प्राइवेट स्कूलों की निरंकुशता:फीस वृद्धि पर अभिभावकों से गहमागहमी,पड़ी डिबाई के रजनी पब्लिक स्कूल पर भारी

करिश्मा अग्रवाल
आज जहाँ सरकार शिक्षा को सर्वसुलभ और फीस को सीमित करने के प्रयासों में लगी है ,वहीँ प्राइवेट स्कूलों द्वारा शिक्षा के नाम पर मनमानियों और अधिक फीस वसूली का एक और किस्सा जिला बुलंदशहर के डिबाई में देखने को मिला है,जिसके कारण स्कूल प्रबंधतंत्र चौतरफा निशाने पर है और इसकी मान्यता लगभग रद्द होने के कगार पर पहुच चुकी है।

क्या है पूरा मामला :
गौरतलब है कि,डिबाई में सीबीएसई द्वारा मान्यता प्राप्त रजनी पब्लिक स्कूल है,जोकि डिबाई क्षेत्र का इकलौता सीबीएसई स्कूल भी है। बीते दिनों स्कूल प्रबंधन द्वारा इंटरमीडिएट कक्षाओं की फीस 2200 रूपए मासिक से बढ़ाकर अचानक 3300 रूपए मासिक कर दी गई ।इसको लेकर अभिभावकों ने जब स्कूल प्रबंधन का घेराव किया और सवाल किए तो जवाब मिला कि अगर हम सुविधाएं दे रहे हैं तो फिर फीस बढ़ाने में क्या परेशानी है।
योगी आदित्यनाथ की अपील की भी कर दी नाफरमानी :
अभिभावकों द्वारा जब स्कूल प्रबंधन के समक्ष उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा स्कूल फीस को सीमित रखने संबंधी अपील की बात की गई तो स्कूल प्रबंधन द्वारा टका सा जवाब दे दिया गया कि,
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ट्यूशन के नाम पर भी होता है खेल:
अभिभावकों के अनुसार, स्कूल में शिक्षा का स्तर शोचनीय है, जिसके कारण बच्चे ट्यूशन पर निर्भर हैं और वह भी अधिकतर स्कूल के शिक्षकों पर।स्कूल के शिक्षकों द्वारा ट्यूशन के नाम पर छात्र और छात्राओं से स्कूल के शिक्षक ₹800 से ₹1200 महीना तक लिए जाते हैं।
क्षेत्र का एकलौता सीबीएसई स्कूल:
अभिभावको के अनुसार,क्योंकि रजनी पब्लिक स्कूल डिबाई क्षेत्र का एकमात्र सीबीएसई स्कूल है ,इस कारण अपने बच्चों को ‘अच्छे स्कूल’ में भेजने का सपना देखने वाले अभिभावकों को बच्चों को यहां भेजना उनकी मजबूरी हैं।
कॉपी किताबों के नाम पर भी होती है अधिक वसूली:
अभिभावकों के अनुसार,स्कूल में कॉपी-किताबों के नाम पर भी अभिभावकों से ज्यादा मूल्य लिया जाता है।किताबें ही नहीं बल्कि कॉपी,रजिस्टर व अन्य स्टडी मेटेरियल भी स्कूल से ही खरीदना पड़ता हैं।
अभिभावकों को मिला ABVP का समर्थन:
रजनी पब्लिक स्कूल की मनमानियों के खिलाफ अभिभावकों के संघर्ष के समर्थन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद भी मैदान में उतरा है और शिकायतों को लेकर प्रदर्शन भी किया गया।शिकायतों के मद्देनजर नायब तहसीलदार तिमराज सिंह और खंड शिक्षा अधिकारी पोंपसिंह ने संयुक्त रुप से स्कूल पर औचक छापेमारी की।जहां ज्यादातर शिकायतों को सही पाया गया।
ना हो बच्चों के भविष्य से खिलवाड़:
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस सारे प्रकरण के बाद उन सैकड़ों मासूम बच्चों के भविष्य का क्या होगा जिनका इसमें कोई दोष नहीं है।क्योंकि स्कूल प्रबंधन की मनमानियों के कारण जो समस्या खड़ी हुई है उससे स्कूल की मान्यता रद्द हो जाने के बाद सबसे अधिक ग्यारहवीं बारहवीं और नवी दसवीं कक्षा के बच्चे प्रभावित होंगे।इसीलिए प्रशासन को इस बात पर भी गौर करना होगा कि इन बच्चों को प्रशासन की कार्यवाहियों और ‘स्कूल’ की तरफ से किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना ना करना पड़े और ना ही उनके भविष्य पर कोई प्रश्नचिन्ह लगे।

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