कानपुर – कप्तान साहिबा आखिर बर्रा के उपद्रव में गलती किसकी कौन ? देखे मौके का वीडियो

आशीष त्रिपाठी के साथ दीपक मिश्रा 

कानपुर. दो दिनों से शहर का बर्रा इलाका सुर्खियों में है. पीड़ित परिजनों के आरोपों के अनुसार सर्वप्रथम बृहस्पतिवार की रात में पैर में मोच आने के कारण एक किशोरी को बर्रा थाना क्षेत्र के एक चर्चित निजी चिकित्सालय न्यू जाग्रति चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया जहा चिकित्सको ने उसको आईसीयू में भर्ती किया जहा देर रात युसूफ नाम के एक वार्ड बॉय ने उसको बेहोशी का इंजेक्शन देकर उसके कपडे बदलने के बहाने उससे अशलील हरकत किया और बलात्कार का असफल प्रयास किया. पीडिता के अनुसार बाहर परिजनों के आ जाने से वह अपने नापाक इरादे में कामयाब नहीं हो सका. सुबह होने पर किशोरी ने परिजनों को पूरी घटना बताया तो परिजनों ने पुलिस को सुचना देकर हंगामा कर दिया. परिजनों के हंगामे को देखते हुवे मौके से सभी चिकित्सक सरक लिए. इस हंगामे के दौरान अस्पताल परिसर में तोड़ फोड़ भी हुई. पीड़ित परिवार के आरोपों को आधार माना जाय तो सुबह इसकी सुचना के बाद सम्बंधित थाना ने दोपहर दो बजे मुकदमा दर्ज किया और आरोपी कि गिरफ़्तारी किया.

इसी दौरान क्षेत्रिय नागरिको ने अस्पताल सीज करने की मांग शुरू कर दिया. मौके पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा कहा जाता है कि क्षेत्राधिकारी ने दुसरे अस्पताल सीज करने का जनता को मौखिक आश्वासन दे दिया और हो रहे हंगामे को शांत करवा दिया. परिजनों का आरोप इस दौरान था कि पुलिस जाग्रति अस्पताल को संरक्षण दे रही है. अस्पताल सीज करने कि मांग को लेकर क्षेत्रिय नागरिको ने कल शनिवार को दोपहर में अस्पताल के पास का चौराहा जाम कर दिया और नारेबाजी करने लगे, परिजनों के साथ क्षेत्र की काफी महिलाये और युवक भी थे. चक्का जाम की सूचना मिलने पर बर्रा थाना प्रभारी मय दल बल मौके पर पहुचे और पहुचते ही पुलिस कर्मियों ने समझाने के बजाये सीधे लाठिया चलाना शुरू कर दिया. समाचार के साथ लगा वीडियो इसको दर्शाता है कि किस बर्बरता पूर्वक लाठिया मौके पर भांजी गई. देखते देखते मौके पर हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो गई. फ़ोर्स और मौके पर पहुच चुकी थी.इसी दौरान वीडियो बताता है और क्षेत्रिय जनता के आरोपों के अनुसार महिलाओ के साथ भी पुरुष पुलिस कर्मियों ने धक्का मुक्की किया. फिर माहोल जो पहले से ख़राब था वह अचानक और ख़राब होने लगा, तथा स्थिति बद से बदतर होती चली गई. 

आप वीडियो को ध्यान से देखे तो मौके पर कई छोटे छोटे बच्चे अपशब्दों का प्रयोग करते हुवे पथराव कर रहे है. आखिर कौन है ये बच्चे और कहा से आये है. आखिर इनको किसने पथराव के लिए उकसाया है. ध्यान से देखे कैसे ये ब्लैक टी-शर्ट में लड़का पुलिस वाले की लाठी छीन कर उससे दुसरे पुलिस वाले को मारने का प्रयास कर रहा है. आखिर इसको इतनी हिम्मत आई कहा से, किसने इसको उकसाया होगा. ध्यान दीजिये जब दरोगा जी नीचे गिर पड़े यो उनके पास का यह पुलिस कर्मी उनको छोड़ कर पीछे क्यों हटा. दरोगा जी पर जो लड़के हमला कर रहे है वो सिर्फ अभी तीन है और अगर ये पुलिस कर्मी चाहता तो स्थिति से निपटते हुवे अपने साथी पुलिस कर्मी को बचा सकता था. मगर यहाँ तो शायद उसने पहले ही हार मान लिया और पीछे हट गया. क्या इसको ही बहादुरी कहते है. पुलिस ट्रेनिंग में मार्शल आर्ट से लेकर स्वरक्षा के हर गुण सिखाये जाते है. क्या यह उन सब सीख को भूल चुके है क्या.
वीडियो में विशेषतः एक महिला व्यक्तित्व अपने कुशल कार्यो से ध्यान आकर्षित करवा ज़रूर रही है. लाल टी शर्ट में चश्मा लगाये ये महिला ने कई स्थिति को सँभालने कि सुझबुझ के साथ हस्तक्षेप किया यही नहीं जब भीड़ ने एक दरोगा को घेर लिया तो इसी महिला ने दरोगा को सुरक्षित कर उनकी जान बचाया जिसको आप लोग वीडियो में देख सकते है. इस बहादुर महिला की जितनी भी तारीफ किया जाय कम है क्योकि कप्तान साहिबा आपके पुरुष पुलिस कर्मी अपने साथी के भीड़ की चपेट में आने पर उसको छोड़ कर अपने आप को सुरक्षित करते हुवे भाग खड़े हुवे है आप देख लीजिये इस वीडियो में मगर इस महिला ने हस्तक्षेप करके दरोगा जी को भीड़ से बचाया ही नहीं बल्कि पास मौजूद पत्रकारों के मदद से उनको उठाया और सुरक्षित जगह भेजा. 
जो भी हो जनता द्वारा कानून को इस तरह हाथ में लेने कि हम कड़े शब्दों में भर्त्सना करते है. मगर कही न कही इस घटना की उच्च स्तरीय जांच भी होना चाहिए. आखिर कैसे जनता इतनी भड़क गई. कही यह शासन और प्रशासन को बदनाम करने के लिए कोई षड़यंत्र तो नहीं है. आखिर इन सबका ज़िम्मेदार कौन है. मीडिया ने अपना कार्य इस घटना में ईमानदारी से किया है. पथराव के समय कई पत्रकारों को मामूली चोट आई जिसको पत्रकारों ने रोज़मर्रा के तरह टाल दिया है. 

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