पत्रकारिता की मिसाल: एक पत्रकार द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे एक व्हाट्सएप सन्देश ने खोल दिया राज़ कि जिस आदिवासी मासूम बच्ची की मौत को पुलिस ने कहा था आत्महत्या, दरअसल वो थी रेप के बाद हत्या

तारिक आज़मी

पत्रकारिता कोई पेशा नही बल्कि एक मिशन है। यह कोई दूकान नही जिसको चंद सिक्को के लालची खोल के बैठ जाये। बल्कि समाज के उत्थान हेतु समाज को सच का आइना दिखाने वाला एक मिशन है। बेशक लोकतंत्र के इस चौधे स्तम्भ को कुछ लोभियों के कारण ऐसे दौर से गुज़ारना पड़ रहा है जहा हमारी आलोचनाये ही है। 2 हज़ार की नोट में माईक्रो नैनो चिप लगाती पत्रकारिता ने समाज में काफी फजिहत पहले ही करवा रखा है।

मगर इस माईक्रो चिप का गुणगान करने वाली पत्रकारिता के बीच नेह की ईंटे आज भी लोकतंत्र के इस चौथे स्तम्भ की मजबूत है। आज भी काफी ऐसे पत्रकार है जो जी हुजूरी से दूर हटकर सिर्फ अपने काम पर ध्यान केन्द्रित करते है। वह किसी पुलिस अधिकारी के अच्छे कार्यो को भले ही वर्णित न करे, मगर उसके गलत कार्यो को जगजाहिर ज़रूर करते है ताकि समाज सुरक्षित रहे। समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा करना ऐसे पत्रकारों का पहला लक्ष्य होता है। इसकी एक जीती जागती मिसाल असम में देखने को मिली है जहा एक आदिवासी 13 साल की मासूम बच्ची की मौत को पुलिस जांच ने आत्महत्या करार दे दिया था। मगर स्थानीय एक जागरूक पत्रकार जो शायद अधिकारियो की जी हुजूरी नही करता था के मुख्यमंत्री को भेजे एक व्हाट्सएप सन्देश से इस आत्महत्या की जाँच दुबारा हुई और निकल कर सामने आया कि आदिवासी बच्ची का रेप करके उसकी जघन्य हत्या कर दिया गया था।

घटना कुछ इस प्रकार थी कि इसी साल जून में 13 साल की बच्ची का शव धुला स्थित कृष्ण कमल बरुआ के घर में मिला था। स्थानीय पुलिस और आरोपी ने दावा किया था कि लड़की ने आत्महत्या कर ली थी और उसके शव को पोस्टमार्टम के बाद दफना दिया गया था। जबकि परिजनों का दावा है कि बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई। यह मामला दो महीने बाद फिर से सामने आया, जब एक स्थानीय पत्रकार ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के साथ व्हाट्सएप पर जानकारी शेयर की।

दरअसल मृतक बच्ची डारंग जिले में घरेलू सहायिका के रूप में काम करती थी। उसकी मौत को जाँच अधिकारी ने सुसाइड करार देते हुवे फाइल दाखिल दफ्तर कर दिया। मगर एक स्थानीय पत्रकार ने तथ्यों सहित एक व्हाट्सएप सन्देश मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा को भेजा। सन्देश मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने मामले में सीआईडी जाँच करवाने का हुक्म दे डाला। जिसके बाद जाँच शुरू हुई तो यह घटना आत्महत्या नही बल्कि रेप के बाद जघन्य हत्या की निकली। अब इस मामले की सीआईडी द्वारा जांच की जा रही है कि क्या कथित तौर पर रिश्वत लेने के बाद अधिकारियों ने रेप और हत्या के इस मामले को आत्महत्या में बदलने की कोशिश की थी।

