मुस्लिम छात्र को अन्य छात्रो से थप्पड़ मरवाने की घटना पर हुई सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में अदालत ने कहा ‘उत्तर प्रदेश सरकार अपनी भूमिका में विफल रही’
ईदुल अमीन
डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार (12 जनवरी) को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के एक निजी स्कूल में एक महिला शिक्षक द्वारा अपने छात्रों को उनके सात वर्षीय मुस्लिम सहपाठी को थप्पड़ मारने के लिए उकसाने की घटना के लिए सीधे तौर पर राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
शुक्रवार को पीठ ने एक्टिविस्ट तुषार गांधी की ओर से पेश वकील शादान फरासात से, जिन्होंने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, टिस की सिफारिशों का अध्ययन करने और अगर आवश्यक हो तो बच्चे के माता-पिता के परामर्श से और सुझाव देने को कहा। हालांकि फरासत ने कहा कि टिस की रिपोर्ट ‘अपर्याप्त’ है।
पिछली सुनवाई में अदालत ने इस घटना को ‘बहुत गंभीर’ बताया था और यह संविधान के अनुच्छेद 21ए (निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा बच्चे का मौलिक अधिकार है), शिक्षा का अधिकार अधिनियम और यहां तक कि उत्तर प्रदेश नियमों का भी सीधा उल्लंघन है, जो स्थानीय अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का काम देते हैं कि बच्चों को कक्षाओं में भेदभाव का सामना न करना पड़े।
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायाधीश जस्टिस एएस ओका के नेतृत्व वाली पीठ ने उत्तर प्रदेश के वकील से कहा, ‘यह सब इसलिए हुआ क्योंकि सरकार ने वह नहीं किया जो उससे करने की अपेक्षा की गई थी। जिस तरह से यह घटना हुई, उसके बारे में सरकार को बहुत चिंतित होना चाहिए।’ सरकार की ओर से पेश वकील ने इसका विरोध जताते हुए कहा, ‘लेकिन यह एक निजी स्कूल था।’
बताते चले कि पिछले साल अगस्त में मुजफ्फरनगर के खुब्बापुर गांव में एक निजी स्कूल की शिक्षक तृप्ता त्यागी ने कथित तौर पर होमवर्क नहीं करने पर एक मुस्लिम छात्र को उसके हिंदू सहपाठियों से कक्षा में बार-बार थप्पड़ लगवाए थे। घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोगों ने आक्रोश जताया था।
महिला शिक्षक को वीडियो में मुस्लिम बच्चे पर सांप्रदायिक टिप्पणी करते हुए दिखाया गया था। उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 323 (जान-बूझकर चोट पहुंचाना) और 504 (शांतिभंग करने के इरादे से जान-बूझकर अपमान करना) के तहत मामला दर्ज किया गया था।