फिल्म के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक ‘नहीं’ हैं… कम से कम प्रमोशन तक

इन दिनों फिल्म प्रमोशन के कई नए तरीके इस्तेमाल किए जा रहे हैं जो आपको पसंद आएं या न आएं, लेकिन आप इन्हें अनदेखा कतई नहीं कर सकते
शबाब ख़ान
मुंबई: विद्या बालन ने कुछ समय पहले अपने एक इंटरव्यू के दौरान उनके घरेलू काम करने वाली सहायिका से जुड़ा एक किस्सा सुनाया था। उन्होंने बताया, ‘एक दिन वह मेरे पास आई और लगभग फुसफुसाते हुए पूछने लगी कि दीदी आपने ऐसा क्या किया है जो पुलिस आपको चारों तरफ ढूंढ़ रही है। हर तरफ आपके पोस्टर लगा रखे हैं।’ विद्या कहती हैं कि पहले तो इस पर वे खूब हंसी लेकिन थोड़ी देर मजे लेने के बाद उसे सच-सच बता दिया। और फिर जाहिर है कि जैसा विद्या ने आगे बताया, ‘असलियत उजागर होने पर उसकी शक्ल देखने लायक थी।’

यह वाकया बीते साल का है जब ‘कहानी-2’ के प्रमोशन के लिए जगह-जगह विद्या बालन के पोस्टर लगाए गए थे। ये पोस्टर ठीक उसी अंदाज में बनाए गए थे जैसे पुलिस किसी कुख्यात अपराधी को तलाश करने के लिए वॉन्टेड लिखकर उसकी जानकारी से भरा पोस्टर जारी करती है। यही देखकर उनकी सहायिका को गलतफहमी हुई कि पुलिस विद्या को खोज रही है। इस फिल्म के प्रमोशन के दौरान फेसबुक और ट्विटर पर भी इस तरह की तस्वीरें खूब शेयर की गई थीं। तमाम फिल्मी वेबसाइट्स ने भी इस पर ‘क्यों हैं विद्या वॉन्टेड’ जैसे शीर्षकों के साथ रिपोर्ट की थीं। कुल मिलाकर फिल्म के प्रमोशन के दौरान कई बार ऐसा हुआ जब लोग समझ ही नहीं पाए कि यह फिल्म के प्रचार के लिए है और सच में विद्या बालन सी दिखने वाली किसी महिला की तलाश नहीं की जा रही है।
‘कहानी-2’ अजब-गजब प्रमोशन का अपनी तरह का अकेला उदाहरण नहीं है। बॉलीवुड बीते कुछ समय से फिल्म प्रमोशन के लिए रोज-रोज नए तरीके लेकर आ रहा है। ये तरीके कभी लोगों को चौंकाते हैं तो कभी डरा भी देते हैं। फिल्मों के प्रमोशन का अंदाज आजकल कुछ इस तरह बदला है कि आप कई बार फिल्मी पात्रों को अपने आस-पास घूमते पाते हैं। मानो वे कह रहे हों इस फिल्म के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक नहीं हैं!
विद्या बालन की ही बात करें तो इसके पहले ‘कहानी’ की रिलीज के समय भी वे प्रेग्नेंट लेडी का अवतार धर महीनों लोकल बस-ट्रेनों में घूमती नजर आई थीं। दरअसल फिल्म प्रमोशन का एक प्रचलित और पहला तरीका ही यही है जब स्टार्स फिल्म को प्रमोट करने के लिए उस फिल्मी किरदार में घूमते नजर आते हैं। दूसरे नंबर पर वे फिल्म में शामिल कुछ बातों के जरिए रिलीज से पहले ही दर्शकों से फिल्म की जान-पहचान करवाने की कोशिश करते नजर आते हैं। जैसे ‘रईस’ के प्रमोशन के लिए शाहरुख खान ट्रेन में यात्रा करते दिखे थे और ‘की एंड का’ के लिए करीना कपूर रोटियां बनाती नजर आई थीं।
इसी तरह ‘निल बटे सन्नाटा’ को प्रमोट करते हुए स्वरा भास्कर लोगों से पाइथागोरस थ्योरम और एचसीएफ-एलसीएम पूछ रही थीं। इन उदाहरणों की लिस्ट में ‘रंगून’ के प्रमोशन के लिए कंगना का विंटेज कार में घूमना और ‘रॉक ऑन-2’ की टीम का जगह-जगह रॉक शो परफॉर्म करना भी शामिल किया जा सकता है।
ऊपर जिन फिल्मों का जिक्र किया गया है उनसे पहले साल 2011 में आई ‘रा-वन’ ने फिल्मों से जुड़ी मर्चेंडाइजिंग से फिल्म प्रमोट करने का नया चलन शुरू किया था। यह प्रमोशन के साथ-साथ उसके समांतर एक उद्योग भी है, जिसमें फिल्म से जुड़े प्रिंट वाले पोस्टर, टी-शर्ट, कॉफी मग, बैग्स जैसी चीजें बनाकर बेची जाती हैं। कुछ प्रोडक्शन हाउस जैसे फैंटम फिल्म्स (ब्रांड हैप्पीली अनमैरिड के साथ मिलकर) फिल्म दर फिल्म यह तरीका इस्तेमाल करता चला आ रहा है।
हॉलीवुड में यह चलन सालों पुराना है और खासा लोकप्रिय भी, लेकिन बॉलीवुड में अभी भी यह अच्छी तरह पांव जमाने की कोशिश में है। यह भी थोड़ी हैरानी वाली बात है कि हिंदुस्तानी दर्शक खुशी-खुशी कैप्टन अमेरिका की टी-शर्ट पहनता था लेकिन हिंदी के मामले में उसे कृष कभी पसंद नहीं आ रहा था। सुपर हीरोज की कमी तो अब भी है पर उनकी भरपाई कुछ एकदम अलग तरह की फिल्मों ने कुछ हद तक पूरी की है। अनुराग कश्यप की फिल्म रमन राघव इसका उदाहरण है। इस फिल्म में रमन का सिग्नेचर स्टाइल और उससे जुड़े संदेश कश्यप से लेकर तमाम हस्तियों और आम लोगों की टी-शर्ट पर खूब नजर आए थे।
