POP POP को लेकर बनी असमंजस की स्थिति, जाने POP POP कैसे बनता है, CFO साहब यदि इसका भण्डारण है प्रतिबंधित तो फिर कैसे ऑनलाइन शापिंग पर है उपलब्ध, जीएसटी बिल से बिकता है POP POP, देखे जीएसटी बिल
शाहीन बनारसी
वाराणसी: वाराणसी के चौक थाना क्षेत्र स्थित दालमंडी के कच्ची सराय में एडीसीपी (काशी) ने अपने खुद के नेतृत्व में एक पटाखा कारोबारी के यहाँ छापेमारी किया। इस छापेमारी में कुछ पटाखे बरामद हुवे और पॉप पॉप के कई कार्टून बरामद हुवे। इसको लेकर अजीब असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि क्या पॉप पॉप प्रतिबंधित है। वाराणसी जोन फायर सीऍफ़ओ अनिमेष सिंह POP POP को पटाखे की श्रेणी में रख कर मान रहे है। अब जब सीऍफ़ओ साहब इसको पटाखे की कैटेगरी देते है तो फिर कैसे कोई सवाल उठाये कि POP POP पटाखे की श्रेणी में नही आता है।
क्या है POP POP और कब हुआ इसका अविष्कार
दरअसल काफी तलाशने के बावजूद भी सरकारी किसी भी वेब साईट और दस्तावेज़ में POP POP के सम्बन्ध में कोई जानकारी हासिल नही हुई। दूसरी तरफ हमको एक आदेश मिनिस्ट्री आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री का प्राप्त हुआ जिसको हमने सीऍफ़ओ साहब को भी उपलब्ध करवाया।
एक आरटीआई के जवाब में मिनिस्ट्री आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री ने अपने पत्रांक संख्या – ई 1(1) मिस के द्वारा सुचना प्रदान किया था कि विस्फोटक अधिनियम 9 के उपनियम 5 के तहत 100 किलोग्राम तक भंडारण किया जा सकता है और उसके लिए लाइसेंस की आवश्यकता नही है। अब हम इस बहस का हिस्सा नही बनते है कि जिस भण्डारण की बात है वह चमकने वाला पदार्थ होगा न कि उसके साथ लगे छड दफ्ती और गत्ता नही होता है। ये बात साहब लोग समझे और पटाखा कारोबारी समझे जो लीगल कारोबार को भी इन्लिगल समझ कर दलालों के भेट चढ़ जाते है।
हम बात POP POP की करते है। इसका नाम ही इसके खिलौना होने को ज़ाहिर करता है। इसका आविष्कार वर्ष 1874 में क्रिसमस के खिलौने की जगह हुआ था। Pop Pop के सम्बन्ध में विज्ञान की सबसे बड़ी वेब साईट साइंस नोट बताती अहि कि इसमें कोई टीएनटी (ट्रिनिट्रोटोल्यूइन) नहीं होता है! इसमें मोटे रेत या बजरी (200 ग्राम) के साथ सिल्वर फुलमिनेट (0.08 से 0.20 मिलीग्राम) की एक छोटी मात्रा मिलाई जारी है। जिसे टिशू पेपर या सिगरेट पेपर में बाँध दिया जाता है। अब ये एक डिवाइस की शक्ल में हो जाती है जिसको फेंका जाता है तो यह एक तेज पॉपिंग ध्वनि उत्पन्न करता है। Silver Fulminate का वर्तमान व्यावसायिक उपयोग बच्चों के खिलौने के रूप में गैर-हानिकारक नवीनता नोइस मेकर का उत्पादन करने में होता है। Pop Pop भी उसी से बना होता है। साइंस नोट की माने तो POP POP एक खिलौना है और यह गैर हानिकारक है.
