वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के जैतपुरा थाना प्रभारी साहब, मनहार पर चलता है दिनों रात जुआ, जनता शिकायत करते करते थक गई, आखिर कब करेगी पुलिस इसके ऊपर कार्यवाही
तारिक़ आज़मी
वाराणसी: वाराणसी पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश द्वारा लाख प्रयास किया जाये कि उनके अधीनस्थ ख़ास निगाह रखे और जुआ तथा नशे के कारोबार को होने न दे। मगर कई इलाके ऐसे है जो ऐसे अपराधो का गढ़ बन चुके है। ऐसा ही एक थाना क्षेत्र है जैतपुरा। हमारे द्वारा खबर का प्रकाशन हुआ कि यहाँ लबे सड़क ठेले पर गांजा ऐसे युवक बेचता है जैसे भाजी तरकारी बिक रही हो। इसके बाद अपने उच्चाधिकारियों की नज़र में मामला आने के बाद जैतपुरा पुलिस एक्शन मोड़ में आती है और गांजा बेचने वाले युवक को धर दबोचती है। उसके पास से आधा किलो से अधिक गांजा भी बरामद होता है।
इस बार हम आपको रूबरू करवा रहे है जैतपुरा क्षेत्र के एक बड़े जुआ अड्डे से। जैतपुरा थाना क्षेत्र के मनहार इलाके में स्थित मदरसा माताउल उलूम वाली रोड पर मदरसे के ठीक सामने लाइन से बनी दुकानों के छत पर जमकर दिन भर जुआ हुआ करता है। जब तक थाना का प्रभार शशि भूषण राय के हाथ में था तब तक इस जुआ पर लगाम लगी हुई थी और दोनों तरफ से भागने के रास्ते को ब्लाक करके कई बार उनके द्वारा कार्यवाही किया गया। जिसके बाद से जुआ का ये अड्डा चलवाने की हिम्मत जुगाड़ डॉट काम वालो को नही हो पाती थी। समय बदला और नए थाना प्रभारी आये। थाना प्रभारी के बदलने के बाद से यहाँ जुआ फिर से चालू हो गया।
वीडियो गवाह है कि कि अक्सर ही जुआ के दरमियान जमकर लात घुसे भी आपस में जुआडी कर लेते है। हर वक्त की यहाँ पंचायत रहती है। इलाके के लोग इससे त्रस्त आ चुके है। मगर इस जुआ के अड्डे को संचालित करने वाले के ऊपर कोई फर्क नही पड़ता है। इलाके के कुछ लोगो ने नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर बताया कि कई बार हमने इसकी शिकायत पुलिस से किया मगर पुलिस कोई कार्यवाही नही करती है उल्टे जुआरियो के आका को पता चल जाता है कि शिकायत की गई है और वह बिना नाम लिए गालियाँ भी देता है।
वीडियो में आप देख सकते है कि कैसे जमकर जुआड़ी अपने फड जमाए है। ये वीडियो इलाके के एक संभ्रांत नागरिक ने हमको अपने आवास से बना कर दिया है। सुबह से लेकर रात तक जमे इस फड पर रोजाना लाखो का वारा न्यारा हो जाता है। बताया जाता है कि सबसे न्यूनतम चाल यहाँ 500 की होती है। एक कभी कभी तो एक साथ कई फड यहाँ लग जाते है। तस्वीरो और वीडियो को आप देख सकते है कि कैसे आराम से ज़मींन पर पालथी मार के बेफिक्री के साथ जुआ हो रहा है।
इस तस्वीर में ये युवक इस असली सरगना है। इसी छत के नीचे इसकी पान की दूकान है। सब कुछ सेटिंग इसकी ही रहती है। सरगना है तो खर्च के तौर पर यहाँ “नाल” भी उतरती है। बताते चले कि हर दाव के पहले जमा होने वाला पैसा “नाल” कहताला है। इस “नाल” में और किसका किसका हिस्सा रहता है ये तो जानकारी हासिल नही हो पाई है। मगर जैसा सूत्र बताते है कि एक फड की नाल 200 होती है। दिन भर में 25-30 फड आराम से जमती है। जीते कोई भी और हारे कोई भी मगर “इसका 200 नाल का” पक्का हो जाता है। जुआ में जीत गए तो पास ही दारु का अड्डा है वहा जश्न मना सकते है अथवा हार गए तो पास ही देसी का ठेका भी है चल कर जाकर गम गलत कर सकते है। अब देखना होगा कि इस देसी तरीके के कैसिनो पर कैसे जैतपुरा थाना प्रभारी अंकुश लगाते है।