कुछ बदलते बाजार और कुछ हिंदी के प्रति मानसिकता में आए सुधारों के चलते अब स्थिति थोड़ी-थोड़ी बदलने लगी है। हिंदी अब कूल मानी जाने लगी है। इसलिए लोग हिंदी में लिखे संदेशों वाली टी-शर्ट पहनना पसंद कर रहे हैं। ऐसे में हिंदी फिल्मी संवादों के भी रिलीज के पहले या बाद में लोकप्रिय होने की संभावना बढ़ गई है जो इस तरह के बाजार के लिए एक मौका भी है और फिल्म प्रमोशन का तरीका भी।
आजकल फिल्मों के ट्रेलर कई किस्तों में जारी करने का चलन भी है। सबसे पहले यह गौरी शिंदे की फिल्म ‘डियर जिंदगी’ में दिखाई दिया था। इसके तीन चैप्टर रिलीज किए गए थे। हाल फिलहाल यशराज बैनर की फिल्म मेरी प्यारी बिंदू का ट्रेलर भी कुछ इसी अंदाज में पांच चैप्टर की सीरीज में जारी हुआ। चैप्टर्स में जारी किए गए ये ट्रेलर फिल्म को लगातार चर्चा में बनाए रखने में मदद करते हैं। एक बार में ट्रेलर जारी करने पर एक ही दिन फिल्म की संभावनाओं-क्षमताओं पर बात होती है, वहीं कई हिस्सों में ट्रेलर जारी करने पर इस चर्चा में ‘अगले हिस्से में क्या होगा?’, वाली उत्सुकता भी शामिल हो जाती है। यह उत्सुकता और इसके साथ सूचनाओं का दोहराव लोगों के दिमाग में फिल्म देखने के लिए दिलचस्पी जगाने में मदद करती है।
इसी शुक्रवार रिलीज होने जा रही ‘बाहुबली- द कनक्लूजन’, जिसका इंतजार लोग इसका पहला भाग आने के दूसरे दिन से ही कर रहे हैं, के लिए भी प्रमोशन के बिलकुल अलग तरीके अपनाए गए हैं। वैसे इस फिल्म को प्रचार की उतनी जरूरत नहीं है, फिर भी इसके लिए जो अनोखा तरीका अपनाया गया है, वो यह है कि फिल्म रिलीज से करीब एक महीने पहले इसके प्रीक्वल ‘बाहुबली द बिगनिंग’ को दोबारा रिलीज किया गया है। बाहुबली – द बिगनिंग का टिकट खरीदने पर फिल्म बाहुबली-2 का टिकट पक्का होने की बात कही जा रही है। हालांकि इस फिल्म के लिए करीब पंद्रह दिन पहले से ही टिकट की प्री-बुकिंग भी शुरू कर दी गई थी। लेकिन बाहुबली के वे प्रशंसक जो किसी भी कीमत पर फिल्म देखना चाहते हैं, उन्हें प्री-बुकिंग में उतने ही पैसे खर्च कर एक ही फिल्म देखने के बजाय पहले प्रीक्वल और फिर सीक्वल देखना ज्यादा फायदे का सौदा नजर आ रहा है।
रिलीज ही नहीं अब फिल्मों के टीवी प्रीमियर के पहले भी उनका जमकर प्रचार किया जाता है। ‘पिंक’ के टीवी पर आने के तीन दिन पहले से अमिताभ बच्चन का घर पिंक कलर की रोशनी से भर दिया गया था। अमिताभ बच्चन से जुड़ी किसी भी बात की मीडिया और सोशल मीडिया में चर्चा होना स्वाभाविक है। मनोरंजन उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि प्रचार का यह तरीका कारगर साबित हुआ था क्योंकि टीवी पर पिंक देखने वाले दर्शकों की संख्या उम्मीद से कई गुना ज्यादा बढ़ गई थी।
आजकल फिल्मों के वीडियो एमेजॉन पर भी उपलब्ध होने लगे हैं। इसलिए सिनेमाघर से उतरने के बाद भी फिल्म को चर्चा में बनाए रखना जरूरी होता है। इसके लिए मार्केटिंग टीम को कुछ न कुछ करते रहना पड़ता है, इसमें फिल्मों के डिलीटेड सीन यूट्यूब पर जारी करना भी शामिल है। यूट्यूब पर जारी किए जाने वाले इन दृश्यों को शूट तो किया जाता है लेकिन किसी वजह से ये फिल्म का हिस्सा नहीं बन पाते। हालांकि ये इतने क्रिएटिव और इंट्रेस्टिंग होते हैं कि लोग इन्हें इंटरनेट पर मन लगाकर देखते हैं। पिछले कुछ समय में डियर जिंदगी, ये जवानी है दीवानी, ऐ दिल है मुश्किल जैसी फिल्मों के डिलीटेड सीन खासे वायरल हुए हैं। शूटिंग-सेट की तस्वीरें, ब्लूपर्स, ये तरीके सालों पुराने हैं लेकिन अब सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक इन्हें पहुंचाना आसान हो गया है।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *