VDA के वीसी साहब….! सीके 65/198 और 206 में 8 हज़ार वर्ग फिट में बन रहा ये इतना गहरा बेसमेंट कही किसी दुर्घटना का सबब न बन जाए ? भाजपा के नाम पर क्या बिल्डर सब कुछ कर लेगा? बेसमेंट के गहराई का वीडियो देख ले साहब
तारिक आज़मी
वाराणसी: वाराणसी विकास प्राधिकरण के वीसी साहब के दावे है कि शहर में एक भी अवैध निर्माण नही हो रहा है। कार्यवाहियों को भी दिखाया जाता है कि कितनी कार्यवाही हो रही है। मगर हकीकत अगर देखा जाए तो वाराणसी विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार अपनी जड़े जमा चूका है और खत्म होना असंभव सा दिखाई देता है। जिस निर्माण को दुनिया एक नज़र में देख कर अवैध घोषित कर डाले उसके ऊपर विकास प्राधिकरण के जोनल और जेई की निगाह नही पड़ती है।
ऐसा ही एक मामला चौक जोन के पियरी इलाके का है। पियरी से चेतगंज मार्ग पर स्थित सीके 65/198 और सीके 65/206 पर लम्बे समय से अवैध निर्माण हो रहा है। स्थानीय नागरिक किसी घटना दुर्घटना से भयभीत है और इसके सम्बन्ध में वीडीए से शिकायत कर रहे है। मगर जाँच तो साहब स्थानीय जेई और जोनल को करना है। तो जाँच रिपोर्ट साहब के टेबल पर वही जाएगी जो जोनल और जेई अपने चश्मे से वीसी साहब को दिखायेगे। रही वीसी साहब की बात तो वह उसी चश्मे से संतुष्ट है जिससे जोनल और जेई उनको दुनिया दिखा रहे है।
स्थानीय निवासियों ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया कि इस भवन में 8 हज़ार वर्ग फिट का डबल स्टोरी बेसमेंट बन रहा है जो आसपास के भवनों के लिए बड़ा खतरा है साथ ही साथ पास में स्थित शीतला माता मदिर पर भी खतरा है। मगर बिल्डर की ऊँची पहुच के कारण हमारी शिकायतों पर कोई सुनवाई नही होती है। एक स्थानीय निवासी ने तो दावा किया कि उन्होंने लिखित शिकायत किया तो बिल्डर के लोग उसको ही धमकी दे बैठे और गोपनीय शिकायत की गोपनीयता भी उजागर हो गई।
हाल कुछ ऐसी है कि स्थानीय जेई और जोनल की संदिग्ध भूमिका के कारण यह निर्माणाधीन भवन कभी भी किसी बड़ी घटना दुर्घटना का कारण बन सकता है। मगर वाराणसी विकास प्राधिकरण तो किसी घटना दुर्घटना का इंतज़ार करता है कार्यवाही उसके बाद होती है। जब तक कोई घटना नही घटित होती है तब तक रसमलाई का लुत्फ़ लिया जाता है। जैसे ही किसी घटना का शिकार निर्माण हुआ तो पाला बदल लिया जाता है।
ऐसे एक नही कई उदहारण इसी शहर के अन्दर आपको दिखाई दे जायेगे। ऐसा ही एक बेसमेंट वर्ष 2017 में इसी चौक जोन में बन रहा था जो बाद में बड़ी चर्चा का केंद्र बना और पुरे वाराणसी विकास प्राधिकरण में खलबली मच गई थी। ताबड़तोड़ तबादले हुवे। मगर धीरे से करके सब कुछ इसी ढर्रे पर आ गया जिसके तहत ‘आल इज वेल’ वीसी साहब देखते है क्योकि चश्मा उनके जेई और जोनल का होता है। जेई और जोनल के आँखों पर पट्टी रहती है। सब कुछ चलता रहता है।
वैसे पत्रकारिता के नियम कहते है कि हमको वाराणसी विकास प्राधिकरण का बयान भी लिखना चाहिए। मगर आखिर उनका बयान कैसे लिखे जिनकी पूरी कार्यशैली ही इस जगह सवाल नही बल्कि सवालों के घेरे में है। भूमिका संदिग्ध कहना शायद छोटा लफ्ज़ होगा, भूमिका पूरी है ये कहना कही से गलत नही होगा। शिकायत की एक प्रति हमको भी स्थानीय नागरिको ने प्रदान किया है। मगर हकीकत ये है कि साहब इस शिकायत की फाइल ठन्डे बस्ते में दिखाई देगी, इसके अलावा कुछ होना नहीं है।
बताया जाता है कि इस भवन में सत्तारूढ़ दल भाजपा से जुड़े हुवे कई बिल्डर है। इन बिल्डर के द्वारा सत्ता का जमकर नाम भजा लिया जाता है। सहयोग करने के लिए दो चार फोन लखनऊ से सत्तारूढ़ दल के नेताओं का आ जाता है तो बात फिर और भी ठन्डे बस्ते में चली जाती है। फिर किसी की जान की क्या कीमत है ? खुद ही कोतवाल और खुद ही न्यायधीश बनकर फैसला सुना दिया जाता है। फाइल ठन्डे बसते में चली जाती है। इतिहास गवाह है कि आज तक इस बिल्डर का भाजपा के शासन में कुछ नही हुआ, तो अब क्या होगा। वीसी साहब के अधीनस्थ कागज़ी घोड़े दौडाते रहते है तो दौड़ा रहे है।
वैसे वीसी साहब आपको यकीन नही हो तो खुद देख लीजियेगा कि कल आप इसके सम्बन्ध में जांच हेतु कहेगे, मौके पर पहले सुपरवाइज़र और फिर जेई जायेगे, बिल्डर से माल ठंडा करके खायेगे और फिर सब कुछ ठीक है कहकर आपको वही दुनिया दिखायेगे जो दिखाना चाहते है। साथ ही यह भी पक्का है कि आप उसी दुनिया को देखेगे जिसको वह दिखायेगे। बकिया कोई बड़ी कार्यवाही आपके तरफ से हो इसकी उम्मीद हम तो नही रखे हुवे है।