तारिक़ आज़मी की मोरबतियाँ: कलम की स्याही सुख गई यह बताने में कि ‘गोंडा के एक निजी विद्यालय में 8-10 साल के छात्रो द्वारा 5 साल की मासूम से सामूहिक दुष्कर्म’, ‘तरबियत या मु’आशरा’ आखिर कसूरवार कौन?
तारिक़ आज़मी
डेस्क: काफी हमारे पाठको को मेरी ‘मोरबतियाँ’ का इंतज़ार रहता है। आज कुछ लिखने का मन भी कर रहा है तो हालत कुछ ऐसी है कि ‘एक लफ्ज़ भी न मिल सका जो इफ्तेदाह करते, राते गुज़र गई ‘तारिक’ कागज़ सियाह करते। जिस मुताल्लिक हम आपसे गुफ्तगू करने की ख्वाहिश रखते थे, वह मौजु एक खबर है, जिसमे बताया गया है कि गोंडा के एक निजी विद्यालय में 5 साल की मासूम बच्ची से सामूहिक ज़नाकारी (दुष्कर्म) हुआ है। आरोपी महज़ 8-10 साल के बच्चे है।
इस घटना को जानने के बाद से लफ्ज़ ही नही मिल रहे कि खबर से आपको रूबरू करवा सकू। बच्चो को भगवान की मूरत माना गया है। बच्चे किसी के भी हो, सभी उनको स्नेह करते है। मगर 8-10 साल के बच्चे जिनको भगवान का रूप मान सकते है, उनके अन्दर शैतानी फितरत आ सकती है, सोच कर ही रूह काँप जाती है। आखिर इसको तरबियत का कसूर कहे या फिर तालीम और मोआशरे की खता, हमारे पास तो कम से कम लफ्ज़ नही है।
मामला उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में स्थित एक निजी विद्यालय का है। इस विद्यालय में पढने वाली पांच वर्षीय बच्ची से उसी विद्यालय में पढ़ने वाले दो नाबालिग विद्यार्थियों ने दुष्कर्म किया। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी। गोंडा के पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने कल शनिवार को बताया कि धानेपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक गांव में स्थित विद्यालय में पढ़ने वाली पांच वर्षीय एक छात्रा से उसी विद्यालय में पढ़ने वाले आठ और 10 वर्ष के दो विद्यार्थियों ने शुक्रवार को भोजनावकाश के दौरान विद्यालय के पीछे बारी-बारी से दुष्कर्म किया।
पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने बताया कि घर पहुंचने के बाद बच्ची ने परिजनों को घटना के बारे में जानकारी दी। जानकारी मिलने के बाद बच्ची के परिजनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद आरोपी नाबालिगों को हिरासत में ले लिया गया। दोनों विद्यार्थियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी गयी है। उन्होंने बताया कि आरोपी विद्यार्थियों ने मोबाइल पर अश्लील वीडियो देखकर दुष्कर्म करने के अपराध को स्वीकार कर लिया है।
इस घटना को जानने के बाद शायद आपके पास भी लफ्ज़ नही होंगे। जिस उम्र में बच्चो को खेल और पढ़ाई के अलावा कुछ जानकारी नही होती है। उस उम्र में हमारे लाड प्यार उनके हाथो में मोबाइल थमा देते है। ऐसे में वह उसका कैसा उपयोग कर रहे है, कैसा नही इसके ऊपर भी ध्यान नही रहता है। फिर इसमें खता किसकी कहेगे? माँ-बाप के अरमानो पर घडो पानी पड़ चूका होगा। कसूरवार कौन ? क्या माँ बाप की तरबियत, या फिर मुआशरे का माहोल, जहाँ हम रास्ता चलते अश्लील बाते करने से यह सोच कर भी गुरेज़ नही करते कि महिलाए और बच्चे भी होंगे। सोचने समझने में वक्त गुज़ारने का क्या फायदा, खबर है पढ़ लिया, अगले चौराहे पर फिर मिलते है कि रस्म अदायगी भी हो सकती है।