हिंदूवादी संगठन विहिप के कार्यक्रम में मुस्लिमो के खिलाफ दिए गए इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर यादव के विवादित बयान पर सीजेआई ने माँगा ताज़ा रिपोर्ट
मो0 कुमेल
डेस्क: बीते दिसंबर महीने में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के एक कार्यक्रम में मुसलमानों के खिलाफ दिए गए विवादित भाषण मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से ताज़ा रिपोर्ट मांगी है। अब मुख्य न्यायाधीश के इस नए कदम को एक आंतरिक जांच प्रक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है, जो न्यायाधीशों के कदाचार से संबंधित मामलों में उठाए जाने वाले पहले कदम के रूप में समझा जा सकता है।
मालूम हो कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए इससे पहले हाईकोर्ट से विवरण मांगा था। इस संबंध में भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अगुवाई वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बीते महीने दिसंबर में जस्टिस शेखर कुमार यादव से मुलाक़ात भी की थी। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इस मामले को लेकर ताज़ा घटनाक्रम में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली को पत्र लिखकर रिपोर्ट पर अपडेट तलब की है।
इससे पहले कॉलेजियम ने 17 दिसंबर 2024 को जस्टिस यादव से मुलाकात की थी और हिंदुत्व कट्टरपंथी संगठन के कार्यक्रम में उनकी टिप्पणियों पर स्पष्टीकरण मांगा था, जहां उन्होंने मुस्लिम समाज में ‘बुराइयों’ के कई संदर्भ दिए थे। एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस बैठक के बाद जस्टिस यादव ने कोई माफी या स्पष्टीकरण जारी नहीं किया है। ज्ञात हो कि जस्टिस यादव ने 8 दिसंबर को विहिप के कार्यक्रम में कहा था कि भारत केवल ‘बहुसंख्यक समुदाय’ की इच्छानुसार चलेगा।
उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लिए ‘कठमुल्ला’ जैसे आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग करते हुए सांप्रदायिक भाषण दिया था। यादव ने यह भी कहा था कि मुस्लिम बच्चे हिंसा और पशु वध देखते हुए बड़े होते हैं, इसलिए उनमें सहिष्णुता और उदारता नहीं होती। जस्टिस शेखर कुमार यादव ने सवालिया लहजे में कहा था कि हिंदू अपने बच्चों को जन्म से ही सहिष्णुता और दया सिखाते हैं। हम उन्हें जानवरों और प्रकृति से प्रेम करना सिखाते हैं। हम दूसरों के दर्द से दुखी होते हैं। लेकिन आप ऐसा महसूस नहीं करते। ऐसा क्यों है? जब आप अपने बच्चों के सामने ही जानवरों का वध करेंगे तो वे सहिष्णुता और दयालुता कैसे सीखेंगे? आगे उन्होंने ये भी कहा था, ‘मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि यह भारत है और यह अपने बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा।’