बड़ी स्टिंग देखे – लखीमपुर खीरी के पलिया में सो रहा पुलिस प्रशासन, बन रही खुल्लम खुल्ला कच्ची शराब
समीर मिश्रा और जावेद अंसारी की एक खोजी खबर.
लखीमपुर खीरी // लखीमपुर खीरी के कोतवाली पलिया के मझगई क्षेत्र में शासन शायद एकदम अलग चलता है, यहाँ पुलिस और प्रशासन की नहीं बल्कि कच्ची शराब के कारोबारियों का शासन चलता है. इस इलाके में खुल्लम खुल्ला कच्ची शराब बनने की सुचना पर हम विशेष रूप से लखीमपुर खीरी के पलिया क्षेत्र में पहुचे. इतने खुबसूरत प्राकृतिक नज़रो के बीच हमारी नज़रे और हमारे कैमरे की नज़रे सिर्फ अपने काम पर थी. जल्द ही हमारे आने का मकसद पूरा हुआ जो आप सम्बंधित वीडियो में देख सकते है.
खुलेआम अवैध कच्ची दारु की भट्ठियां इस इलाके की खूबसूरती पर एक बदनुमा दाग लगा रही है जो मझगयी क्षेत्र में जगह जगह भभकती दिखाई दे रही हैं, पंरतु स्थानीय पुलिस प्रशासन अपनी आंखें पूरी तरह से बंद किये हुए नजर आ रही हैं। कैमरे के सामने तो कोई बोलने को तैयार नहीं हुआ मगर कैमरे के पीछे से क्षेत्रिय लोगो ने हमको बताया कि यह कच्ची शराब का कारोबार करने वालो के काम कच्चे नहीं होते. इनके हाथ बहुत दूर की पकड़ रखते है साहेब. स्थानीय थाना पुलिस सब खामोश रहते है. हमको इसी इलाके में रहना है इन दबंगों से कैसे हम लोग झगडा मोल सकते है.
एक बार फिर हम आपको बता दें कि लखीमपुर खीरी के पलिया तहसील के ग्राम मझगई क्षेत्र में खुलेआम अवैध कच्ची दारू की भट्ठिया भभकती नजर आ रही हैं परंतु प्रशासन मौन धारण किए हुए नजर आ रहा हैं। जिसका प्रमाण हमारे लखीमपुर खीरी के दौरे के दौरान कैमरे में कैद कर दिया है। जिसमें आप खुलेआम अवैध कच्ची शराब की भट्ठिया धधकते देख सकते है यह अवैध शराब की भट्ठिया क्षेत्र के वन धुसरी के बड़े नाले के पास आपको रोज ही देखने को मिल सकती है। क्षेत्र के आस पास चाय पान के खोमचो पर चल रही चर्चा के अनुसार यह अवैध शराब की भट्ठियो के सञ्चालन में आबकारी विभाग की भूमिका संदिग्ध है वही स्थानीय थाना पुलिस की इस तरफ बंद आंखे कुछ और ही इशारा करती है. क्योकि इतना खुल्लम खुल्ला चलने वाली भट्टियो के सम्बन्ध में पुलिस को अगर पता नहीं है तो फिर शायद इसको कमज़ोर पुलिसिंग कहा जा सकता है. इस क्षेत्र में कई जगहों पर कच्ची शराब बेचने का अवैध कारोबार भी बेखौफ किया जा रहा है। शाम होते ही कस्बे के कई गलियों में कच्ची शराब विक्रेताओं के अड्डों पर शराब पियक्कड़ों का जमडाव देखना आम बात हो गयी है। परंतु प्रशासन ने इस ओर न देखने की जैसे कसम खा रखी हैं,