सत्ता की हनक : ताश के पत्तों की तरह फेट दिये गये जिले के थाने
रॉबिन कपूर
फर्रुखाबाद : विगत दिनो हुए सांसद पुत्र और दरोगा के बीच हुए विवाद के बाद पुलिस विभाग मे चला तबादलों का दौर थमने का नही ले रहा है। जिले सभी थाने व कोतवाली मै तैनात अधिकतर कोतवाल थानेदार और सिपाही ताश के पत्तों की तरह फेट कर इधर से उधर कर दिये गये है। सूत्रों के अनुसार इस फेरबदल को सत्ता के दवाब मे लिया गया फैसला भी बताया जा रहा है। आज पुलिस अधिक्षक दयानंद मिश्रा ने शासन के निर्देश पर एक साल से एक ही स्थान पर डटे 25 दारोगा व 192 सिपाहियों की तैनाती में फेरबदल किया है। उन्होने सभी को तत्काल तैनाती स्थल पर आमद कराने के आदेश भी दिये है।
एसपी दयानंद मिश्रा ने कंपिल में तैनात रामप्रसाद चौधरी को शमसाबाद थाने में व कमालगंज थाने में रामसनेही को कायमगंज कोतवाली, राजेपुर थाने में तैनात अमर सिंह को कायमगंज कोतवाली, देवी सिंह को मेरापुर थाना, मेरापुर थाने में तैनात दारोगा अश्वनी कुमार को फर्रुखाबाद कोतवाली, बदन सिंह को कंपिल व अमृतपुर थाने में तैनात रामबाबू को कोतवाली कायमगंज व राजेंद्र सिंह को मेरापुर थाने में तैनात किया गया है। शहर कोतवाली में तैनात दारोगा सूरज वर्मा को कमालगंज, किशनपाल को राजेपुर, अवधेश सिंह को थाना अमृतपुर व महाराज सिंह को मोहम्मदाबाद कोतवाली भेजा है। मोहम्मदाबाद में तैनात नर्मदा सिंह को कंपिल थाना, नवाबगंज में तैनात गजेंद्र ¨सह को बजरिया चौकी, कायमगंज में तैनात अंकुश राघव को मोहम्मदाबाद, विजेंद्र पाल को शमसाबाद, रामनरेश को अमृतपुर थाने में तैनाती दी गई है।
कंपिल में तैनात नरेश बाबू, रामसरन व दलवीर को कोतवाली फर्रुखाबाद भेजा गया है। शमसाबाद में तैनात दारोगा शिवकुमार त्रिवेदी को राजेपुर, श्याम बहादुर गौतम को फर्रुखाबाद कोतवाली, प्रभुशंकर को नवाबगंज, विश्राम सिंह को कंपिल भेजा है। इसके अलावा 192 सिपाहियों की तैनाती में भी फेरबदल किया है। इसमें नौ हेड कांस्टेबिल भी शामिल हैं।
आज हुई फेरबदल की प्रक्रिया के बाद पुलिस विभाग मे हड़कम्प का महौल देखने को मिला । आपको बताते चले कि सम्बंधित दरोगा को पहले ही लाइन हाज़िर कर दिया गया है और थानेदार का भी स्थानांतरण कर दिया गया है. अगर न्याय प्रक्रिया को देखे तो यह सही भी है कि आरोपी के ऊपर जाँच उनके उसी थाना क्षेत्र में रहने पर प्रभावित हो सकती है. मगर यहाँ एक प्रश्न उठता है कि अगर न्याय प्रक्रिया की बात है तो दोनों मुकदमो में ही निष्पक्षता हेतु दोनों के पद पर रहते हुवे निष्पक्ष विवेचना नहीं हो सकती है. इस प्रक्रिया में पुलिस के पक्ष के स्थानांतरण और लाइन हाजिरी से ये बैलेंस तो बराबर है और उस मुक़दमे में निश्चित ही निष्पक्ष जाँच होगी जिसमे आरोपी पुलिस है. मगर साहेब एक बात और है पल्ला दोनों बराबर होना चाहिये. भाजपा सांसद के पुत्र के ऊपर भी गंभीर धाराओ में अपराध पंजीकृत है, अब प्रश्न यह उठता है कि सांसद महोदय के संसदीय क्षेत्र में उनके ही बेटे के खिलाफ निष्पक्ष जाँच हो सकती है……? अब देखना यह होगा कि विवेचना होती है अथवा दोनों ही केस को ठन्डे बस्ते के सुपुर्द कर दिया जाता है.