मजदूर की बेटी थी साहेब, हसती,खेलती, हादसे में तड़प कर मर गई. नहीं जागी किसी की संवेदना
ए.एस.खान
लखनऊ. मौत कब किसको कहा गले लगा ले कुछ कहा नहीं जा सकता है, ऐसा ही एक हादसा आज लखनऊ के लोकभवन में देखने को मिला जहा एक मजदूर की मासूम बच्ची खेल रही थी. खेल के जोश में मस्त उस हस्ती खिलखिलाती बेटी को क्या पता था कि उसकी हसी इस जीवन की आखरी हंसी है. अचानक ऊपर से लोहे का गेट नीचे गिरा और उसकी ज़द में आने से उस हसती खिलखिलाती मासूम की तड़प कर मौत हो गई. इस घटना का सबसे दुखद पहलू यह रहा कि वह मासूम ज़मीन पर पड़ी काफी देर तक तड़पती रही मगर किसी की संवेदना नहीं जागी. लोग तमाशबीन बने देखते रहे. मासूम का सुध बुध खो चूका बाप भी कुछ नहीं कर पा रहा था. तमाशबीन क्यों कुछ करते क्यों उस मासूम को अस्पताल पहुचाते क्या वो किसी अमीर की बेटी थी, नहीं साहेब वो तो एक गरीब मजदूर की बेटी थी. एक गरीब की बेटी तड़प कर दम तोड़ दी और ज़माना तमाशबीन बना रहा
घटना के सम्बन्ध में प्राप्त जानकारी के अनुसार लोकभवन के निर्माणाधीन काम्प्लैक्स में निर्माण का कार्य चल रहा है.जहां सात वर्षीय किरन के पिता भी मज़दूरी कर रहे थे आज निर्माणाधीन भवन के उपर के हिस्से में गेट सेट किया जा रहा था. इसी दौरान संतुलन बिगडने से लोहे का भारी भरकम गेट नीचे खेल रही निर्माणाधीन भवन में कार्य कर रहे मज़दूर की सात वर्षीय लडकी किरन के उपर गिर गया. किरण घंटो तक जमीन पर पड़ी रही, किसी भी व्यक्ती ने संवेदना नही दिखाई, न ही समय से पुलिस को सूचना दी गयी. और न ही समय रहते बच्ची को हास्पीटल पहुचाया गया. जबकी बच्ची किरन का पिता सुध बुध खो चुका था तमाशबीन जनता तमाशा देखती रही. और किरण तड़पती रही. घटना के काफी देर बाद बच्ची को सिविल हॉस्पिटल पहुंचाया गया जहाँ डॉक्टर ने मृत घोषित किया।