सीआईडी ​​ने गहन जांच की, जिसमें शव को बाहर निकालना, दोबारा पोस्टमार्टम, कपड़ों का फोरेंसिक टेस्ट और अन्य कई टेस्ट शामिल हैं। सीआईडी यह पता लगाने की कोशिश में है कि क्या यह मामला रेप की कोशिश और फिर हत्या का है। सीआईडी ​​अधिकारियों ने बताया कि 13 वर्षीय बच्ची ने आरोपी को धमकी दी थी कि वह अपने माता-पिता और आरोपी की पत्नी को बताएगी कि उसका यौन शोषण किया गया। इसके बाद आरोपी ने उसके सिर और गर्दन पर चोट पहुंचाई और गला घोंट कर मार डाला। बाद में इसे सुसाइड दिखाने के लिए उसके शव को लटका दिया।

असम सीआईडी ​​ने मुख्य आरोपी एसएसबी जवान कृष्ण कमल बरुआ के खिलाफ बलात्कार के प्रयास और हत्या के मामले में चार्जशीट दाखिल की है। बच्ची इस जवान के घर में सहायिका के रूप में काम करती थी। सीआईडी ने पब्लिक सर्वेंट द्वारा भ्रष्टाचार का एक अलग मामला भी दर्ज किया है। इसके अलावा निलंबित पुलिस अधीक्षक और धूला पुलिस स्टेशन के प्रभारी को गिरफ्तार कर लिया। पोस्टमॉर्टम करने वाले और बलात्कार से इनकार करने वाली कथित रूप से झूठी रिपोर्ट देने वाले तीन डॉक्टरों और कथित रूप से झूठी रिपोर्ट देने वाले एक मजिस्ट्रेट को भी निलंबित कर दिया गया। असम पुलिस की ओर से जारी एक बयान में बताया गया कि जब मामला दर्ज किया गया था तब दरांग जिले के एसपी राज मोहन रे थे। बैंक खातों और अन्य रिकॉर्ड्स जांचने के बाद यह पता चला कि एसपी को आरोपी के परिवार से 2 लाख रुपए मिले थे। यह कथित रिश्वत धुला पुलिस स्टेशन के प्रभारी के जरिए दी गई थी। बताया गया कि ये पैसे ‘मामले को कमजोर बनाने के लिए दिए गए थे’। इसको लेकर भी मामला दर्ज कर लिया गया है।

असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ‘उस क्षेत्र के एक स्थानीय पत्रकार ने मुझे इस मामले और परिवार के आरोपों पर व्हाट्सएप पर एक मैसेज भेजा। मैंने अपने कार्यालय से डारंग के एसपी से मामले की स्टेट्स रिपोर्ट मांगने के लिए कहा। रिपोर्ट मिलने के बाद मुझे शक हुआ कि इस मामले में कुछ गड़बड़ है। क्योंकि मेरे पूछे जाने के बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया। इसलिए मैंने डीजीपी को निर्देश दिया कि हमें मामले की फिर से जांच कराने की जरूरत है और मामला सीआईडी ​​​​को सौंप दिया गया।’

असम के डीजीपी भास्कर ज्योति महंत के साथ मुख्यमंत्री पीड़िता के घर पहुंचे और नए सिरे से जांच का आश्वासन दिय। इसके बाद एसपी, एडिशनल एसपी और धूला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को पहले निलंबित किया गया और अब सीआईडी ​​​​द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। एडीजीपी (असम सीआईडी) ए वाई वी कृष्णा ने बताया, “हमने एक आईजीपी के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया और छह सप्ताह के भीतर हमने दोबारा पोस्टमार्टम किया। सभी फोरेंसिक सबूतों को जांचने के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों का एक बोर्ड बनाया है। उसी वजन और ऊंचाई के डमी के साथ क्राइम सीन को रिक्रिएट किया गया। हमने वैज्ञानिक रूप से साबित कर दिया कि वह उस ऊंचाई पर खुद को लटकाने में सक्षम नहीं थी। फिर हमने टावर लोकेशन, कॉल रिकॉर्ड्स और जियो-टैगिंग एनालिटिक्स का इस्तेमाल करके यह पता लगाया कि कौन किससे मिला और कहां और किसे रिश्वत दी गई। अब हमने रेप और हत्या और केस को दबाने के मामले में सभी प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। हमने 1000 से ज्यादा पेज की चार्जशीट दाखिल की है।”

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *