हद है वाराणसी नगर निगम के साहब लोग: अगर लल्लापुरा स्थित क़ाज़ीपूरा खुर्द का ये सीवर जो महीनो से बह रहा है साफ़ हो जाता तो इस इलाके के लोग भी गणतंत्र दिवस की खुशियाँ सफाई के बीच मना लेते….!
शाहीन बनारसी
वाराणसी: आज पूरा मुल्क गणतंत्र दिवस की खुशियाँ मना रहा है। हर तरफ साफ सफाई भी दिखाई दे रही है। मगर इन सबके दरमियान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के नगर निगम की लापरवाही और कार्यो के प्रति उदासीनता का एक बड़ा उदहारण लल्लापुरा स्थित काजीपुरा खुद के भवन संख्या सी0 18/16 के सामने महीनो से बह रहे सीवर के कारण आस पास के निवासी गणतंत्र दिवस की खुशियाँ सीवर की गन्दगी के बीच से होकर गुज़ार रहे है।
वाराणसी के लल्लापुरा स्थित दो भवन संख्या सी018/16 के सामने बहता सीवर और उसकी तस्वीर आप देख रहे है। कहने को पुरे शहर को गन्दगी मुक्त करने का दावा करने वाला नगर निगम वाराणसी बहुत ही स्मार्ट तरीके से काम कर रहा है। मगर ज़मीनी हकीकत से तो रूबरू आप भी है और हम भी है। ज़मीनी हकीकत ये भी है कि कई इलाके आज भी नगर निगम के उदासीनता का शिकार है। ऐसा ही यह इलाका है लल्लापुरा स्थित क़ाज़ीपूरा खुद का। जहा दो वार्ड का बॉर्डर पड़ने के कारण अक्सर ही यह क्षेत्र मुलभुत सुविधाओं से वंचित रह जाता है।
हाल ऐसी है कि दो पार्षद मो0 असलम और पूर्णमासी गुप्ता के वार्ड का यह बार्डर है। इलाके के नागरिक बताते है कि हमारा क्षेत्र पूर्णमासी गुप्ता के वार्ड में आता है। वही स्थानय निवर्त्तमान हो चुके पार्षद पूर्णमासी गुप्ता का कहना रहता है वार्ड पार्षद मोहम्मद असलम का है। इसी सब के दरमियान स्थानीय नागरिक कभी इधर और कभी उधर दौड़ते रहते है। मगर उनकी समस्याओं का समाधान नही हो पाया। स्थानीय नागरिको का कहना है कि यह सीवर महीनो से बह रहा है। जब समस्या अधिक विकराल रूप ले लेती है तो क्षेत्र के नागरिक ही इसकी साफाई किसी तरीके से करवा देते है। मगर चंद दिनों में ही स्थिति फिर जस की तस हो जाती है।
सबसे बुरी स्थिति तो सुबह 9 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे तक रहती है। स्थानीय नागरिको की माने तो इस दरमियान पानी का अधिक प्रयोग घरो में होने के कारण यहाँ सुबह 9 बजे से सीवर बहकर सडको पर आ जाता है। इसी सीवर के पानी से होकर गुजरने को नागरिक मजबूर है। दोपहर तक किसी तरह रिस कर जब जल भराव कम हो जाता है तो रात को फिर वही नरकीय स्थिति हो जाती है। मगर नगर निगम की निगाह ही इधर नही जाती है। लाख जतन हुवे मगर कोई उसका लाभ नही मिल सका। सिर्फ और सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति होती रहती है।
वैसे समस्या का मूल क्या है हमको नही मालूम। मगर हकीकत तो नगर आयुक्त साहब और जलकल के जीएम साहब ये है कि स्थानीय जेई साहब से फोन पर बात करना बहुत ही टेढ़ी खीर है। कई बार फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, मगर संपर्क तो तब होगा जब फोन उठेगा। शायद साहब नम्बर पहचान कर ही फोन उठाते होंगे या उठती होगी। मगर अगर गणतंत्र दिवस पर कम से कम अपने कर्त्तव्य न समझ कर जैसे लोग समाज हेतु अपना योगदान करते है वही समझ कर इस सीवर की सफाई हो जाती तो इस इलाके के लोग भी साफ़ सफाई के बीच गणतंत्र दिवस की खुशियों को मना पाते। अभी तो इधर से गुजरने वाले लोग गन्दगी से होकर आज भी गुज़र रहे है।