दिल्ली के उप-राज्यपाल ने बिजली सब्सिडी योजना की जाँच का दिया आदेश, एक सप्ताह में मांगी रिपोर्ट
तारिक खान
डेस्क: दिल्ली के उप-राज्यपाल और आम आदमी पार्टी सरकार के बीच विवाद अब और भी गहरा होता जा रहा है। एक तरफ आम आदमी पार्टी कोई ऐसा मौका नही छोड़ रही है जिस पर वह उप राज्यपाल पर तन्ज़ न कसे। अब उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल सरकार की बिजली सब्सिडी योजना की जांच के आदेश दिए हैं। इससे पहले शराब और शिक्षा के मामले में भी उप राज्यपाल जांच बिठा चुके हैं।
बताते चले कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा दिल्लीवासियों को 200 यूनिट तक फ्री बिजली दी जा रही है। उपभोक्ताओं को वर्तमान में 200 यूनिट तक कोई बिल नहीं भरना होता है, जबकि प्रति माह 201 से 400 यूनिट बिजली की खपत पर 800 रुपये की सब्सिडी मिलती है। इससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को बड़ी राहत मिल रही है। साथ ही मध्यम वर्ग के लोगों को भी इसका लाभ मिल रहा है। 1 अक्टूबर 2022 से इस सब्सिडी योजना में सरकार ने बदलाव किया है। नए आदेश के मुताबिक अब सब्सिडी सिर्फ उन्हीं लोगों को दी जाएगी, जो इसकी मांग करेंगे। यानी अब दिल्ली में सस्ती बिजली वैकल्पिक हो गई है। यानी अगर कोई बिजली उपभोक्ता बिजली सब्सिडी चाहता है तो उसको अभी की तरह सब्सिडी वाली मुफ्त या रियायती दर वाली बिजली मिलेगी।
ताजा मामले में एलजी विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य सचिव को उन आरोपों की जांच करने को कहा है, जिनके मुताबिक बिजली वितरण कंपनियों को सब्सिडी राशि भगुतान में अनियमितता बरती गई है। उप राज्यपाल ने मुख्य सचिव से कहा है कि वह इस मामले की जांच करें कि जब 2018 में डीईआरसी अर्थात दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन ने दिल्ली सरकार से कहा था कि वह बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी उपभोक्ताओं के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर करने पर विचार कर सकती है, जैसा एलपीजी के मामले में की जा रही है। तो फिर इसको अब तक लागू क्यों नहीं किया गया है? प्रतिष्ठित वकीलों, जूरिस्ट और लॉ प्रोफेशनल ने आरोप लगाया है कि यह भ्रष्टाचार का सबसे पुख्ता मामला है।
उप राज्यपाल के मुताबिक उनके सचिवालय को इस मामले में बहुत बड़े घोटाले की शिकायत मिली है। आरोप के मुताबिक, आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता और डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन के उपाध्यक्ष जैस्मिन शाह, आम आदमी पार्टी के सांसद एनडी गुप्ता के बेटे नवीन गुप्ता इन दोनों को बीआरपीएल और बीवाईपीएल में डायरेक्टर बनाया गया और इन्होंने बड़ा घोटाला किया। यह डिस्कोम कंपनियां अनिल अंबानी ग्रुप की हैं, जिसमें दिल्ली सरकार 49% की हिस्सेदार है। आरोप है कि दिल्ली सरकार को 21,250 करोड रुपए डिफ़ॉल्ट वेंडर से वसूलने थे (पावर परचेस के लिए की गयी लेट पेमेंट के नाम पर) लेकिन सरकार ने एक डील के तहत 11,550 करोड़ रुपये का सेटलमेंट कर दिया (क्योंकि एक तरफ दिल्ली सरकार ने डिस्कॉम से पैसा लेना था तो वहीं सब्सिडी का पैसा डिस्कॉम को देना भी था)। वहीं इस लेटर में यह भी जिक्र किया गया है कि तीसरी कंपनी टाटा पावर है जिस पर कोई बकाया नहीं था यानी इसको क्लीन चिट दी है। डिस्कोम उपभोक्ता से देरी से पेमेंट होने पर 18 फ़ीसदी सरचार्ज वसूलती रही और सरकार को 12% देती रही जिससे बिजली वितरण कंपनियों को 8500 करोड़ रुपए विंडफॉल गेन हुआ जो कि सरकारी खजाने की कीमत पर हुआ।
आरोप है कि सरकार ने 2015-16 के अपने ही कैबिनेट फैसले का उल्लंघन किया जिसमें बीआरपीएल और बीवाईपीएल का हर साल ऑडिट करने की बात कही गई थी। आरोप ये भी है कि 11,500 करोड़ रुपये के सेटलमेंट का भी ऑडिट नहीं हुआ। उपभोक्ताओं को पावर सब्सिडी देने के मामले में DBT योजना रोकी गई जबकि 2018 में दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन के आर्डर के विपरीत है। ऐसा इसलिए किया गया ताकि लाभार्थियों की असल संख्या को छुपाया जा सके और डिस्कोम को पैसा देकर उनसे कमीशन लिया जा सके। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि पहले बिजली वितरण कंपनियों में दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारी डायरेक्टर हुआ करते थे लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार में पॉलिटिकल लोगों को डायरेक्टर बनाया गया।