब्बन के बीच विवाद चल रहा है, जिसमे बादशाह अली ने मोहरे के तौर पर वादिनी का इस्तेमाल करके झूठा आरोप संजय सहगल पर बलात्कार का लगाया था। आज आये अदालत के फैसले पर संजय सहगल उर्फ़ बब्बन ने हमसे बात करते हुवे कहा कि “सत्यमेव जयते…..!” उन्होंने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है पराजित नही और आज यह साबित भी हुआ है। वही दूसरी तरफ वादिनी के अधिवक्ता अजय जेठा से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो शायद अदालती कार्य में व्यस्तता के कारण उनसे फ़ोन पर बात नही हो पाई। वही चर्चाओं के अनुसार वादिनी द्वारा इस आदेश के खिलाफ उपरी अदालत में अपील दाखिल करने की तैयारी किया जा रहा है।