लद्दाख में चीन के बॉर्डर तक प्रस्तावित मार्च को लेह एपेक्स बॉडी ने वापस लिया
तारिक़ खान
डेस्क: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) ने रविवार को चीन के बॉर्डर तक प्रस्तावित मार्च को वापस ले लिया है। एलएबी ने इल्ज़ाम लगाया है कि प्रशासन ने 07 अप्रैल के प्रस्तावित चीन बॉर्डर मार्च से पहले ही लेह को ‘वॉर ज़ोन’ में बदल दिया है और जिसको देखते हुए प्रस्तावित इवेंट को वापस लिया गया है।
एलएबी का कहना है कि एनफोर्समेंट एजेन्सीज़ के साथ किसी भी टकराव को नज़रअंदाज़ करने के लिए बॉर्डर मार्च को वापस लिया गया है। एलएबी के को-चेयरमैन त्सेरिंग लाकरूक ने बीबीसी को बताया की हालात को देखते हुए आज के प्रस्तावित बॉर्डर मार्च को वापस ले लिया गया है।
उनका कहना था, ‘इस प्रस्तावित बॉर्डर मार्च से पहले ही प्रशासन ने पूरे लेह को सील कर दिया है और लोगों का लेह पहुंचना मुश्किल था। सारी सड़कें बंद कर दी गई हैं। सभी एंट्री पॉइंट्स को बंद किया गया है। प्रशासन चाहता था कि हम पुलिस के साथ झगड़ा करें और फिर बाद में हमारे आंदोलन को बदनाम किया जा सके। इसलिए हमने प्रस्तावित मार्च को वापस ले लिया है। बाक़ी हमारा आंदोलन शान्तिपूर्ण जारी रहेगा।’
PASHMINA MARCH ACHIEVES PURPOSE BEFORE IT STARTS…
People of Ladakh have been fasting in protest for the last 32 days. These have happened in the most peaceful ways through prayers & fasts.The purpose of the Pashmina March was to highlight the plight of the Changpa nomadic… pic.twitter.com/yqAgJEqYzi
— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) April 6, 2024
लद्दाख़ के पर्यावरण कर्यकर्ता सोनम वांगचुक ने कहा कि मार्च होने से पहले ही उनका मकसद पूरा हो गया है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ‘लद्दाख के लोग बीते 32 दिनों से विरोध के तौर पर उपवास कर रहे हैं। पशमीना मार्च का आह्वान चांगपा जनजाति के मुद्दे को सामने लाने के लिए किया गया था क्योंकि चीन की घुसपैठ की वजह से उनकी बहुत सारी ज़मीन चली गई है। इस आह्वान को वापस ले लिया गया है लेकिन प्रदर्शन जारी रहेगा।’
सोनम वांगचुक ने प्रस्तावित बॉर्डर मार्च की घोषणा की थी और बताया था कि इस मार्च के दौरान वो यह दिखाना चाहते हैं कि चीन हमारी ज़मीन में कहाँ तक अंदर आया है। वांगचुक ने एक लंबा अनशन किया था और उसके बाद लद्दाख की महिलाओं ने 10 दिनों का अनशन किया और बीते शनिवार से लद्दाख के युवा अनशन पर बैठ गए हैं। प्रस्तावित बॉर्डर मार्च से दो दिन पहले ही सरकार ने लेह में धारा 144 को लागू कर दिया।
लेह के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में बताया है कि किसी भी व्यक्ति या संगठन को प्रशासन से इजाज़त मांगे बगैर मार्च, प्रदर्शन या रैली की इजाज़त नहीं दी जाएगी। प्रशासन ने कहा कि इस बात की जानकारी मिली है कि लेह ज़िले में शांति का माहौल बिगड़ने का ख़तरा है, जिसके चलते धारा 144 लगाना ज़रूरी है। प्रशासन ने एक दूसरे आदेश में शनिवार शाम से लेह में इंटरनेट स्पीड को 2G मोड में करने का निर्णय लिया है।
सरकार की बंदिशों से लद्दाख़ के लोगों ने नाराज़गी ज़ाहिर की है। गौरतलब है कि लद्दाख़ में बीते तीन महीनों से प्रदर्शन हो रहे हैं। लद्दाख के लोगों की प्रमुख मांगों में राज्य को दर्जा दिये जाने और छठी अनुसूची जैसे मुद्दे हैं। लद्दाख को वर्ष 2019 में जम्मू -कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। केंद्र की बीजेपी सरकार ने उस समय लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची लगू करने का वादा किया था।