इस वीडियो में एक लाख pop एक साथ फोड़ा गया, यानी लगभग 5 कार्टून
क्या POP POP सुरक्षित है’
साइंस नोट की माने तो POP POP पूरी तरह सुरक्षित है और अगर एक साथ लाखो अथवा जितने भी फोड़े जाए कोई हानिकारक नही होंगे और आग नही लगेगी। इसकी तुलना क्रिसमस टॉय और क्रिसमस कैकर्स से भी किया जा सकता है। कई वीडियो सोशल साइट्स पर उपलब्ध है जिसमे एक लाख से अधिक pop pop को एक साथ फोड़ा गया है। एक लाख pop pop का मतलब होता है कम से कम 9 गत्ते यानी कार्टून pop pop एक साथ फोड़े जा रहे है लोग उसके ऊपर उछल रहे है। कूद रहे है। मगर किसी को कोई हानि नही हो रही है।
अब हम ऑनलाइन शापिंग साईट पर नज़र दौडाते है तो pop pop ऑनलाइन शापिंग की सभी साईट पर उपलब्ध दिखाई देता है। हमने 1 हजार डब्बा के आर्डर पर क्लिक करके उसको चेक करना चाह तो वह भी उपलब्ध है। 1 हज़ार डिब्बा का मतलब हुआ कि एक कार्टून में 24 डब्बा होता है। अब इस हिसाब से देखे तो इन ऑनलाइन साईट के आर्डर डिलेवरी लाने वाला डिलेवरी बॉय इसको ला ही नही सकता है अगर ये प्रतिबंधित है तो। दरअसल इतनी कम मात्रा का सिल्वर Fulminate होने के कारण इसके भंडारण में कोई खतरा नही होता है। इसी कारण इसको खिलौनों की श्रेणी में रखा जाता है।
आखिर सीऍफ़ओ के तरफ से कोई निश्चित निर्देश क्यों नही है
इस पुरे मामले में सीऍफ़ओ विस्फोटक अधिनियम की वह बात करते है जिसका वर्णन सरकारी वेबसाईट www.peso.gov.in पर उपलब्ध है. इसकी भी जानकारी हमने सीऍफ़ओ साहब को अपने सवालों के दरमियान उपलब्ध करवाया है। फिर आखिर pop pop को लेकर इतनी असमंजस की स्थिति क्यों है ? एक बार में स्थिति साफ़ होनी चाहिए और अगर सीऍफ़ओ साहब को लगता है कि pop pop इन सबके बावजूद भी प्रतिबंधित होने चाहिए तो बेशक ऑनलाइन शापिंग साइट्स पर भी प्रतिबन्ध लागू करवाए। अब देखना होगा कि pop pop को लेकर साहब कब तक अपनी स्थिति स्पष्ट करते है।
POP POP जीएसटी लिस्ट में खिलौना के तौर पर है शामिल, देखे जीएसटी बिल
जिस pop pop पर कल से सिर्फ विचार चल रहा है सीऍफ़ओ साहब को यह जानकारी में नही है कि वह pop pop जीएसटी लिस्ट में बतौर खिलौना शामिल है और खिलौने पर लगने वाला 18 फीसद जीएसटी सरकारी खाते में जमा होता है। यह जानकारी हमारे एक सुधि पाठक ने उपलब्ध करवाया। जीएसटी बिल एक pop pop बेचने वाले दुकानदार ने उपलब्ध करवाया। अब सवाल ये होता है कि कोई कारोबारी टैक्स दे, ईमानदारी से जीएसटी बिल के साथ माल मंगवाए उसके बाद भी उसके साथ ऐसा व्यवहार हो जैसे वह कोई दो नम्बर का कारोबार कर रहा है कहा तक उचित है ?
वैसे हम तो यही कहते है कि पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढेगा इंडिया। सभी सम्बन्धित श्रोतो की जानकारी उपलब्ध करवा दिया है। साइंस नोट की साईट से लेकर सरकारी साईट और जो लाल रंग से शब्द लिखा है उसको क्लिक करेगे तो वह साईट खुद खुल जायेगी। वैसे हम अपने पाठको से भी अपील करते है कि ऐसी साईट पर जाकर जानकारी हासिल करे। साइंस नोट जैसे साईट विज्ञान की कामयाबी बताती है।