संसद के विशेष सत्र से पहले मोदी सरकार से कांग्रेस क्यों बोली- 9 साल से मांग कर रहे हैं
आफ़ताब फारुकी
डेस्क: 18 से 22 सितंबर तक केंद्र सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाया है। संसद के सत्र से पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने केंद्र सरकार से अपनी मांग को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया है। कांग्रेस कार्यसमिति ने मांग की है कि विशेष सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को पास किया जाए। जयराम रमेश ने लिखा, ”कांग्रेस पार्टी पिछले नौ साल से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक, जो पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से भी पारित कराया जाना चाहिए।”
कांग्रेस कार्य समिति ने मांग की है कि संसद के विशेष सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को पारित किया जाना चाहिए। ये इस मुद्दे से संबंधित कुछ तथ्य हैं:
1. सबसे पहले राजीव गांधी ने 1989 के मई महीने में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 17, 2023
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लिखा, ”आज पंचायतों और नगर पालिकाओं में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं। यह 40 फ़ीसदी के आसपास है। महिलाओं के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह संविधान संशोधन विधेयक लाए। विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ लेकिन लोकसभा में नहीं ले जाया जा सका।” उन्होंने लिखा, ”राज्यसभा में पेश या पारित किए गए विधेयक समाप्त नहीं होते हैं इसलिए महिला आरक्षण विधेयक अभी भी जीवित (सक्रिय) है।”
संसद के विशेष सत्र के बारे में सरकार ने क्या बताया?
13 सितंबर को लोकसभा सचिवालय के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से बताया गया था कि बाक़ी कार्यवाही से अलग सत्र के पहले दिन 18 सितंबर को दोनों सदनों में संसद के 75 साल के सफ़र पर चर्चा की जाएगी। इसके तहत संविधान सभा से लेकर संसद की उपलब्धियों, अनुभवों और यादों की चर्चा की जाएगी। राज्यसभा के बुलेटिन के मुताबिक़, संसद के विशेष सत्र में तीन बिल पर चर्चा होगी। लोकसभा में भी दो बिल पर चर्चा होगी।
- पोस्ट ऑफिस विधेयक 2023
- मुख्य चुनाव आयुक्त एवं चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, सेवाओं और कार्यकाल से संबंधित विधेयक
- निरसन एवं संशोधन विधेयक 2023
- अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2023
- प्रेस एवं पत्र पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023
सरकार के इस एजेंडे के बताए जाने पर जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा था- ”मुझे यक़ीन है कि विधायी हथगोलों को छिपाया जा रहा और हमेशा की तरह उसे अचानक आख़िर में सामने लाएंगे। पर्दे के पीछे कुछ और है।”