संयुक्त राष्ट्र संघ में सऊदी अरब के ईरान विरोधी प्रयास

करिश्मा अग्रवाल
संयुक्त राष्ट्र संघ में सऊदी अरब के प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव और सुरक्षा परिषद के प्रमुख के नाम अलग अलग पत्रों में ईरान पर अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन करने और क्षेत्र में आतंकवाद के समर्थन का आरोप लगाया और कहा कि तेहरान, क्षेत्र की शांति व स्थिरता के लिए गंभीर ख़तरा है।

बुधवार 17 मई को जारी होने वाले इस पत्र में ईरान पर यमन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप, सऊदी अरब की सुरक्षा के लिए ख़तरा और इराक़ में सांप्रदायिक गुटों के समर्थन का आरोप लगाया गया है। सऊदी अरब ने ईरान विरोधी अपनी कार्यवाही जारी रखते हुए वास्तविकताओं को तोड़ मरोड़कर पेश किया और इसी प्रकार दावा किया कि ईरान ने अपने व्यवहारों से अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन किया है जो मानवता के विरुद्ध अपराध का कारण बने हैं। सऊदी अरब के इस पत्र में इसी प्रकार ईरान के स्वयं सेवी बल आईआरजीसी को दुनिया में आतंकवाद के विस्तार तथा चरमपंथी विचारधारा फैलाने के साधन के रूप में याद किया है।
सऊदी अरब के पत्र में ईरान पर जो आरोप लगाए गये हैं वह वास्तव में पिछले कुछ वर्षों के दौरान सऊदी अरब के ही कारनामों का प्रतिबिंबन है किन्तु सऊदी अरब के अधिकारी अपने क्रियाकलापों का उत्तर देने के बजाए क्षेत्र की वर्तमान स्थिति के लिए ईरान पर आरोप लगा रहे हैं।
पत्र में जिन विषयों के बारे में दावा किया गया है वह क्षेत्र में सऊदी अरब की आक्रमक नीतियों और उसकी विचारधाराओं की परिधि में है। सऊदी अरब के उतराधिकारी और इस देश के रक्षामंत्री मुहम्मद बिन सलमान के हालिया बयान से जिसमें उन्होंने एक इन्टर्व्यू में युद्ध और अशांति को ईरान की सीमाओं के भीतर ले जाने की बात कही थी, सऊदी अरब की पोल खुल जाती है।

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