कल शनिवार को है राधा अष्टमी, जानें महत्त्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

बापू नंदन मिश्र/शफी उस्मानी

भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार राधा रानी के बिना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी माना जाती है। जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन राधा रानी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल 23 सितंबर को शनिवार के दिन राधा अष्टमी मनायी जाएगी। अगर आपने जन्माष्टमी की पूजा की है तो राधा अष्टमी के दिन पूजा जरुर करें नहीं तो आपकी पूजा अधूरी मानी जाएगी। राधा अष्टमी की पूजा की संपूर्ण विधि क्या है इसका क्या महत्त्व है आइए जानते हैं।

सनातन धर्म के अनुसार अगर आप कृष्ण जन्माष्टमी के दिन उनकी पूजा करते हैं व्रत रखते हैं तो इस पूजा का फल आपको तब तक नहीं मिलता जब तक आप राधाष्टमी के दिन पूजा व्रत नहीं करते। राधा अष्टमी के दिन संकल्प के साथ व्रत करने से हर मनोकामना पूरी होती है।

हिंदू मान्यता के अनुसार अगर आप राधा अष्टमी वाले दिन उनका व्रत रखते हैं तो उसके जीवन के सभी पाप दूर हो जाते हैं आपको उनकी पूजा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। कहते हैं राधा रानी की कृपा से साधक के सभी दुख पलक झपकते दूर होते हैं उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी भी हो जाती हैं।

राधा अष्टमी व्रत की पूजा विधि

  • 23 सितंबर 2023 की सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें
  • उसके बाद राधा रानी के व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लें.
  • घर के ईशान कोण या फिर अपने पूजा घर में राधा रानी की प्रतिमा या फोटो को पवित्र जल से शुद्ध एवं साफ कर लें.
  • उनके आगे एक मिट्टी या तांबे का कलश में जल सिक्के आम्रपल्लव रखकर उस पर नारियल रखें.
  • राधा जी की फोटो या मूर्ति को पीले कपड़े से बने आसन पर रखें उसके बाद पंचामृत से स्नान कराएं फिर से उन्हें जल चढ़ाएं पुष्प, चंदन, धूप, दीप, फल आदि अर्पित करें
  • अब उनकी विधि-विधान से पूजा उनका श्रृंगार करें राधा जी को प्रसाद को भोग लगाएं.
  • भगवान श्रीकृष्ण की भी विधि-विधान से पूजा करें उन्हें भोग में फल मिठाई के साथ तुलसी दल जरूर चढ़ाएं.
  • राधा रानी के मंत्र का जाप या उनके स्तोत्र का पाठ करें.
  • पूजा के अंत में श्री राधा जी भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें सभी को प्रसाद बांटें स्वयं भी ग्रहण करें.
  • राधा अष्टमी व्रत का महत्व

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