न्यूज़क्लिक के पत्रकारों पर कार्यवाही के मुखालिफ 16 पत्रकार संगठनो ने संयुक्त रूप से लिखा सीजेआई को पत्र, लगाया लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को बचाने की गुहार, देखे पत्रकारों के प्रोटेस्ट की तस्वीरे
तारिक़ आज़मी
डेस्क: भारत में मीडिया से जुड़े संगठनों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर न्यूज़क्लिक पर कार्रवाई के मामले में दख़ल देने की अपील की है। ये पत्र प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया, डिजीपब और कई अन्य मीडिया संगठनों ने साझा लिखा है। इस पत्र में मुख्य न्यायाधीश से मीडिया के दमन के लिए जांच एजेंसियों के इस्तेमाल को रोकने के लिए क़दम उठाने की अपील की है।
इस पत्र में संगठनों ने लिखा है कि ‘पिछले चौसीब घंटों में जो घटनाक्रम हुआ है उसने हमारे पास आपकी अंतारात्मा से संज्ञान लेने की और हस्तक्षेप करने की अपील करने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है।’ इस पत्र में मीडिया संगठनों ने कहा है कि ये लोकतंत्र के एक स्तंभ की दूसरे स्तंभ से अपने अस्तित्व को बचाने की अपील है।
पत्र में न्यायपालिका से संविधान में निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा के मूल अधिकार को बनाये रखने का आग्रह किया है। पत्र में कहा गया है, ‘आज सच्चाई यह है कि भारत में पत्रकारों का एक बड़ा वर्ग प्रतिशोध के ख़तरे के तहत काम कर रहा है।’ इस पत्र में न्यूज़क्लिक के ख़िलाफ़ कार्रवाई में कठोर यूएपीए क़ानून के इस्तेमाल का मुद्दा भी उठाया गया है और इसे डरावना कहा गया है।
मीडिया संगठनों ने तर्क दिया है कि पत्रकारिता करने पर ‘आतंकवादी’ के रूप में मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता है। हाल के सालों में मीडिया पर हुई कार्रवाइयों का हवाला देते हुए ये भी कहा गया है कि जांच एजेंसियों का इस्तेमाल पत्रकारिता पर अंकुश लगाने के लिए किया जा रहा है।
इस पत्र में केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन के मामले का भी हवाला दिया गया है। सिद्दीक़ कप्पन को उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप की घटना की रिपोर्टिंग करने के लिए जाते हुए गिरफ़्तार किया गया था और उन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था। कप्पन को ज़मानत मिलने में दो साल का वक़्त लग गया।
न्यूज़क्लिक पर कार्रवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने पत्रकारों के लैपटॉप और मोबाइल फोन भी बरामद किए हैं। सुप्रीम कोर्ट से पत्रकारों से उपकरण ज़ब्द करने के लिए नियम निर्धारित करने की अपील भी की गई है। साथ ही पत्रकारों से किस तरह पूछताछ की जानी चाहिए इसके लिए दिशानिर्देश तय करने की अपील भी की गई है। इस पत्र में मीडिया संस्थानों ने सुप्रीम कोर्ट से क़ानून के दायरे से बाहर जाकर काम करने वाले और अदालत को गुमराह करने वाले जांच एजेंसियों के अधिकारियों की ज़िम्मेदारी को तय करने का रास्ता निकालने की अपील भी की है।
पत्र को डिजीपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन, इंडियन वुमेन प्रेस कॉर्प्स, फाउंडेशन ऑफ मीडिया प्रोफेशनल्स, नेशनल अलायंस ऑफ जर्नलिस्ट्स, नेटवर्क ऑफ वीमेन इन मीडिया, चंडीगढ़ प्रेस क्लब, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स, केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स, बृहन्मुंबई यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स, फ्री स्पीच कलेक्टिव मुंबई, मुंबई प्रेस क्लब, अरुणाचल प्रदेश यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स, प्रेस एसोसिएशन ऑफ इंडिया और गुवाहाटी प्रेस क्लब जैसे मीडिया संगठनों ने समर्थन दिया है।