एशियन ब्रिज इंडिया और ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में किशोरियों के उज्वल भविष्य हेतु राष्ट्रीय संविधान दिवस के अवसर पर ग्रामीणों ने ली शपथ

शफी उस्मानी

वाराणसी: एशियन ब्रिज इंडिया और ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान द्वारा चलाए जा रहे अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा विरोधी पखवारा के अंतर्गत इस 16 दिवसीय अभियान के दूसरे दिन आज राष्ट्रीय संविधान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा चयनित गांव नागपुर के अंबेडकर पार्क में एशियन ब्रिज इंडिया और ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान द्वारा राष्ट्रीय संविधान दिवस बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण कर शुरू किया गया।

इस अवसर पर कस्तूरबा सेवा समिति के सचिव विनोद कुमार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बाबा साहब ने जब संविधान लिखा तो उन्होंने संविधान सिर्फ पूंजी पतियों या उच्च वर्ग या नेताओं के लिए नहीं लिखा बल्कि उन्होंने सबके लिए लिखा। यह संविधान सिर्फ उनको ही नहीं दलित, वंचितों और महिलाओं को भी समान अधिकार देता है। आज अगर संविधान नहीं होता तो इस कार्यक्रम में इस वक्त जो दलित अनुसूचित जाति जनजाति और महिलाएं सम्मिलित हैं, या हमारे आपके घर की बेटियां स्कूल जा रही हैं। वह नहीं जा रही होती। ऐसे में भारत की संविधान को समझना बहुत जरूरी है।

उन्होंने कहा कि आज के दौर में विशेष तौर से भारतीय संविधान की उद्देशिका को समझना यदि हम भारत के संविधान की उद्देशिका को समझ गए तो हमने भारत की आत्मा को समझ लिया और जिससे हम अपने देश को विकास की ओर ले जा सकते हैं। इसी कड़ी में एशियाई ब्रिज इंडिया के अध्यक्ष मोहम्मद मूसा आज़मी ने संविधान के उद्देशिका को समझाते हुए बताया कि संवैधानिक मूल्य समता, समानता, न्याय,  बंधुत्व लोकतंत्र आदी हमारे जीवन का एक अंग है और इन मूल्यों के बिना भारत की भारतीयता मर जाएगी। इन मूल्यों को बचाना हमारी आपकी नैतिक जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा कि  आज के दौर में अगर सबसे ज्यादा हमला संविधान पर हो रहा है। तो संविधान से सदा संविधान के मूल्यों को समाज से नष्ट किया जा रहा है। ऐसा सिर्फ इसलिए किया जा रहा है ताकि जब समाज से ही यह मूल्य नष्ट हो जाएंगे, तो उनको संविधान की इस उद्देशिका को बदलना होगा। जब उसे संविधान की उद्देशिका को बदलने में कामयाब हो जाएंगे तो संविधान बदल जाएगा और जिस दिन संविधान बदल गया हमारे आपके जीवन पूरी तरह से बदल जाएगा। यह बहुत ही जरूरी है कि किस तरह से धीरे-धीरे हमारे आपके बीच में नफरत और हिंसा का जहर खिला जा रहा है, उसको समझाना।

मूसा आज़मी ने कहा कि साथ ही यह भी समझना होगा कि क्यों वह जहर हमारे आपके बीच में बोने के पीछे संविधान के ऊपर किया जाने वाला अब तक का सबसे बड़ा हमला है। यह भी समझना होगा। अगर इन हमलों को रोकना है तो हमारे आपके घर की बेटियों को पढ़ लिख करके आगे आना होगा और सबसे पहले अपने ही घर को हिंसा मुक्त परिवार में बदलना होगा। जब हम हिंसा मुक्त परिवार में रहने लगेंगे तो हम कभी भी अपने समाज को एक हिंसक समाज नहीं बनने देंगे।

इस मौके पर राम प्रकाश ने अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि यदि हमें अपने देश का भविष्य उज्जवल बनाना है, तो उसके लिए हमें अपने परिवार के बच्चों का भविष्य उज्जवल बनाना होगा। अगर अपने परिवार के बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाना है तो हमें किशोरियों के भविष्य को उज्जवल बनाना होगा। ऐसे में ऐसे में संविधान में दिए गए समानता के अधिकार को हमें समझना होगा और न्याय को अपनाते हुए किशोरियों को पूरा-पूरा अवसर देना होगा। इसके लिए हमको आपको शपथ लेनी होगी कि हम किस तरह से अपने परिवार की किशोरियों को अपने समाज की किशोरियों को एक उज्जवल भविष्य दे सके और एक हिंसा मुक्त समाज का निर्माण कर सकें।

आगंतुको द्वारा कार्यक्रम में सम्मिलित 300 से ज्यादा ग्रामीण महिला पुरुष किशोरी और युवाओं को संविधान के उद्देशिका की शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम के अंत में मोहम्मद मूसा आज़मी ने कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले ग्रामीणों को उनके परिवार की किशोरियों के भविष्य के लिए शपथ दिलाई। जिसे वहां मौजूद सभी पुरुष, युवा, किशोर, महिलाओं और ग्रामीणों ने लिया। कार्यक्रम के अंत में सुश्री दीक्षा ने अपने विचार रखते हुए आए हुए सभी अतिथियों का धन्यवाद दिया और ग्रामीणों का भी धन्यवाद किया। दीक्षा ने कहा कि आपकी यह शपथ अगले कुछ दशक में आपके गांव के बच्चियों की तकदीर बदल देगी और इसी के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।

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