‘शरद पवार नही अजीत पवार की है एनसीपी’, चुनाव आयोग के इस फैसले को शरद पवार गुट ने कहा ‘लोकतंत्र की हत्या’
तारिक़ खान
डेस्क: चुनाव आयोग के अजित पवार गुट को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) बताए जाने के फ़ैसले को शरद पवार गुट ने ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया है। शरद पवार गुट ने कहा है कि ये फ़ैसला ‘चुनाव आयोग ने दबाव’ में लिया है। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और अजित पवार गुट के नेता प्रफ़ुल्ल पटेल ने इस फ़ैसले पर खुशी ज़ाहिर की है।
मंगलवार को चुनाव आयोग ने ना सिर्फ़ अजित पवार के गुट को असली एनसीपी बताया बल्कि पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘दीवार घड़ी’ भी उन्हें दे दिया। शरद पवार गुट के नेता और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख ने कहा- ‘जो हुआ है वो दुर्भाग्यपूर्ण है और ये लोकतंत्र की हत्या है। चुनाव आयोग ने ऊपर से पड़ रहे दबाव के कारण ये फ़ैसला दिया है।’
देशमुख ने कहा कि इसी तरह का फ़ैसला शिवसेना के मामले में भी लिया गया था। साल 2022 में चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना घोषित किया था और पार्टी का चुनाव चिन्ह भी उन्हें ही दे दिया था। देशमुख ने कहा, ‘हर कोई जानता है कि शरद पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना की थी और वह पार्टी की स्थापना के समय से ही इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं।’
उन्होंने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के बयान का ज़िक्र किया जिसमें कोर्ट ने कहा था कि ‘मेयर चुनाव में जो हुआ वो लोकतंत्र की हत्या’ है। देशमुख ने कहा ‘सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चंडीगढ़ में मेयर चुनाव को लेकर कर कहा था कि लोकतंत्र की हत्या नहीं की जा सकती। इसके बावजूद चुनाव आयोग ने आज पार्टी के नाम और उसके चुनाव चिह्न को लेकर ऐसा ही फैसला सुनाया। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।’