मोराबी पुल हादसा: गुजरात हाई कोर्ट ने जमकर लगाया फटकार, कहा होशियार मत बनिये सवाल का जवाब दीजिये सार्वजनिक पुल के मरम्मत कार्य का टेंडर क्यों नहीं निकाला? बोलियां क्यों नहीं आमंत्रित की गईं?
यश कुमार
सूरत: गुजरात हाईकोर्ट ने आज मोराबी पुल हादसे पर सुनवाई करते हुवे जमकर फटकार लगाया है। बताते चले कि विगत 30 अक्टूबर को गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर स्थित ब्रिटिश शासन काल के पुल टूटने की घटना में 130 से अधिक लोगो की जान चली गई थी। पुलिस ने मोरबी पुल का प्रबंधन करने वाले ओरेवा समूह के चार लोगों सहित नौ लोगों को 31 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था।
पुल के रखरखाव तथा संचालन का काम करने वाली कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिसके बाद उच्च न्यायालय ने सात नवंबर को कहा था कि उसने पुल गिरने की घटना पर एक समाचार रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है और इसे एक जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘प्रतिवादी एक और दो (मुख्य सचिव और गृह सचिव) अगले सोमवार तक एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेंगे। राज्य मानवाधिकार आयोग इस संबंध में सुनवाई की अगली तारीख तक रिपोर्ट दाखिल करेगा।”
आज हुई सुनावी में गुजरात उच्च न्यायालय ने पुल के मरम्मत का ठेका देने के तरीके की आलोचना किया है। प्रधान न्यायाधीश अरविंद कुमार ने सुनवाई के दौरान राज्य के शीर्ष नौकरशाह और मुख्य सचिव से कहा कि सार्वजनिक पुल के मरम्मत कार्य का टेंडर क्यों नहीं निकाला गया? बोलियां क्यों नहीं आमंत्रित की गईं?” अदालत ने आगे कहा, इतने महत्वपूर्ण कार्य के लिए एक समझौता मात्र डेढ़ पेज में कैसे पूरा हो गया?” क्या बिना किसी टेंडर के अजंता कंपनी को राज्य की उदारता दी गई थी?”
अदालत ने खुद इस हादसे पर संज्ञान लिया था और छह विभागों से जवाब मांगा था। चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं। बता दें मोरबी नगर पालिका ने ओरेवा ग्रुप को 15 साल का अनुबंध दिया था, जो अजंता ब्रांड की घड़ियों के लिए जाना जाता है।