बिहार सरकारी कर्मचारियों का इंतजार होगा ख़त्म, सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट 15 मई तक.

पटना : बिहार के लाखों कर्मचारियों का सातवें वेतनमान के लिए इंतजार खत्म होनी है राज्य सरकार की ओर से गठित पुनरीक्षण समिति जीएस कंग ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों के पुनरीक्षण की रिपोर्ट तैयार कर ली है।समिति के अध्यक्ष जीएस कंग ने बताया है कि रिपोर्ट लगभग तैयार है और वह इसे 15 मई तक सबमिट कर सकते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रीय कर्मचारियों को दिए गए सातवें वेतनमान की सिफारिशों के लगभग समान ही है। केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय कर्मचारियों को वेतन और भत्ते में करीब 14 फीसदी का लाभ दिया है, बिहार सरकार भी लगभग इतना ही लाभ दे सकती है. हालांकि इसकी विस्तृत जानकारी रिपोर्ट दाखिल करने के बाद ही मिल सकेगी। वेतन आयोग की सिफारिशों को एक जनवरी 2017 से लागू किया जा सकता है और इससे सरकार के राजकोष पर लगभग 6000 करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा।हालांकि इन सिफारिशों का लाभ संविदा कर्मचारियों और पंचायती राज संस्थाओं द्वारा नियुक्त 2.5 लाख नियोजित स्कूल शिक्षकों को नहीं मिल सकेगा।
बिहार सरकार ने अपने 2017-18 के बजट में आयोग के गठन और वेतन-भत्तों और पेंशन के मद में बढ़ोत्तरी के लिए करीब 6500 करोड़ रुपये का बजट तय किया था।हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही कह चुके थे कि शिक्षकों को सातवें वेतनमान का लाभ मिलेगा।लेकिन अन्य संविदा कर्मचारियों की भी अपनी मांगें हैं। इस कारण राजकोष पर खर्च बढ़ रहा है। एक बार नये वेतनमान के लागू हो जाने से करीब 4.5 लाख राज्य के सरकारी कर्मचारियों और करीब 3.5 लाख पेंशनधारकों को लाभ होगा।

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