क्यों ढीले पड़ गए ट्रम्प?

करिश्मा अग्रवाल 

अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के इंटरव्यू एसे हो गए हैं कि उनसे ट्रम्प की गहरी अज्ञानता साफ़ झलकती है और उनका वह जनाधार सिकुड़ने का कारण बन रही है जिसकी मदद से वह वाइट हाउस में पहुंचे थे। इसी लिए यह आशंका बनी हुई है कि शायद ट्रम्प अपना कार्यकाल पूरा न कर पाएं।

ट्रम्प का नया बयान विचार योग्य है। उन्होंने तीन सप्ताह पहले तो उत्तरी कोरिया को पारम्परिक और ज़रूरत पड़ने पर परमाणु हथियार से मार देने की धमकी तक दे डाली थी लेकिन फिर वह बड़ी तेज़ी से अपने बयान से पलट गए और ब्लूमबर्ग टीवी चैनल के साथ साक्षात्कार में कहा कि वह उत्तरी कोरिया के नेता किम जोंग ऊन से उचित परिस्थितियों में मुलाक़ात के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए गौरव की बात होगी।
उत्तरी कोरिया के नेता एक बार भी अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प से मुलाक़ात की इच्छा नहीं ज़ाहिर की, यही नहीं उनके पिता ने भी कभी किसी भी अमरीकी राष्ट्रपति से मुलाक़ात की इच्छा नहीं ज़ाहिर की। ट्रम्प के इस बयान के जवाब में उत्तरी कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने बयान दिया कि वह छठें परमाणु परीक्षण के लिए तैयार हो रहा है और अमरीका की हर सैनिक कार्यवाही का उसी अंदाज़ में जवाब देगा।
अमरीकी राष्ट्रपति का यह बयान देना कि किम जोंग ऊन से मिलकर वह गौरवान्वित महसूस करेंगे, ट्रम्प का अपनी बात से पीछे हटने का नया उदाहरण है। अब तक 100 दिन के कार्यकाल में ट्रम्प अपने अधिकतर वादों और धमकियों से पीछे हट गए हैं, चाहे वह मैक्सिको की सीमा पर दीवार बनाने का मामला हो और ओबामा केयर को रिप्लेस करने का मुद्दा हो या फिर नैटो से अलग हट जाने की धमकी हो।

एक मात्र चीज़ जिससे ट्रम्प पीछे नहीं हटे हैं वह सऊदी अरब तथा फ़ार्स खाड़ी के अन्य अरब देशों को परेशान करने और उनसे पैसे वसूलने की घोषणा है। उधर यह देश ट्रम्प की हर बात आंख बंद करके मानते चले जा रहे हैl

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