चार्ल्स भोभराज: एक शातिर सीरियल किलर जो एक साजिश के तहत तिहाड़ की सख्त सलाखे तोड़ कर हुआ फरार, पढ़े अपराध में उसकी शातिराना चाले, हर एक का है सवाल “शोभराज… व्हाट इज योर नेक्स्ट प्लान…?”
तारिक आज़मी
कुख्यात सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज को नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने जेल से रिहा करने का हुक्म जारी करके एक बार दहशत के उस नाम को लोगो के ज़ेहन में ताज़ा कर दिया जो दुनिया के खतरनाक सीरियल किलर में टॉप पर रहा है। एक ऐसा शातिर जिसको भारत के सबसे मजबूत समझे जाने वाली तिहाड़ जेल की सलाखे भी अपने कैद में न रख पाई और शातिराना अंदाज़ में चार्ल्स शोभराज ने उन मजबूत सलाखों को भी तोड़ डाला और फरार हो गया था। तिहाड़ से फरार होने उसके एक बड़े शातिर प्लान का हिस्सा था जिससे वह अपनी ज़िन्दगी दुबारा पा गया और सजा-ए-मौत से बच गया।
भेष बदलने में माहिर चार्ल्स शोभराज पर एक वेब सीरिज़ भी बनी जो नेटफ्लिक्स पर आई। वेब सीरीज “द सर्पेंट” इसी सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज के ऊपर बनी है। चार्ल्स शोभराज को भारत ही नही बल्कि दुनिया के कई देशो में 1970 के दशक में सीरियल किलिंग के लिए दहशत का नाम रहा है। नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने 78 वर्षीय शोभराज, जो दो उत्तरी अमेरिकी पर्यटकों की हत्या के आरोप में 2003 से नेपाल की जेल में है, को स्वास्थ्य के आधार पर मुक्त किया जाना चाहिए। समाचार एजेंसी एएफपी ने फैसले की प्रति के हवाले से कहा है कि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- “उसे लगातार जेल में रखना कैदी के मानवाधिकारों के अनुरूप नहीं है।” कोर्ट ने फैसले में कहा है कि “अगर उसके खिलाफ जेल में रखने के लिए कोई अन्य मामला लंबित नहीं है, तो यह अदालत आज उसकी रिहाई और 15 दिनों के भीतर उसे अपने देश लौटने का आदेश देती है।”
कौन है “द बिकनी किलर” “द सर्पेट” नाम से कुख्यात चार्ल्स शोभराज
78 साल का कमज़ोर और बूढ़े हो चुके चार्ल्स शोभराज को “द बिकनी किलर” और “द सर्पेट” जैसे नामो जैसे नामो से कुख्यात चार्ल्स शोभराज का जन्म वियतनाम में वर्ष 1944 के 6 अप्रैल को हुआ था। इसके पिता भारतीय थे और माँ वियतनामी थी। वियतनाम फ़्रांसिसी उपनिवेश में उस समय हुआ करता था। बाद में चार्ल्स शोभराज को उसके भारतीय पिता ने अपनाने से इंकार कर दिया और फ़्रांसिसी उपनिवेश में पैदा होने के कारण इसको फ़्रांसिसी नागरिकता हासिल हो गई। शातिर दिमाग का बचपन से मालिक चार्ल्स शोभराज ने अपने आकर्षक व्यक्तित्व का इस्तेमाल अपराध करने में किया।
पेशे से दिखावे के लिए यह गाइड था। नाम और चेहरा बदलना इसके बाए हाथ का खेल हुआ करता था। 1970 के दशक में यह महिलाओं और पर्यटकों को अपना निशाना बनाता था। उपलब्ध आकड़ो की माने तो चार्ल्स शोभराज ने भारत, थाईलैंड, नेपाल, टर्की और इरान में ही 20 से ज्यादा हत्या किया जिसका कबूल नामा उसने खुद किया था। मगर ये भी एक हकीकत है कि वर्ष 2004 से पहले कोई भी अदालत चार्ल्स शोभराज को सजा नही सुना पाई थी। एक शातिर किस्म का अपराधी अपने मोहपाश में महिलाओं को और पर्यटकों को अपने स्थानीय ज्ञान दिखा कर फंसाता था।
