भाजपा की लोकसभा प्रत्याशी नवनीत राणा के ’15 सेकेण्ड’ वाले बयान पर बोले ओवैसी ‘विल्कुल मोदी जी के पास अख्तियार है, इनको 15 सेकेण्ड दे दीजिये, मैं तो कहता हु एक घंटा दे दीजिये’
तारिक़ खान
डेस्क: एमआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी के एक पुराने बयान को अमरावती से बीजेपी उम्मीदवार नवनीत राणा ने बुधवार को चुनावी सभा में उठाया गया जिसमे नवनीत राणा ने कहा कि ‘15 मिनट तो दूर 15 सेकेण्ड को पुलिस हटा ले, पता नही चलेगा छोटे-बड़े (अकबरुद्दीन और असद्दुदीन) कहा से आये और कहा गए।’
अब इस बयान पर असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार करते हुवे कहा है कि मोदी जी को अख्तियार है कि वह नवनीत राणा को 15 सेकेण्ड दे दे। हम तो कहते है कि एक घंटा दे दे। ताकि हमको भी पता चले इनके अन्दर कितनी इंसानियत है। एआईएमआईएम ने चुनाव आयोग ने नवनीत राणा के बयान का संज्ञान लेने और सख़्त से सख़्त कार्रवाई करने की मांग की है।
बताते चले कि अमरावती से बीजेपी की लोकसभा प्रत्याशी नवनीत राणा ने कहा, ‘छोटा (अकबरुद्दीन) बोलता है कि पुलिस को 15 मिनट के लिए हटा दो तो हम दिखाएंगे कि हम क्या कर सकते हैं। हम छोटे को बोलते हैं कि तेरे को 15 मिनट लगेंगे, हमें सिर्फ़ 15 सेकेंड लगेंगे। 15 सेकेंड पुलिस को हटा लेना तो छोटे, बड़े (असदुद्दीन) को पता नहीं चलेगा कि कहां से आए और कहां को गए। सिर्फ़ 15 सेकेंड लगेंगे।’
एआईएमआईएम ने चुनाव आयोग ने नवनीत राणा के बयान का संज्ञान लेने और सख़्त से सख़्त कार्रवाई करने की मांग की है। अकबरुद्दीन ओवैसी के बड़े भाई असदुद्दीन ओवैसी ने भी मीडिया से इस बात बात की। ओवैसी ने कहा, ‘मोदी जी को मैं बोल रहा हूं कि 15 सेकेंड दे दीजिए। आप क्या करेंगे। जैसा मुख़्तार के साथ किया वैसा करेंगे, या पहलू और रकबर के साथ जो किया था। बिलकुल मोदी जी के पास अख़्तियार है। दे दीजिए 15 सेकेंड। बल्कि एक घंटा ले लीजिए न। हम भी देखना चाह रहे हैं कि आपके अंदर कितनी इंसानियत बाक़ी है। कौन डर रहा है। हम तो तैयार हैं।’
गौरतलब हो कि अकबरुद्दीन पर 2013 में एक समुदाय के ख़िलाफ़ उकसावे वाला भाषण देने का केस चला था। अकबरुद्दीन ओवैसी ने दिसंबर 2012 में एक सभा के दौरान कहा था कि 15 मिनट के लिए पुलिस हटा दीजिए, फिर हम आपको बताएंगे। उन्हें आठ जनवरी 2013 को ‘देशद्रोह और राष्ट्र के विरुद्ध युद्ध छेड़ने’ के अभियोग में गिरफ़्तार किया गया था। वे 40 दिन तक जेल में बंद रहे थे। अप्रैल 2022 को अकबरुद्दीन को साक्ष्यों के अभाव का हवाला देते हुए अदालत ने बरी कर दिया था।