VDA के वीसी साहब…! बेनिया तिराहे पर हो रहा ये निर्माण देखने में तो अवैध लगता है, ऐसे नियम विरुद्ध निर्माण हेतु स्थानीय जेई साहब की आँख बंद करने के लिए कितना खर्च होगा…?
तारिक आज़मी
वाराणसी: वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष शहर के अवैध निर्माण पर सख्त होने की बाते और दावे करते रहते है। मगर दावो की हकीकत क्या है यह किसी से छिपा नही है। होने को तो बम्पर कार्यवाही की पूरी फाइल बनी हुई पड़ी है। मगर कागजों से हुई इस कार्यवाही को रंगीन कागजों से दबाया भी जाता है ऐसा हमारे विभाग में मौजूद सूत्र बताते है।
आपको अगर हमारी बातो पर यकीन नही है तो आइये आप बेनिया बाग़ तिराहे पर होता हुआ यह निर्माण कार्य देख ले। सतुआ बाबा आश्रम की संपत्ति पर होते इस निर्माण में स्थानीय एक बिल्डर साझेदार है ऐसा स्थानीय चर्चाओं में है। अब दमदार बिल्डर और नाम मिल गया सतुआ बाबा का तो समझ ले सोने पर सुहागा हो गया है। सतुआ बाबा का बोर्ड सामने लगा कर ‘मनमाना घर जाना’ जैसा काम जारी है।
स्थानीय चर्चाओं के अनुसार इसका नक्शा पास है। मगर बड़ा सवाल ये है कि अगर नक्शा पास है तो फिर कैसे ऐसा नक्शा पास हो गया? शायद रंगीन कागजों का दबाव बना होगा नक़्शे पर और भारी हो गया होगा तो पास हो गया नक्शा। मौजूद स्ट्रक्चर बताता है कि बेसमेंट में दुकाने निकलेगी। बी+जी+3 बन चूका है और कल देर रात चौथे तल्ले पर स्लैब ढल चूका है। वैसे पिछले कुछ दिनों से काम बंद था और मिली सूत्रों से जानकारी के अनुसार नोटिस भी विभाग ने थमा रखा है।
भवन के मौजूदा स्ट्रक्चर को देखे तो फ्रंट पर इसके मुख्य मार्ग है। संपत्ति के दक्षिण और पश्चिम जानिब 5 और 7 फिट की गली है। नक़्शे के नियमो के अनुसार सेट बैक तीन तरफ छूटना चाहिए। मगर मौके पर मुख्य मार्ग पर दिखाने के लिए सेटबैक छूटा है मगर गलियों में सेटबैक छोड़ना तो दूर रहा बिल्डर साहब का बस नही चला वरना तीन चार फुट पडोसी के घर में घुस जाते। सेट बैक की क्या बात करना। जबकि भवन के लिए मार्ग तीनो तरफ से खुलेगा ऐसा भवन का स्ट्रक्चर बता रहा है।
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर कैसे ऐसे मुख्य मार्ग पर सम्भव है। तो यह संभव हो गया और सभी सिर्फ खुली आँखों से देख रहे है। जब स्थानीय जेई और जोनल की आँखों पर रंगीन कागजों का चश्मा लगा हो तो सब कुछ होना संभव है। रंगीन चश्मे के बाद आँखे खुली रहती है, बस देखना कुछ नही रहता है। कान एकदम पूरी तरह खुले रहते है, बस सुनना कुछ नही है। हाथ है, मगर हाथो के कलम की सियाही खामोश रहे। तनिक बोली तो बमचक हो जायेगा।
अब मौजूदा नवय्यत जानकार विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष साहब के दावो की असली नवय्यत जान सकते है। होना क्या है? कुछ ख़ास नही, हो सकता है कि कल सुबह होने पर वाराणसी विकास प्राधिकरण में थोड़ी चर्चा उठे। थोड़ी देर के लिए बाते हो। थोडा जेई साहब मौके पर शायद आये और फिर वह बिल्डर को फोन करे और फिर ‘आल इज वेल’ लिख कर इस बात को साबित कर दे कि फाइलो में शहर के मौसम अभी गुलाबी है। सब कुछ फिर पहले जैसा होगा।
बेशक अगर ये संपत्ति आम नागरिक की होती, या फिर कोई गरीब इसके ऊपर अपने झोपड़े का निर्माण कर रहा होता तो क़यामत क्या होती है यह वाराणसी विकास प्राधिकरण दिखा देता। नोटिस दर नोटिस, सील और फिर ज़रूरत पड़ने पर भारी जुर्माना आदि तमाम कार्यवाही हो जाती। मगर यहाँ नाम सतुआ बाबा का है, काम दमदार, शानदार और समझदार बिल्डर का है, तो ‘आल इज वेल’ कहना ही पड़ता है। इस हकीकत को जानकार भले वीसी साहब कुछ भी कहे, मगर साहब सच बताये आपको……!, आपकी सख्ती गरीबो और आम नागरिको के लिए है। यहाँ आपकी सख्ती खुद सॉफ्ट हो जाएगी।