वाराणसी स्मार्ट नगर निगम के अलाव व्यवस्था को कर्णघंटा के नागरिको ने दिखाया आईना, कडाके की ठण्ड में नगर निगम न कर सका अलाव की व्यवस्था तो स्थानीय नागरिको ने खुद लगवा दिया अलाव
तारिक आज़मी
वाराणसी: वाराणसी नगर निगम खुद को स्मार्ट होने का दावा कागजों पर करता है या फिर उसके स्मार्ट होने की तत्बीर ज़मीनी स्तर पर भी दिखाई देती है, इसका अगर कोई प्रमाण चाहिए तो आप वाराणसी नगर निगम की अलाव व्यवस्था को ध्यान से देखे। कडाके की इस ठण्ड में शहर में कई जगहों पर अलाव की व्यवस्था का दावा नगर निगम ने अपने कागजों में कर रखा है।
मगर हकीकत के रूबरू आप देखेगे तो दावो के मद्देनज़र चंद जगहों पर गीली लकड़ी की सप्लाई करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लिया गया है। बाकि लड़कियां किस टाल पर गई इसको तो ज़िम्मेदार ही जान सकते है। कहने को कागजों पर भारी भरकम संख्या में शहर में अलाव की व्यवस्था का दावा तो है ही। मगर सड़क पर ठण्ड से सुसुआती इंसानी ज़िन्दगी से लेकर बेजुबान जानवरो की ज़िन्दगी तक की परवाह किसको होगी भला? घर पर तो आराम से ब्लोवर है और दफ्तर में हीटर गर्मी तो दे ही रहा है।
नगर निगम के दावो को आईना दिखाया वाराणसी के चौक इलाके में स्थित कर्णघंटा के आम नागरिको ने। ठण्ड से कपकपाती इंसानियत और बेज़ुबान जानवरों की तकलीफ जब दिनेश श्रीवास्तव, राजू अहमद, आरिफ अहमद, राजा और उनके साथियो को नहीं सहन हुई तो खुद के पैसो से एक दो नहीं बल्कि तीन तीन जगह अलाव की व्यवस्था करवा दिया। अलाव भी गीली लकडियो का नहीं बल्कि सुखी लकडियो का ताकि धुआ न उठा और प्रदुषण न हो। पिछले दो दिनों से जल रहे इस अलाव की आंच शायद नगर निगम के व्यवस्थाओं की कलई न खोले, मगर कम से कम इंसानियत जो ठण्ड से काँप रही है, और बेजुबान जानवर जो ठण्ड से आसरा तलाश रहे है के लिए तो राहत है।