मूर्तियों से कफन तक जीएसटी के दायरे में : अजय राय
(जावेद अंसारी)
कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधायक अजय राय ने कहा है कि जीएसटी के दायरे एवं दरों के विस्तार से भाजपा सरकार की करबोझ विस्तार की नीति ने जजिया कर की याद दिला दी है।देवी-देवता की मूर्तियों से कफन तक जीएसटी के दायरे में ले आना इसका साक्षात प्रमाण है। मूर्तियों पर कभी टैक्स नहीं था और बिना सिले कपड़े पर जीएसटी लगने से कफन तक भी उसके दायरे में आ गया।जीएसटी दरों का कृषि और बनारस के वस्त्रद्योग सहित परंपरागत उद्यमों पर विपरीत असर होगा।
अजय राय ने एक वक्तव्य में कहा है कि किसान देशभर में उद्वेलित हैं और जीएसटी के स्वरूप से व्यापारियों को भी सरकार सरकार उसी ओर ढकेल रही है।कांग्रेस का जीएसटी से इसके सिवा और विरोध नहीं था कि इसके इस टैक्स हेतु संविधान संशोधन में अधिकतम सीमा तय कर दी जाए, जो अधिकतम 14 से 18% हो। दुर्भाग्य है कि उसकी बात नहीं मानकर 28% तक टैक्स ठोंका गया और दरों के आगे और नहीं बढ़ने की कोई गारंटी नहीं है।
पूर्व विधायक अजय राय ने कहा कि जीएसटी की बेतुकी दरों के विरुद्ध व्यापारियों एवं किसानों के प्रति कांग्रेस का समर्थन व्यक्त करते कहा है कि जीएसटी दरों के निर्धारण में तर्किकता नहीं है। लाभ कारी मूल्य के अभाव में घाटे की खेती एवं कर्जबोझ तथा कर्जमाफी से सत्ता के इनकार के बीच मर रहे किसान की खेती की लागत बढ़ाते हुए रूटावेटर हल सहित उन तमाम कृषि उपकरणों पर 12% तक जीएसटी लगा दिया है जो कर दायरे में नहीं थे,जबकि सोने कर पर घटा दिया गया।कैसी सोच है कि खाने के बिस्कुट पर तो टैक्स बढ़ा दिया और सोने के बिस्कुट टैक्स घट गया।गरीब के बच्चे खेलकूद से नौकरियां पाते थे और अब खेलकूद उपकरणों पर अधिकतम सीमा वाली टैक्स दरें उसके लिए बाधा दौड़ बन जायेंगी। कांग्रेस ऐसे असंगत टैक्स ढांचे के विरुद्ध हर संघर्ष में आम व्यापारी, किसान और गरीब के साथ खड़ी रहेगी।