क्या था इसके बचने का तरीका
अपराध जगत से इसने वन मैंन आर्मी के तरीके से काम किया और इसके अपराधिक रिकार्ड को देखे तो कभी भी इसने कोई गैंग नही बनाया। खुद ही अपने शिकार की तलाश करना। खुद ही उसको अपने तरफ आकर्षित करना और अंत में ड्रग्स का डोज़ देकर बेहोश करना और बेहोशी के दरमियान ही उसकी गला दबा कर हत्या कर देना चार्ल्स शोभराज का पेशा बन गया था। पकडे जाने पर या तो शातिराना अंदाज़ में चकमा देकर फरार हो जाना या फिर अधिकारियो और कर्मचारियों को रिश्वत देकर निकल जाना इसकी फितरत थी।
कब रखा अपराध जगत में अपना कदम
चार्ल्स शोभराज के अपराधिक गतिविधिया अगर देखे तो सबसे पहले वर्ष 1963 में सामने आई थी और नाम आया था बिकनी किलर चार्ल्स शोभराज का। वर्ष 1972 से वर्ष 1982 तक के बीच चार्ल्स शोभराज का नाम 20 से अधिक हत्या और लूट के मामले में सामने आ चूका था। भारत में यह सिर्फ एक बार ही जेल तोड़ कर फरार नही हुआ बल्कि दो बार हो चूका है। इसकी हिंसा करने की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह तिहाड़ जैसे मजबूत सलाखों के पीछे से भी रफूचक्कर हो चूका है। फ्रांसीसी पर्यटक को ज़हर देने के मामले में इसने 20 साल भारत के जेल में सजा भी काटी है। मगर जब जेल से फरार हुआ तो फिर दुबारा पुलिस के हत्थे ये नेपाल में ही जाकर चढ़ा था जहा इसने दो अमेरिकन नागरिको की हत्या किया था और उस मामले में इसको अदालत ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी।
जानकारों का कहना है कि आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने का उनका तरीका हमेशा एक सा था। वो ड्रग्स लेने वाले फ्रेंच और अंग्रेज़ी भाषी पर्यटकों से दोस्ती गांठते थे और उनका माल लूटकर फिर उनकी हत्या कर देते थे। साल 1972 से 1982 के बीच शोभराज हत्या के बीस से ज़्यादा आरोप लगे। इन तमाम मामलों में पीड़ितों को ड्रग्स दिया गया था। उनका गला दबाया गया था। मारा गया था या फिर उन्हें जला दिया गया था।
तोड़ दिया तिहाड़ की सलाखे
वर्ष 1976 में उसे 12 साल की जेल की सज़ा सुनाई गई थी लेकिन दस साल बाद ही 1986 में वो तिहाड़ जैसे हाई सेक्योरिटी जेल से फरार हो गया। इस बार फरार होने वाले दिन चार्ल्स शोभराज ने अपने जन्मदिन की एक पार्टी जेल में रखा था। शोभराज ने इसमें कैदियों के साथ गार्डों को भी बुलाया था। पार्टी में उसने बिस्कुट और अंगूर सबको खिलाये थे। इन बिस्कुट और अंगूरों में नींद की दवा मिला दी गई थी। थोड़ी देर में इस पार्टी में शामिल हुवे सभी लोग निढाल हो गये। सभी कैदी से लेकर सुरक्षाकर्मियों ने यह बिस्कुट और अंगूर का सेवन किया था। जो जहा पडा था वही नीद के आगोश में निढाल हो गया। सिर्फ नही हुआ था तो शोभराज और उसके साथ जेल से फरार हुवे उसके अन्य 4 सहयोगी जो उसके जेल से भागने में उसकी मदद कर रहे थे।
