6 दिसंबर 1992: क़यामत की एक सुबह, पढ़े किस तरह से बना था विनय कटियार का घर राजनितिक गतिविधियों का केंद्र

तारिक आज़मी

डेस्क: बचपन जाने की तैयारी में था और जवानी अभी आने को तैयार नही थी। ज़िन्दगी किताबो की चंद लाइनो और ब्लैक एंड वाइट टीवी के साथ थी, जिस पर दूरदर्शन और कभी कभी पीटीवी आ जाता था। कान उमेठने के बाद दूरदर्शन और फिर उसकी झिलमिल तस्वीरो को साफ़ करने के लिए टीवी का कान बार बार उमेठ देने की प्रक्रिया के बीच कभी कभी पीटीवी पकड़ लेता था। इसी दरमियान आई थी वह क़यामत की एक सुबह 6 दिसंबर 1992 का दिन था।

सुबह चढ़ने के बाद ही सड़के तो सन्नाटी हो रही थी। मगर परचून की दुकानों पर कतार लम्बी थी। लोग राशन खरीदने में व्यस्त थे। यह वह दौर था जब बनारस में कर्फ्यू भी त्योहारों की तरह आते थे। लड़कपन की उस उम्र में नून रोटी तो नहीं समझ आती थी, मगर ऐसा अहसास तो था ही कि शायद कोई क़यामत आने वाली है। दिन चढ़ने लगा और रेडियो ऐसा लगता था जैसे और भी सनसनाहट फैला रहा है। रेडियो पर आती हुई सुमधुर आवाज़ कानो को इत्तेला देती थी कि अयोध्या में फिजा ख़राब हो रही है।

धीरे धीरे करके शाम होने लगी। पुरे दिन अघोषित कर्फ्यू जैसा गुजरने के बाद अँधेरा होते ही पुलिस की जीप कर्कश आवाज़ में कर्फ्यू की घोषणा कर चुकी थी। लोग दूरदर्शन पर समाचार का इंतज़ार कर रहे थे। खबरों को तलाशने की कोशिश थी कि आखिर अयोध्या में हुआ क्या? दूरदर्शन ने खबर दिया कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद के एक गुम्बद को क्षति पहुची है। मगर उसके थोड़ी देर बाद ही इस बात का एलान पीटीवी ने कर दिया कि ‘तवारीखी बाबरी मस्जिद शहीद हुई।’ इसके बाद दिसंबर की सर्द रातो में लोग अपने छतो पर थे। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में निवास होने के कारण ऐसा महसूस हो रहा था जैसे दुखो का पहाड़ टुटा हो।

क़यामत का दिन गुज़र चूका था। पुरे मुल्क को दंगे की आग में झोक चूका था। जगह जगह से खबरे दंगे की आ रही थी। अखबार छपने के साथ ही तकसीम हो रहे थे। अखबारों की बिक्री बढ़ी हुई थी। कुछ ऐसा था दिसंबर 1992 जो गुज़र तो चूका है, मगर उस दिन की यादे दिमाग में एक सनसनी पैदा आज भी कर देती है। बेशक बाबरी मस्जिद तवारीखी थी, मगर किसी को इसका अहसास नही था जो वहाँ पर उस दिन हुआ। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में अपना अब्ज़र्वेर नियुक्त कर रखा था। पैरामिलेट्री की तैयारी थी। केंद्र में कांग्रेस और प्रदेश में भाजपा सरकार में थी।

6 दिसंबर, 1992। अयोध्या में बाबरी विध्वंस किया गया। वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा की किताब ‘यु्द्ध में अयोध्या’ में उस दिन का पूरा किस्सा आज भी दर्ज है। हेमंत शर्मा उन दिनों ‘जनसत्ता’ का प्रतिनिधित्व करते थे और बाबरी विध्वंस के वक्त मौके पर मौजूद थे। हेमंत शर्मा लिखते हैं ‘सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में सांकेतिक कारसेवा की इजाज़त दी थी। इसके लिए लाखों कारसेवक यहां पहुंच चुके थे। तनाव चरम पर था। और उस दिन राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र था विश्व हिंदू परिषद के नेता विनय कटियार का घर। यहीं बीजेपी और वीएचपी के सारे नेता जुटे। यहां से विवादित स्थल पर पहुंचे। मुख्यमंत्री कल्याण सिंह लखनऊ से और प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव दिल्ली से हालात का जायजा ले रहे थे।

