सलीम शेरवानी ने पार्टी में मुसलमानों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुवे सपा से दिया इस्तीफा
तारिक़ खान
डेस्क: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सासंद सलीम इक़बाल शेरवानी ने रविवार को पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिख कर राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफ़ा दे दिया। माना जा रहा है कि राज्यसभा में पार्टी की ओर से किसी मुस्लिम उम्मीदवार का नाम न शामिल करने को लेकर उनकी नाराज़गी चल रही थी। इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी में अपने राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।
2019 के लोकसभा चुनावों से पहले सलीम शेरवानी सपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे और फिर हार के बाद सपा में लौट आए थे। सलीम शेरवानी ने अपने पत्र में मुसलमानों को नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगाते हुए लिखा है कि ‘पार्टी के साथ उनकी लगातार बढ़ती दूरी के कारण वे अब एक सच्चे रहनुमा की तलाश में हैं। पार्टी में मुसलमान उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और पार्टी के प्रति अपना विश्वास लगातार खो रहे हैं। पार्टी के साथ उनकी लगातार बढ़ती दूरी के कारण वे अब एक सच्चे रहनुमा की तलाश में हैं।’
पत्र में उन्होंने लिखा, ‘एक मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाने का प्रयास बेमानी साबित हो रहा है और कोई भी इसके बारे में गंभीर नहीं दिखता है। लगता है कि विपक्ष सत्ता पक्ष की ग़लत नीतियों से लड़ने की बजाय एक दूसरे से लड़ने में अधिक रुचि रखता है। धर्म निरपेक्षता दिखावटी बन गई है। उत्तर प्रेदश में मुसलमानों ने कभी भी समानता, गरिमा और सुरक्षा के साथ जीवन जीने के अपने अधिकार के अलावा कुछ नहीं मांगा लेकिन पार्टी को यह मांग भी बहुत बड़ी लगती है। पार्टी के पास हमारी इस मांग का कोई जवाब नहीं है।’
उन्होंने लिखा, ‘राज्यसभा के लिए पार्टी द्वारा घोषित उम्मीदवारों में एक मुस्लिम उम्मीदवार होना चाहिए लेकिन लगता है कि आप ख़ुद पीडीए को कोई महत्व नहीं देते।’ उन्होंने अखिलेश यादव से सवाल किया कि ‘आप भाजपा से अलग कैसे हैं?’ उन्हंने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफ़े का ज़िक्र करते हुए कहा है कि अगले कुछ हफ़्तों में वो अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में फैसला लेंगे।