वाराणसी: कोतवाली के जतनबर स्थित भवन संख्या के0 43/52 मन्दिर प्रकरण: मुख़्तार अंसारी का नाम बीच में लाकर सनसनी फैलाना मकसद है क्या ? जाने कई बड़े अनसुलझे सवाल
तारिक़ आज़मी
वाराणसी: वाराणसी कोतवाली के जतनबर स्थित भवन संख्या के0 43/52 पर मंदिर को लेकर विगत दो दिनों से एक पत्रकार वार्ता के बाद से हल्ला गुल्ला शुरू हो गया है। मामले में अगर सरसरी तौर पर देखे तो कुछ तथा कथित पत्रकारों द्वारा मुख़्तार अंसारी के नाम की इंट्री भी बड़ी सोची समझी प्लानिंग के तहत महज़ सनसनी फैलाने के उद्देश्य से किया गया है।
मामले में एक पूर्व पार्षद और वर्त्तमान पार्षद पति मुमताज़ खान का नाम भी जमकर उछाला गया। जबकि मुमताज़ खान का कहना है कि उनका इस मामले में कोई लेना देना ही नही है। इस बात की पुष्टि वह कागजात भी कर रहे है जो इस साईट के पूर्व बिल्डर के द्वारा पत्रकारों को उपलब्ध कराया गया। कई अनसुलझे सवालो के बीच केवल प्रकरण सनसनी फैली हुई है। अनसुलझे सवालो को देखे तो कई बड़े है जिसका जवाब नही हासिल हो रहा है।
आज आरोप है कि मंदिर ज़मीदोज़ हुई है। हकीकत भी यही है कि मौके पर जो एक प्राचीन मन्दिर लगभग 200 वर्ष पुरानी थी अब नही है। मगर मंदिर ज़मीदोज़ किसने किया इसका जवाब भी होना चाहिए। आज जिनको सेवईत कह कर यह आरोप है कि उनको अधिकार ही नही है कि ट्रस्ट की सपत्ति पर वह ऐसा अनुबंध कर सके, ये वही सेवईत है जो आरोप लगाने वाले 27-09-2021 को अनुबंध करते है और काम चालु करवाते है। काम चला भी। हारे पास कुछ ऐसी भी तस्वीरे है जो इस बात को साबित करती है कि भवन में मंदिर जो था प्राचीन था। कुछ दस्तावेज़ भी है वह भी इस बात को साबित करते है कि मंदिर प्राचीन थी। दिसबर के शुरू तक तो मंदिर मौके पर था। मगर जनवरी में वहा मंदिर नही था। अब सवाल ये उठता है कि मंदिर ज़मीदोज़ किसने किया।
सवाल काफी गम्भीर इस कारण है कि जब मामले में मुख़्तार अंसारी की इंट्री हो जाए तो इसको भी साफ़ होना चाहिए कि मंदिर ज़मीदोज़ किसने किया? क्योकि दूसरा अनुबंध देखने से इस बात की पुष्टि होती है कि उस अनुबंध के लिए स्टाम्प 28 अप्रैल को लिया गया था और अनुबंध इसके बाद मई के प्रथम सप्ताह में हुआ था। जब दूसरा अनुबंध मई के प्रथम सप्ताह में हुआ और कथित रूप से मुख़्तार अंसारी के लोगो द्वारा किया गया तो फिर मंदिर किसने ज़मीदोज़ किया। क्या सेवइत के द्वारा मंदिर हटाया गया। या फिर किसी और के द्वारा ये तो एक जाँच का विषय है। बात तो महज़ इतनी है कि कभी कभी लगता है मुख़्तार अंसारी का नाम एक ऐसा सरकारी खम्भा हो चूका है जिस पर लाकर कोई भी अपनी बकरी बाँध कर जा सकता है। बहरहाल, बकरी बंधी या फिर सच में मुख़्तार अंसारी का नाम इस मामले में शामिल है ये तो जाँच का विषय है जिसकी जाँच खुद डीसीपी काशी के द्वारा सम्पादित किया जा रहा है।
क्या बोले मुमताज़ खान
मुमताज़ खान समाजवादी पार्टी नेता के तौर पर अपनी पहचान रखते है। सलेमपुरा वार्ड से पार्षद भी रह चुके है और वर्त्तमान में उनकी पत्नी शाजिया खान इस वार्ड की पार्षद है। यह वार्ड मेरे घर का क्षेत्र है तो थोडा मेरी जानकारी अधिक है। अक्सर मैंने इस वार्ड के खिलाफ समाचार लिखा है। वैसे सियासत से दूर रहने के कारण मैं अपना चुनाव निशान अक्सर “नोटा” ही मानता हु तो इसी कारण मुझसे किसी भी दल के नेता लोग अपना प्रचार नही करते है। मगर मामला गम्भीर होने के कारण इस सम्बन्ध में मैंने मुमताज़ खान से फोन पर सम्पर्क किया और उनसे उनकी प्रतिक्रिया मांगी।
उन्होंने हमसे फोन पर बात करते हुवे बताया कि किस अनुबंध की बात हो रही है मुझको एक कथित पत्रकार के खबर से पता चला। मैं ऐसे किसी अनुबंध के सम्बन्ध में जानता भी नही हु और न ही आरोप लगाने वाले को जानता हु। सियासत से ताल्लुक रखने के कारण काफी लोग मुझको जानते है और मैं काफी लोगो को जानता हु। अब कौन क्या आरोप लगा रहा है यह वह जाने। उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि एक व्यक्ति ने मुझसे संपर्क व्यक्तिगत लाभ हेतु किया। जिसको मैंने साफ़ साफ़ मना कर दिया। इसके बाद कौन क्या कहता है मेरे सम्बन्ध में और क्या नही कहता है इसको रोका नही जा सकता है। मामले में जाँच होनी चाहिए कि आखिर मंदिर किसने तोडा है। मैं जांच में पूरा सहयोग करने को तैयार हूँ। मगर कोई अगर ये सोचे कि जाँच के नाम पर मुझको डरा कर अपना हित साध लेगा तो ऐसा संभव नही है। मुझको कानून और प्रशासन पर पूरा भरोसा है।