हेमंत शर्मा ने अपनी किताबो में जो ब्यौरा लिखा है उसके अनुसार कुछ इस तरीके से अयोध्या में दिन पूरा गुज़रा कि सुबह 7:00 बजे विहिप नेता विनय कटियार अयोध्या में अपने घर ‘हिंदू धाम’ में थी उस वक्त उनके पास प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव का फोन आता है। प्रधानमंत्री कटियार से बात करके हालात का जायजा लेते हैं। विनय कटियार उनको आश्वस्त करते हैं कि कारसेवा प्रतीकात्मक होगी, जैसा कल तय हुआ था, आप निश्चिंत रहें। जिसके बाद 8:00 बजे विनय कटियार के घर बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी पहुंचते हैं। अशोक सिंहल यहां पहले से मौजूद थे। सबने साथ नाश्ता किया। कारसेवकों को कैसे काबू में रखा जाए, इस पर रणनीति बनी।

किताब में ज़िक्र है कि कारसेवकों की बढ़ती संख्या इनकी चिंता का कारण थी। 8:30 बजे विनय कटियार के घर पर मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने तीनों नेताओं से फोन पर बात की। और स्थिति संभालने का आग्रह किया। अनहोनी की आशंका से कल्याण सिंह चिंतित थे। 9:00 बजे फैजाबाद सर्किट हाउस में जिलाधिकारी और एसएसपी के साथ सुप्रीम कोर्ट ऑब्जर्बर तेजशंकर के साथ बैठक होती है। जिसके बाद 9:30 बजे केंद्रीय गृह सचिव माधव गोडबोले ने आईटीबीपी यानी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के महानिदेशक से कहा कि वे केंद्रीय बलों के साथ तैयार रहें। जैसे ही राज्य सरकार उनकी मदद मांगे, वे केंद्र सरकार के औपचारिक आदेश के बिना कूच करें। आईटीबीपी के महानिदेशक फैजाबाद में ही कैंप कर रहे थे।

हेमंत शर्मा की किताब में ज़िक्र है कि 10:00 बजे जिस विवादित चबूतरे पर प्रतीकात्मक कारसेवा यज्ञ और हवन के रूप में होनी थी, वहां आडवाणी, जोशी को देख कारसेवक भड़क गए। नारेबाजी होने लगी। कारसेवकों ने पहली बार बाड़ तोड़ी। 11:30 बजे रामकथा कुंज में कोई एक लाख कारसेवकों की मौजूदगी की खबर दिल्ली को लगी। यहां नेताओं के भाषण चल रहे थे। मंच पर बीजेपी, विश्व हिंदू परिषद और संघ के शीर्ष नेता मौजूद थे। चौतरफा उत्तेजना थी, लेकिन सब काबू में। 12:00 बजे गृह मंत्रालय को आईबी के जरिए सूचना मिली कि 200 कारसेवक विवादित इमारत में जबरन घुस गए हैं। राज्य पुलिस और पीएसी उन्हें रोक नहीं पाई।

ज़िक्र है कि सुचना दिया गया कि स्थानीय अफसरों ने भी कोई दखल नहीं दिया। कारसेवकों ने तोड़-फोड़ शुरू कर दी है। ये सूचना प्रधानमंत्री नरसिंह राव और गृह मंत्री एसबी चव्हाण को तुरंत दी गई। आईबी ने मानस भवन के एक कमरे में तीन कैमरे लगा रखे थे। जहां से पूरे दिन की उन्होंने वीडियो रिकॉर्डिंग की थी। बाद में यही रिकॉर्डिंग सीबीआई जांच का आधार बनी। 12:10 बजे केंद्रीय गृह सचिव ने यूपी के मुख्य सचिव को फोन किया। लेकिन बात नहीं हो पाई। तब राज्य के पुलिस महानिदेशक से कहा कि वे तुरंत फैज़ाबाद में तैनात केंद्रीय बलों का इस्तेमाल करें। इसके बाद 12:25 बजे गृहमंत्री एसबी चव्हाण ने मुख्यमंत्री कल्याण सिंह से बात की। और ढांचे पर हमले की चिंता जता, उनसे फौरन कार्रवाई करके ढांचे को खाली कराने की अपील की। गृहमंत्री ने मुख्यमंत्री से कहा, आप केंद्रीय बलों का इस्तेमाल करें। कल्याण सिंह बोले, हमें परस्पर विरोधी खबरें मिल रही हैं। मैं मामले की जांच कर आपको बताता हूं। लेकिन कल्याण सिंह ने गृहमंत्री को दुबारा फोन नहीं किया।

इस बात का भी ज़िक्र है कि इसके बाद 12:30 बजे मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने अयोध्या कंट्रोलरूम से संपर्क साधा और कमिश्नर से बात की। उनसे जो कुछ चल रहा था, उस पर अपना गुस्सा जताया। साथ ही ये भी कहा, बिना गोली चलाए हालात को संभालें। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के पर्यवेक्षक तेजशंकर ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को बताया कि ढांचे पर कुछ कारसेवक चढ़ गए हैं। वैसे कोई स्थाई निर्माण नहीं हो रहा है। असल में तेजशंकर स्थाई निर्माण पर नज़र रखने के लिए आए थे। जबकि वहां तो ध्वंस हो रहा था।

