वाराणसी – जैतपुरा थानाध्यक्ष ने अपनी जान जोखिम में डाल कर बचाया एक बड़ा हादसा.
जावेद अंसारी.
वाराणसी. पुलिस की कमियाँ हम सबको अक्सर नज़र आ जाती है मगर पुलिस वालो के अच्छे काम अक्सर समाज के सामने आने से महरूम रह जाते है और तेज़ रफ़्तार वक्त के धुंध में उनके व्यक्तिगत गुड वर्क कही खो से जाते है. आज की भी घटना कुछ इस प्रकार है कि अगर जैतपुरा थानाध्यक्ष संजीव कुमार मिश्रा ने अपने जान को जोखिम में नहीं डाला होता तो आज ईद की खुशिया एक बड़े हादसे का शिकार हो जाती.
घटना कुछ इस प्रकार हुई कि जैतपुरा थाना क्षेत्र के टाटा कंपनी के पास स्थित लंगड़ की मस्जिद में ईद की नमाज़ हो रही थी. भीड़ सड़क तक मौजूद थी. मौके पर थानाध्यक्ष संजीव कुमार मिश्रा मय दल बल सुरक्षा के दृष्टिकोण से उपस्थित थे. अभी नमाज़ खडी हुई थी और ईमान ने अल्लाह हो अकबर कहकर नमाज़ की नियत बांधी थी कि कही से चार सांड दौड़ते हुवे आये और आपस में लड़ पड़े, सभी सांड का रुख नमाजियों के तरफ था. थानाध्यक्ष ने तत्परता दिखाते हुवे किसी को निर्देशित करने में समय व्यर्थ न करते हुवे स्वयं लड़ रहे सांडो को डंडे और पानी के द्वारा हकाने का प्रयास किया जिससे तीन सांड तो सड़क पार कर दूसरी तरफ चले गए मगर एक मोटा और तगड़ा सांड सड़क से नमाजियों के तरफ दौड़ पड़ा, प्रत्यक्षदर्शीयो के अनुसार थानाध्यक्ष संजीव कुमार मिश्रा ने किसी दुर्घटना को होने से रोकने के उद्देश्य से खुद सांड के ठीक सामने आकर अपने दोनों हाथो से उसकी सींग पकड़ लिया और बल पूर्वक उसको दूसरी तरफ मोड़ कर वहा से भगाया. इसमें थानाध्यक्ष संजीव कुमार मिश्रा को भी मामूली छोट कलाई पर आई.
आप सोच सकते है कि क्या सीन रहा होगा उस समय जब एक पुलिस का थानेदार किसी घटना को रोकने के लिए खुद की जान जोखिम में डाल बैठा, कुछ ही देर में नमाज़ ख़त्म हो गई और घटना के चश्मदीदो ने नमाज़ के बाद थानाध्यक्ष को गले मिलकर न सिर्फ बधाई दिया बल्कि उनका शुक्रिया अदा किया. क्षेत्रिय समाज सेवक जमाल अहमद ने कहाकि थानाध्यक्ष की यह बहादुरी कई जान को बचा गई है. हम आभारी है अपने थानाध्यक्ष के. घटना के सम्बन्ध में क्षेत्र में आम नागरिक थानाध्यक्ष की प्रशंसा करते देखे गए.
अगर हो जाता या हादसा तो क्या होता शहर का माहोल :-
अगर खुदा न खास्ता यह हादसा हो गया होता तो नमाज़ की नियत बांध कर खड़े कितने ही नमाज़ी घायल हुवे होते, ईद की शहर कि खुशिया गमो में बदल सकती थी तथा कुछ लोग इस पर भी अपनी राजनैतिक रोटिया सकते हुवे इसको साम्प्रदायिक रूप देने का प्रयास करते. शहर का खुशनुमा माहोल बिगड़ सकता था. हम ऐसे जाबांज पुलिस अधिकारी को दिल से नमन करते है.
Shukriya bahut bahut dil se