इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पूछा – सरकार बताये, बूचड़खाने खोलने की क्या है उसकी नीति?

मो आफताब फ़ारूक़ी

इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने झांसी में बूचड़खाना न होने के कारण मीट की दुकान का लाइसेंस न देने के खिलाफ याचिका पर नगर निगम झांसी को नोटिस जारी की है और राज्य सरकार व निगम से हलफनामा मांगा है। 

कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि पशु वधशाला स्थापित करने की राज्य सरकार की नीति क्या है? पशु वधशाला राज्य सरकार या नगर निगम या प्राइवेट व्यक्ति के द्वारा किससे संचालित किया जायेगा। सरकार मांस खाने वालांे को उनके अधिकार से बिना ठोस वजह के वंचित नहीं कर सकती। कोर्ट ने याचिका पर एक माह में जवाब मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई पांच जुलाई को होगी। 
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति एम.के.गुप्ता की खण्डपीठ ने मीट व्यवसायी यूनिस खान की याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता करन सिंह यादव का कहना है कि वह मीट की दुकान चलाना चाहता है। शहर में बूचड़खाना न होने के कारण लाइसेंस नहीं दिया जा रहा है। याची का कहना है कि उसे बकरा व मुर्गा का वध करने की अनुमति देने का समादेश जारी किया जाए। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार व नगर निगम से जवाब मांगा है।

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