12:40 बजे आईटीबीपी के महानिदेशक ने गृह मंत्रालय को सूचित किया कि ढांचे को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। लेकिन यूपी पुलिस कोई एक्शन नहीं ले रही है। रैपिड एक्शन फोर्स की 2 बटालियन कार्रवाई के लिए तैयार हैं। दोनों बटालियनें फैजाबाद के डोगरा रेजिमेंटल सेंटर में राज्य सरकार के मजिस्ट्रेटों का इंतजार कर रही हैं। जिसके बाद 1:00 बजे केंद्रीय गृहमंत्री ने यूपी के राज्यपाल बी सत्यनारायण रेड्डी से बात की। उन्हें बाबरी ढांचे पर हमले की सूचना दी। और उन्हें ढांचे को बचाने के लिए दखल देने को कहा। 1:15 बजे डीएम फैजाबाद, ने डीआईजी सीआरपीएफ से 50 कंपनी केंद्रीय बलों की मांग की। महानिदेशक आईटीबीपी ने जिला प्रशासन से इन केंद्रीय बलों के लिए मजिस्ट्रेट मांगे। असल में कानून के तहत मजिस्ट्रेट के बिना सुरक्षा बल आगे नहीं बढ़ सकते।

1:30 बजे अयोध्या कंट्रोलरूम को मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का लिखित संदेश  मिलता है कि गोली नहीं चलेगी। उसके बिना विवादित परिसर खाली कराएं। 1:40 बजे केंद्रीय बलों को लाने के लिए एक मजिस्ट्रेट और सर्किल अफसर फैजाबाद के डोगरा रेजिमेंटल सेंटर पहुंचे। 1:50 बजे आईटीबीपी के महानिदेशक ने गृह मंत्रालय से फिर कहा, ढांचे को काफी नुकसान पहुंचा है। पर यूपी पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है। केंद्रीय बलों की तीन बटालियनें मजिस्ट्रट के साथ अयोध्या के लिए रवाना हो गईं।

इसके बाद 2:00 बजे गृहमंत्री चव्हाण ने मुख्यमंत्री कल्याण सिंह से बात करके फिर पूछा कि ढांचे की हिफाजत के लिए अब तक क्या किया? कल्याण सिंह ने कहा, वे पूरी तरह ढांचे को बचाने की कोशिश में लगे हैं। पर गोली चलाने से मना किया है। 2:20 बजे डीजी आईटीबीपी ने गृह मंत्रालय को सूचित किया कि फैजाबाद कैंप से चली अर्धसैनिक बलों की तीनों बटालियनों को विरोध और बाधाओं का सामना करना पड़ा है। रास्ते में लोगों ने बाधाएं खड़ी कर सड़क रोक रखी है। पथराव की घटना भी हुई। तब मजिस्ट्रेट ने उन्हें लिखकर दिया कि वे वापस लौट जाएं। तीनों बटालियनें वापस लौट गईं। स्थिति जस की तस बनी हुई थी।

किताब में ज़िक्र है कि 2:30 बजे केंद्रीय गृहसचिव यूपी के डीजीपी से कहा, केंद्रीय बलों को लोकल अफसरों ने वापस कर दिया है। आप उन्हें हिदायत दें कि वे सुरक्षा बलों का इस्तेमाल करें। जिसके बाद 2:40 बजे केंद्रीय गृहसचिव ने रक्षा सचिव से बात कर कुछ हेलीकॉप्टर तैयार रखने को कहा, ताकि जरूरी हो तो केंद्रीय बल हवाई मार्ग से जा सकें। उनसे एक-दो ट्रांसपोर्ट जहाज भी तैयार रखने को कहा। 2:50 बजे आईबी ने गृह मंत्रालय को सूचित किया कि ढांचे का पहला गुंबद गिर गया है। स्थिति तेजी से बिगड़ रही है। अयोध्या में सांप्रदायिक वारदातें भी शुरू हो गई हैं। दंगे भड़कने की आशंका है। केंद्रीय बल मौके पर जाने में असमर्थ हैं।

