मथुरा ईदगाह में हिन्दू महासभा ने माँगा 6 दिसंबर को हनुमान चालीसा पढने की अनुमति, प्रशासन ने लागू किया निषेधाज्ञा
रवि पाल
मथुरा: मथुरा शाही ईदगाह में हिन्दू महासभा ने हनुमान चालीसा पाठ की अनुमति प्रशासन से मांगी है। हिन्दू महास्बाहा ने 6 दिसम्बर के दिन ईदगाह में हनुमान चालीसा पढने की अनुमति मांगी है। बताते चले कि 27 नवंबर को अखिल भारत हिंदू महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष राज्यश्री चौधरी ने मंदिर परिसर में मौजूद शाही ईदगाह में छह दिसंबर को हनुमान चालीसा पाठ किए जाने की घोषणा की थी। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने यह भी कहा है कि, ‘यदि आप हमें हनुमान चालीसा का पाठ करने की अनुमति नहीं दे सकते हैं, तो कम से कम हमें इच्छामृत्यु की अनुमति दें क्योंकि हम अपनी जा किए बिना नहीं रहना चाहते हैं।’
इस बीच, मथुरा प्रशासन ने जिले में बिना अनुमति के किसी भी राजनीतिक, सामाजिक या धार्मिक संगठन द्वारा पांच या पांच से अधिक लोगों के समूह के एकत्र होकर सभा, धरना और प्रदर्शन आदि पर रोक लगा दी है। यह रोक अगले वर्ष 28 जनवरी तक प्रभावी रहेगी। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, अयोध्या के बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के 30 साल पूरे होने पर अखिल भारत हिंदू महासभा के ईदगाह में हनुमान चालीसा पाठ के ऐलान एवं नगर निकाय संबंधी चुनाव आदि कुछ विशेष गतिविधियों के मद्देनजर एक दिसंबर से निषेधाज्ञा लागू की गयी है, जो अगले वर्ष 28 जनवरी तक लागू रहेगी।
जिलाधिकारी पुलकित खरे के आदेश से जारी निषेधाज्ञा में कहा गया है कि राजनीतिक, सामाजिक या धार्मिक संगठन आदि बिना अनुमति के पांच अथवा पांच से अधिक लोगों का किसी भी प्रकार का जमावड़ा, धरना, प्रदर्शन आदि नहीं कर सकेंगे और इसका उल्लंघन करने पर व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के प्रति दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 188 के तहत कठोर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इस बीच अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने एक वीडियो जारी कर कल शुक्रवार को जानकारी दी कि उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने खून से पत्र लिखकर श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर में स्थित शाही ईदगाह में छह दिसंबर को हनुमान चालीसा का पाठ करने की अनुमति मांगी है।
उन्होंने कहा था, ‘हम अपने ऐलान पर अडिग हैं और हमने हिंदू महासभा के तले अपनी सनातन सभ्यता का पुनरुद्धार करने का संकल्प लिया है। इसके बिना यह आजादी अधूरी है। हम तय समय पर हनुमान चालीसा पाठ कर श्रीकृष्ण जन्मभूमि के वातावरण को पवित्र करेंगे और ऐसा कर हम हिंदू समाज को भगवान कृष्ण का जन्म स्थल शुद्ध रूप में सौंपना चाहते हैं।’