वाराणसी: सिगरा थाना क्षेत्र का ‘तंदूर विला’ भले हुआ ‘मटन बाटी’, सिपाही के बल पर चालू हुआ स्पा और हुक्का पार्लर, लंबे समय से एक ही चौकी पर तैनात सिपाही की भूमिका संदिग्ध
शाहीन बनारसी
वाराणसी: पुलिस कमिश्नरेट वाराणसी अपनी पूरी कुअत झोके हुवे है कि अवैध कारोबार पर लगाम लग सके। मगर वही विभाग के कुछ जुगाडिया ऐसे भी है जिनके चलते ऐसे अवैध कारोबारों को बल मिलता रहता है। ख़ास तौर पर वाराणसी का सिगरा थाना क्षेत्र अवैध हुक्का बार और स्पा सेंटर का गढ़ बनता जा रहा है। भले सिगरा इस्पेक्टर राजू सिंह इसके ऊपर सख्त रहते है। मगर उनकी छापेमारी में सफलता हाथ नही लग पाती है। अभी बीती रात ही सिगरा इस्पेक्टर ने छापेमारी करके एक हुक्का बार पकड़ा है।
ऐसा इस कारण भी हुआ कि सोनिया पुलिस चौकी क्षेत्र में पड़ने वाले इस हुक्का बार मे छापेमारी की जानकारी विभाग किसी को नही हो पाई। अन्यथा इस बार भी पुलिस के हाथ खाली ही रहते। अगर विश्वास न हो तो एक बार वर्तमान ‘मटन बाटी’ और पूर्व का ‘तंदूर विला’ चेक कर ले। स्पा सेंटर और हुक्का बार का यह बड़ा गढ़ ‘तंदूर विला’ नाम से हुआ करता था। इसने कभी काफी नाम रोशन किया था। इस दरमियान समय का चक्र घुमा और सिगरा पर इस्पेक्टर राजू सिंह ने आते के साथ ही चाबुक स्पा सेंटर और हुक्का पार्लर पर चलाना शुरू कर दिया। जमकर छापेमारी हुई, जिससे लगभग सभी हुक्का पार्लर और स्पा सेंटर एक झटके में बंद हो गये। मगर इसका काट भी निकल गया। सूत्र बताते है कि दो-तीन बार छापेमारी में पुलिस के हत्थे तो कुछ मिल नहीं सका, मगर पुलिस को पुख्ता सुचना यहाँ स्पा सेंटर और हुक्का पार्लर की थी। सुचना गलत न कल थी और न आज है।
छापेमारी ने हडकंप तो काफी मचा दिया और फिर ‘तंदूर विला’ रूप बदल कर ‘मटन बाटी’ हो गया। ‘नाम ये बदल जायेगा, चेहरा भी बदल जाएगा’ के तर्ज पर बदला तो मगर कारोबार ? स्पा सेंटर और हुक्का पार्लर दुबारा यहाँ चलने की सुचना हमारे सूत्रों के माध्यम से हमको प्राप्त हुई। हमने भी मौके का मुआयना किया। अन्दर एक बात तो समझ में आई कि परमानेंट कस्टमर जिनको मलिक और उसके कारिंदे पहचानते है को ही हुक्का और अन्य सुविधाओं की उपलब्धता रहती है। हमारे पूछने पर भी इंकार कर दिया जाता है। शर्त अलग से थी कि सिर्फ ‘कपल’ अलाऊ है। अब हम ठहरे निरीह प्राणी ‘कपल’ कहा से लाये? मगर अन्दर से कपल के आमद रफ्त दिन दहाड़े हमको जो दिखाई दिए है, वह इसकी पूरी कहानी बताने के लिए काफी है।
अन्दर के सूत्रों ने हमको जानकारी दिया कि सुविधाए तो उपलब्ध है, मगर फिक्स कस्टमर हेतु ही है। सुरक्षा के दृष्टिगत पुलिस के आमद की सुचना पहले ही मिल जाती है। यहाँ हमारे विभागीय सूत्रों ने बताया कि नगर निगम पर लम्बे समय से तैनात सिपाही सुनील गौतम की ठसक काफी है। गोपनीयता के शर्त पर एक सूत्र ने तो यहाँ तक बताया कि इस्पेक्टर अपनी टीम लेकर छापेमारी को निकलते है तभी सुचना भी मिल जाती है। हमारे सूत्रों ने बताया कि सुनील गौतम का यहाँ रोज़ उठना बैठना है। खुद को बड़े अधिकारियो तक पहुच रखने का दावा करने वाले सिपाही सुनील गौतम की ठसक है। तभी तो एक ही पुलिस चौकी पर लगभग ढाई साल से पोस्टेड इस सिपाही को हटाने के लिए कोई अधिकारी सोचते ही नही है। यही नही सुनील गौतम की पहुच सिगरा इलाके की अन्य चौकियो तक है।