अखिलेश की इफ्तार पार्टी में नहीं शामिल हुए, मुलायम, शिवपाल, आज़म

(जावेद अंसारी)

समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यालय पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा आयोजित की गई इफ्तार पार्टी में दिखी गंगा-जमुनी तहजीब व इफ्तार पार्टी में रोजा खोलते रोजेदार, इस इफ्तार कार्यक्रम में पुर्व केबीनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी, खालिद रशीद फरंगी महली, जफरयाब जीलानी जैसे मुस्लिम नेताओं के अलावा सपा नेताओं अहमद हसन, किरणमय नन्दा समेत बड़ी संख्या में पार्टी नेताओं ने शिरकत की। रमाज़ान के पाक महीने में एक साथ हिन्दू मुस्लिम भाइयों ने जैसे ही अल्लाहु अक्बर की अज़ान सुनी पूरा मजमा खजूर से रोज़ा इफ्तार किया, अफ्तारी इतनी लाजवाब थी कि इफ्तार पार्टी को लेकर लुट मच गई।

समाजवादी पार्टी के रोजा इफ्तार कार्यक्रम में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और वरिष्ठ नेता आजम खां ने शिरकत नहीं की। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ से पार्टी प्रदेश कार्यालय पर आलीशान इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया, लेकिन सबकी निगाहें इस बात पर लगी थीं कि इसमें सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव, आजम खां और अखिलेश के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी चाचा शिवपाल यादव शरीक होते हैं या नहीं।इस इफ्तार पार्टी में मुलायम, आजम और शिवपाल ने शिरकत नहीं की।इससे अखिलेश और मुलायम खेमे की आपसी नाराजगी एक बार फिर जाहिर हो गयी।

गौरतलब है कि समाजवादी परिवार में रार के बाद उत्तर प्रदेश की सत्ता से बेदखल होने वाली समाजवादी पार्टी में फिलहाल तो कुछ ठीक होने की स्थिति में नहीं है। पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अब देश के राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर एकमत नहीं दिख रहे हैं। मुलायम जहां अब खुलकर एनडीए के पक्ष में हैं, वहीं अखिलेश की राय जुदा है। मुलायम सिंह यादव तथा अखिलेश यादव एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। अगले राष्ट्रपति चुनने को लेकर चुनाव अगले महीने होने जा रहा है। इस बाबत तमाम दल अपने-अपने समीकरण बनाने में लगे हैं। 
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में भी काफी गर्मागर्मी है। प्रदेश में सत्ता पर काबिज रही समाजवादी पार्टी भी इस चुनाव से अछूती नहीं रही है। पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को नजरअंदाज करते हुए कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में समाजवादी पार्टी एनडीए को समर्थन देगी। इसके बाद मुलायम-अखिलेश आमने सामने आते दिखाई दे रहे हैं।अपनी राय के बाद मुलायम सिंह ने एनडीए के सामने शर्त रखी है कि उम्मीदवार कट्टर भगवा चेहरा न हो। इसके साथ ही सभी का समर्थन भी उस उम्मीदवार को प्राप्त होना चाहिए।

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