इसी किताब में हेमंत शर्मा ने ज़िक्र किया है कि डीजीपी उत्तर प्रदेश ने सूचित किया बिना फायरिंग अब स्थिति को काबू में नहीं रखा जा सकता। इसके लिए मुख्यमंत्री से आदेश लिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने अब तक कोई आदेश नहीं दिया है। रामकथा कुंज के मंच पर आडवाणी, जोशी और सिंहल फिर आए। तीनों काफी चिंतित दिख रहे थे। उमा भारती खुशी से उछल रही थीं। वे खुशी में डॉ0 जोशी की पीठ पर चढ़ गईं। जिसके बाद रेसकोर्स रोड पर प्रधानमंत्री निवास में प्रधानमंत्री के निजी डॉक्टर के श्रीनाथ राव की तबीयत देखने दोबारा आते हैं। सुबह वे आकर जा चुके थे। रेड्डी बताते हैं, राव का ब्लडप्रेशर बढ़ा हुआ था। चेहरा लाल था। वे काफी उत्तेजित थे। उनकी धड़कन और नाड़ी तेज थी। वे कुछ बोल नहीं रहे थे। आमतौर पर वे मुझसे तेलुगू या अंग्रेजी में बात करते थे। पर आज कुछ नहीं कहा।

इसके बाद 4:30 बजे केंद्रीय गृह सचिव ने सभी राज्यों के गृह सचिवों, पुलिस महानिदेशकों से कहा कि सांप्रदायिक स्थिति पर नजर रखें। अगर स्थिति बिगड़ती है तो केंद्र की मदद लें। सैन्य अधिकारियों से भी सीधे मदद ली जा सकती है। गृह सचिव ने सेनाध्यक्ष और रक्षा सचिव से कहा, स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए सेना तैयार रहे। मगर इसी बीच 4:40 बजे बाबरी मस्जिद का मुख्य गुंबद भी गिर गया। इसे विश्व हिंदू परिषद गर्भगृह कहती है। हेमंत शर्मा ने किताब में लिखा है कि सारे स्थानीय अफसर अब अपनी जगह छोड़ भाग खड़े हुए। रामकथा कुंज में सिर्फ कुछ साधु-संत थे। आचार्य धर्मेंद्र, साध्वी ऋतंभरा आदि कारसेवकों को ललकार रहे थे। कारसेवक भी लौटने लगे। पूरा परिसर विचारहीन दिमाग की तरह खाली दिखने लगा।

5:00 बजे अयोध्या में रहने वाले मुसलमानों पर हमले शुरू हो गए। उनके घर और दुकानें जलाई जाने लगीं। अयोध्या से लौटते कारसेवकों का ये कारनामा था। इन वारदातों में कई मुस्लिम मारे गए। स्थानीय बाबरी नेता हाजी महबूब से विवाद के बाद एक कारसेवक के गायब होने की अफवाह के बाद यह हिंसा भड़की। इसके बाद डॉ0 मुरली मनोहर जोशी ने अपने हाथ से एक अपील लिखी। इसमें  विवादित इमारत ध्वस्त करने पर कारसेवकों को बधाई दी गई। कारसेवकों से अनुरोध किया गया कि वे अयोध्या के मसलमानों के घरों और दुकानों पर हमला न करें, क्योंकि अयोध्या के मुसलमानों से उनकी कोई दुश्मनी नहीं है।

जोशी ने ये लेटर विधायक लल्लू सिंह के पास इस निर्देश के साथ भेजा था कि वे जीप से घूम-घूमकर कारसेवकों से अपील करें। पर कारसेवकों के गुस्से को देख लल्लू सिंह पहले मौके से अंतर्ध्यान थे। वे प्रशासन को नहीं मिले। 5:30 बजे कारसेवक बस स्टेशन, रेलवे स्टेशनों की ओर लौट रहे थे। सभी के हाथ में ध्वस्त इमारत की ईंट, बैरिकेडिंग के पाइप और मलबे के टुकड़े थे। कारसेवक विजय के स्मृतिचिह्न ले जा रहे थे। तब तक मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का इस्तीफा हो चुका था। 5:30 बजे केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यूपी की इस्तीफा दे चुकी सरकार को बताया कि सेना तैयार है। जिलाधिकारी चाहें तो सेना भेजी जा सकती है। गृह मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय से कहा कि तीन एएन-12 जहाज लखनऊ हवाई अड्डे पर तैयार रखें।

इसके बाद 5:40 बजे फैजाबाद के केंद्रीय कैंप में अब तक अर्धसैनिक बलों की मांग वाला कोई लेटर फैजाबाद जिला प्रशासन ने नहीं भेजा था। 6:00 बजे फैजाबाद में अर्धसैनिक बलों के कैंप में एक एडीएम बिना मजिस्ट्रेट के पहुंचे और 50 में से 6 कंपनी सुरक्षा बल अपने साथ ले गए। 6:45 बजे बाबरी के समतल चबूतरे पर एक तंबू में रामलला की मूर्तियां रख दी गईं। अस्थाई ढांचे का निर्माण शुरू कर दिया गया। 7:00 बजे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यूपी सरकार को बर्खास्त करने, विधानसभा भंग कर राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी।

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