ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा अर्चना पर रोक की मांग करने वाली याचिका पर रोक हेतु हाई कोर्ट में दाखिल याचिका अदालत ने किया ख़ारिज, कहा जारी रहेगी सुनवाई
शाहीन बनारसी
डेस्क: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज बुधवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शृंगार गौरी और अन्य देवियों की पूजा की अनुमति वाली याचिका बनारस के स्थानीय कोर्ट में सुनवाई जारी रखने की अनुमति दे दी है। अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद कमिटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर अनुरोध किया था कि बनारस के स्थानीय कोर्ट में इस याचिका की सुनवाई पर रोक लगनी चाहिए।
अंजुमन मसाजिद इंतेज़ामिया कमिटी ज्ञानवापी मस्जिद के प्रबंधन का काम देखती है। पाँच वादिनियो ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में देवियों के पूजा की अनुमति के लिए वाराणसी के स्थानीय अदालत में याचिका दाखिल की थी। जिस याचिका पर ‘प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुवे मस्जिद कमेटी ने याचिका दाखिल किया था कि वादिनियो द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई रोक दिया जाए। इस याचिका पर जस्टिस जेजे मुनीर ने कहा कि पाँच हिन्दू महिलाओं की याचिका पर सुनवाई रोकी नहीं जाएगी।
अदालत के इस फैसले के बाद हिन्दू पक्ष के वकील हरि शंकर जैन ने कहा कि ‘मुझे उम्मीद है कि वह दिन दूर नहीं जब यहाँ विशाल शिव मंदिर बनेगा और वर्तमान ढाँचा को हटा दिया जाएगा।’ बताते चले कि पिछले साल 12 सितंबर को बनारस ज़िला अदालत ने मस्जिद कमिटी की याचिका को ख़ारिज कर दिया था, जिसमें ज्ञनवापी मस्जिद परिसर में हिन्दू देवियों की पूजा की अनुमति वाली याचिका की सुनवाई नहीं करने की अपील की थी।
गौरतलब हो कि नरसिम्हा राव सरकार ने 18 सितंबर, 1991 को उपासना स्थल क़ानून पास किया था, जो बाबरी मस्जिद छोड़कर सभी दूसरे धार्मिक स्थलों पर लागू होता है। यह क़ानून कहता है कि भविष्य में विवादित धार्मिक स्थलों का स्वरूप नहीं बदला जा सकता। इसी क़ानून का हवाला देकर मुस्लिम पक्ष सुनवाई रोकने की मांग कर रहा था।