रूपेश है प्रोजेरिया से ग्रसित, करोड़ों में से एक को होती है यह बीमारी,प्रधानमंत्री से मांगी मदद नहीं मिला जवाब

आफताब फारुकी

इलाहाबाद। जिले में रहने वाला 21 साल का यह युवक मानसिक रूप से बच्चे जैसा है, लेकिन शारीरिक रूप से बूढ़ा नजर आता है। डॉक्टरों की मानें तो इसे प्रोजेरिया नामक बीमारी है। यह 80 लाख लोगों में एक को होती है। बॉलीवुड फिल्म ‘पा’ में अमिताभ बच्चन को यही बीमारी थी।

इलाहाबाद से 22 किलोमीटर दूर धनैचा हनुमानगंज में रहने वाले रूपेश के पिता रमापति ने बताया कि रूपेश का जन्म नार्मल हुआ था। जब ये छोटा था, तब कभी सिर दर्द तो कभी पैर दर्द की शकिायत करता था। कई डॉक्टरों के पास गए, लेकिन कोई बीमारी नहीं पकड़ पाया। सभी सिर्फ दर्द कम करने के लिए पेन किलर दे देते थे। जैसे-जैसे बेटे की उम्र बढ़ती गई, वैसे-वैसे इसके शरीर में असामान्य बदलाव आता गया। सिर सामान्य से बड़ा होता गया और पूरा शरीर सूखता गया। पांच साल पहले सर्कस वाले कुछ लोग गांव आए थे। वो रूपेश को अपने साथ ले जाना चाहते थे। इसके बदले तीन लाख रुपए भी दे रहे थे, लेकिन हमने मना कर दिया। वो बेटे को सर्कस में शामिल करके उसे अजूबे की तरह पेश करना चाहते थे। हमने उनसे कह दिया कि अगर एक करोड़ भी देंगे, तब भी बेटे को नहीं ले जाने देंगे। मां शांति देवी ने बताया कि रूपेश अपना कोई भी काम खुद नहीं कर पाता। यहां तक कि टॉयलेट के लिए भी उसे एक व्यक्ति की जरूरत पड़ती है। मैं अब 24 घंटे बस बेटे की देखरेख में लगी रहती हूं।

डॉक्टरों का क्या है कहना…
इसमें ज्यादातर बदलाव स्किन और मसल्स में होते हैं। दो साल की उम्र में इसके लक्षण नजर आने लगते हैं। बच्चे की मानसिक वृद्धि रुक जाती है। बाल झड़ जाते हैं और दांत खराब होने लगते हैं। शरीर ढीला और त्वचा का रंग पीला पड़ जाता है। आंखों के आसपास गड्ढे हो जाते हैं। ऐसे बच्चों को खाने में दिक्कत के अलावा सोने और उठने-बैठने में भी परेशानी होती है। सोते समय इनकी आंखें खुली रहती है। इस बीमारी में ज्यादातर बच्चे 13 साल की उम्र में ही दम तोड़ देते हैं, जबकि कुछ 20 से 21 साल तक जीते हैं।
पीएम मोदी को लिखा लेटर, लेकिन नहीं मिला जवाब
शांति देवी ने बताया कि बेटे के इलाज के लिए फूलपुर सांसद (वर्तमान डिप्टी सीएम) केशव प्रसाद मौर्य, पूर्व विधायक सईद अहमद सहित गांव प्रधान के पास गए, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। आशुतोष मेमोरियल ट्रस्ट के डॉ. गिरीश पांडे ने बताया कि हमारी संस्था ने रूपेश के खाने-पीने की जिम्मेदारी उठाई है। उसकी मदद के लिए पीएम मोदी को भी लेटर लिखा गया, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला।

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