ट्रांसफर के बाद आईपीएस के0 सत्यनारायण न रोक सके अपने दिल में बसी ‘शहर-ए-बनारस के गंगा जमुनी तहजीब से मुहब्बत’, पहुचे उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के आवास, देखी उनकी धरोहर, लिया परिजनों से हालचाल
शाहीन बनारसी
वाराणसी: आईपीएस के0 सत्यनारायण का वाराणसी से स्थनान्तरण हो चूका है। शहर-ए-बनारस की गंगा जमुनी तहजीब की उनके दिल में बसी अस्मत-ओ-मुहब्बत आज उस वक्त दिखाई दी, जब वह शहर बनारस की शान, गंगा जमुनी तहजीब के मरकज़ स्व0 उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के आवास पर उनकी धरोहरों को देखने खुद पहुचे। इस दरमियान उन्होंने उस्ताद के परिजनों से उनका हाल चाल भी लिया।
साहित्य प्रेमी वरिष्ठ आईपीएस के सत्यनारायण आज दोपहर में बड़ी ही सादगी के साथ अपने कुछ सुरक्षा कर्मियों को लेकर भारत रत्न स्व0 उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के आवास दालमंडी स्थित भीखाशाह गली पहुचे। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के पुत्र विभूषण अलंकृत तबला वादक उस्ताद नाजिम हुसैन उस समय अपने आवास पर ही थे और अपने वालिद के हुजरे में ही मामूर के मुताबिक बैठे थे। वह भी आईपीएस के सत्यनारायण को देख कर आवक से रह गए।
आईपीएस के सत्यनारायण ने इस दरमियान उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की एक एक धरोहर को बखूबी देखा। नाजिम हुसैन ने उनको हर वह चीज़े दिखाया जिसको उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब इस्तेमाल करते थे। वह खटिया ख़ास तौर पर आईपीएस के सत्यनारायण ने देखा जिसका ज़िक्र 1960 के दशक ने तत्कालीन अमेरिका के प्रेसिडेंट द्वारा उस्ताद को अमेरिकन सिटिज़न शिप आफर करने पर उस्ताद ने करते हुवे कहा था कि “मेरे हुजरे जैसी मीठी नींद आपके महल में मुझे नहीं आ पायेगी।”
बताते चले कि उस्ताद बिस्मिल्लाह खान देश ही नही बल्कि दुनिया में गंगा जमुनी तहजीब के मरकज़ के तौर पर जाने जाते थे। उस्ताद अपनी उम्र भर गंगा किनारे और मंदिरों में रियाज़ किया करते थे। कई बार उन्होंने बातचीत में अपनी इस सरज़मी से मुहब्बत का बयान अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों में करते हुवे शहर बनारस और देश में बसी गंगा जमुनी तहजीब का ज़िक्र कई वाक्यात से किया था।