हाल-ए-नगर निगम वाराणसी: साहब…….!, ई किसी ग्रामीण इलाके अथवा जंगल की नही बल्कि पितरकुंडा की तस्वीर है, यहाँ के बहते सीवर में कही डूब न जाए इलाका

शाहीन बनारसी

वाराणसी: वाराणसी को क्योटो के तर्ज पर तरक्की करवाने का दावा करने वाला नगर निगम वाराणसी के दावो की पोल अक्सर खुला करती है। मगर नगर निगम है कि अपनी कार्यशैली बदलने को तैयार ही नही है। जहा देखो वहा सीवर की समस्या मुह बाए खडी हुई है। मगर नगर निगम का जलकल विभाग है कि खुद की पीठ खुद थपथपाने में मशगुल है।

तस्वीरे जो आप देख रहे है वह किसी ग्रामीण इलाके की अथवा किसी जंगल की नही है। बल्कि शहर बनारस के मध्य में स्थित पितरकुंडा की है।गलियों में बहते सीवर से परेशान ये इलाका महीनो से अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। मगर विभाग है कि सुनने और देखने को तैयार ही नही है। तस्वीरे गवाह है कि शहर के मध्य में स्थित ये इलाका किस तरीके से गन्दगी से परेशान है। मगर विभाग है कि इसकी सुध लेने को ही नही तैयार है।

जो तस्वीरे आप देख रहे है वह भवन संख्या डी0 17/65 और उसके आसपास की है। ये इलाका दो सभासदों के क्षेत्र का बॉर्डर इलाका है। काफी लम्बी दुरी तक इस सीवर लाइन के जाने से ख़ास तौर पर इलाके के दो छोर पर समस्या बता कर एक पार्षद दुसरे तो पार्षद पहले को समस्या का मूल बता कर मामले को टालते रहते है। मगर समस्या का समुचित निदान करने के तरफ कोई भी पार्षद देखता नही है।

वही विभाग की स्थिति ये है कि इलाके के निवासियों का कहना है कि बार बार शिकायत करने के बाद भी मामले में कोई समस्या का निस्तारण नही होता है। दिन प्रतिदिन समस्या और भी गंभीर होती जा रही है। नगर निगम के स्थानीय कर्मियों से जब भी इस मामले में शिकायत किया जाता है वह आज और कल कहकर टाल देते है। पार्षद से कहे तो एक दुसरे पर बात को टाल देते है। समस्या का समाधान कब होगा किसी के पास इसका उत्तर नही है।

वही स्थिति दिन प्रतिदिन बिगडती जा रही है। मगर विभाग है कि निस्तारण कब करेगा किसी को नही पता है। पार्षदों से बात करने का कोई मतलब तो बनता ही नही है। क्योकि इसके पूर्व भी दोनों पार्षद से बात हुई मगर दोनों का कहना था कि समस्या का मूल दुसरे के क्षेत्र में है। अब देखना होगा कि समस्या का निस्तारण विभाग कब करता है।

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