माओवादियों से कथित संबंध के मामले में जेल से बरी किए गए दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफे़सर जीएन साईबाबा

फारुख हुसैन

डेस्क: माओवादियों से कथित संबंध के मामले में बरी किए गए दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफे़सर जीएन साईबाबा नागपुर की सेंट्रल जेल से गुरुवार को बाहर आ गए हैं। 54 साल के साईबाबा व्हीलचेयर से चलते हैं और 99 फ़ीसदी विकलांग हैं। वह पिछले 11 साल से नागपुर की सेंट्रल जेल में थे।

पाँच मार्च को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने जीएन साईबाबा, हेम मिश्रा, महेश तिर्की, विजय तिर्की, नारायण सांगलीकर, प्रशांत राही और पांडु नरोट (अब इस दुनिया में नहीं) को बरी किया था। जीएन साईबाबा साल 2017 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की एक अदालत के फ़ैसले के बाद से जेल में थे। इससे पहले वह साल 2014 से 2016 के बीच भी जेल में रहे लेकिन उस समय बेल पर बाहर आ गए थे।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, जेल से बाहर आने पर जीएन साईबाबा ने मीडियाकर्मियों से कहा, ‘मेरा स्वास्थ्य बेहद खराब है। मैं बात नहीं कर सकता। पहले मुझे इलाज करवाना होगा, तभी मैं बोलने के लायक हो पाऊंगा।’  नागपुर बेंच ने बीते मंगलवार ही साईबाबा की उम्रकैद की सज़ा को ये कहते हुए पलट दिया था कि अभियोजन पक्ष उन पर लगे आरोपों को साबित नहीं कर सका।

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