शातिराना चाल में फंसे से सभी
अगर उस समय के अखबारों को देखे तो चार्ल्स शोभराज जेल से फरार होने को लेकर पूरी तरह कन्फर्म था कि वह फरार हो जायेगा। इसके लिए उसने पहले से ही तैयारियां कर रखा था। इसको उसका शातिराना कान्फिडेंस ही कहेगे कि उसने जेल के गेट पर अपनी तस्वीर भी खिंचाई थी। अंग्रेजी लेखक रिचर्ड नेविल की बायोग्राफी में चार्ल्स शोभराज ने कहा है कि “जब तक मेरे पास लोगों से बात करने का मौका है, तब तक मैं उन्हें बहला-फुसला सकता हूं।”
जेल से भागना और वापस पकड़ा जाना उसकी शातिराना चाल का था हिस्सा
कहते हैं कि दस साल की जेल की सज़ा के आखिर में वो जान-बूझकर भाग निकले जिससे वो दोबारा पकड़े जाएं और जेल से भागने के लिए उन पर अभियोग चलाया जाए। ऐसा करके वह अपने थाईलैंड में प्रत्यर्पण से बचना चाहता था क्योकि थाईलैंड से वह 5 हत्याये करके भागा था। यह वह घटना थी जिसमे चार्ल्स शोभराज की संलिप्तता थाई पुलिस जान चुकी थी। इसके अलावा भी उसकी संलिप्तता कई अन्य हत्याओ में हो इससे भी इंकार नही किया जा सकता। अगर चार्ल्स शोभराज थाईलैंड जाता तो पक्का उसको इन हत्याओं में सजा-ए-मौत होनी थी।
इसके बाद साल 1997 में जब वह जेल से दुबारा रिहा हुआ तब तक बैंकॉक में उस पर मुकदमा चलाने की समय सीमा बीत चुकी थी। भारत ने 1997 में सुको फ़्रांस प्रत्यर्पित कर दिया। कहा जाता है कि सीरियल किलिंग और शातिर मुसीबत भारत से विदा हो चुकी थी। 20 साल जेल में रहने के बाद भी चार्ल्स शोभराज अपनी हरकतों से बाज़ नही आया। या फिर कहे तो सुधरा नही और साल 2003 में एक बार फिर अपराध की दुनिया में चार्ल्स शोभराज नेपाल वापस लौटे आया। इस बार वो बेख़ौफ़ तरीक़े से आया जबकि पुलिस वहां पर उन्हें गिरफ़्तार कर सकती थी। मगर चार्ल्स शोभराज ने नेपाल आकर पत्रकारों से बात किया खुद का इंटरव्यूव दिया और फरार हो गया। मगर था नेपाल में ही।
नेपाल पुलिस भी हाथ पैर धोकर चार्ल्स शोभराज के पीछे पडी हुई थी। आखिर नेपाल की राजधानी काठमांडू के एक कसीनो से चार्ल्स शोभराज गिरफ़्तार हो जाता है। गिरफ़्तारी के बाद उसके ख़िलाफ़ नेपाल ने तक़रीबन 28 साल पुराने अमेरिकन नागरिको की हत्या का मामला वापस खोला, जिसमें उसके ऊपर फ़र्ज़ी पासपोर्ट के ज़रिए यात्रा करने और कनाडा के एक नागरिक और अमेरिका की एक महिला की हत्या का आरोप था। शोभराज ने आरोपों से इनकार किया लेकिन पुलिस ने दावा किया कि उनके पास पर्याप्त सबूत हैं।
आखिर पुलिस के सबूत सही साबित हुवे और अदालत ने उसको 2004 में आजीवन कारावास की सज़ा सुना दिया। सुर्खियों को बटोरने का माहिर चार्ल्स शोभराज बीते वर्ष अप्रैल में एक बार फिर चर्चा में आया और इस बार उसने उन्होंने नेपाल की जेल से विदेशी मीडियो को इंटरव्यू दिया। जिसके बाद हंगामा खडा हो गया और सवाल उठाये जाने लगे। सवाल ये उठने लगे थे कि जेल के एक क़ैदी ने आख़िर मीडिया से कैसे बात की? ब्रिटेन की दो पत्रिकाओं में शोभराज की क़ैद और उनकी भविष्य की योजनाओं के बारे में इंटरव्यू पर आधारित रिपोर्ट छपी थी।