केंद्र सरकार की नीतियों का प्रचार करने के लिए सरकारी अधिकारियो को रथ प्रभारी बनाये जाने के हुक्म की शुरू हुई आलोचना

मो0 शरीफ

डेस्क: मोदी सरकार द्वारा सरकारी अधिकारियों को केंद्र सरकार के एक प्रचार अभियान के लिए ‘रथ प्रभारी’ बनाने के क़दम की व्यापक आलोचना हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार, 17 अक्टूबर को केंद्र सरकार द्वारा सभी मंत्रालयों को जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि वे देश के सभी ज़िलों से ऐसे सरकारी अधिकारियों के नाम दें, जिन्हें रथ प्रभारी बनाया जा सके।

सर्कुलर में मंत्रालयों से कहा है कि वह ऐसे अधिकारियो का नाम दे जिन्हें मोदी सरकार की ‘पिछले नौ वर्षों की उपलब्धियों को दिखाने/जश्न मनाने’ के एक अभियान के लिए ‘जिला रथ प्रभारी (विशेष अधिकारी)’ के तौर पर तैनात किया जाए। इस आदेश के सामने आने के बाद अब इसकी आलोचना शुरू हो गई है। कांग्रेस ने सरकार पर सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया है।

विपक्षी कांग्रेस के साथ-साथ पूर्व नौकरशाहों ने भी इसे सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग क़रार दिया है। सर्कुलर में रक्षा मंत्रालय से भी इसके अधिकारियों के नाम देने को कहा गया है। इसके पहले सेल्फी पॉइंट्स के तौर पर सेना का उपयोग करने का आरोप कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर लगाया था। जिस आदेश का पूर्व सैनिको ने भी विरोध किया था।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखते हुए ‘नौकरशाहों और सैनिकों के ज़बरदस्त राजनीतिकरण’ का मसला उठाया, जिन्हें उनके अनुसार ‘हर समय स्वतंत्र और गैर-राजनीतिक रखा जाना चाहिए।’ उन्होंने यह भी जोड़ा कि सैनिकों के ‘सरकारी योजनाओं के लिए एजेंट बनने को सशस्त्र बलों के राजनीतिकरण की दिशा में एक खतरनाक कदम’ के तौर पर देखा जाएगा।

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