कानपुर – मानक को ताक पर रख तैयार भोजन रेल यात्रियो को परोसा जा रहा है, जीआरपी की भूमिका भी संदिग्ध
दिग्विजय सिंह एवं निज़ामुद्दीन की स्पेशल रिपोर्ट
कानपुर 6 अप्रैल 2017
ट्रेन यात्रा के दौरान अगर किसी यात्री को भूख सताती है तो वो ये भूल जाता है कि प्लेटफॉर्म पर बिकने वाला भोजन किस तरह से बनाकर परोसा जा रहा है उसे तो बस अपने पेट की आग को शांत करना होता है वास्तव में यात्रियो को अगर ये मालुम हो जाए कि रेलवे के प्लेटफॉर्मो पर मिलने वाले भोजन से लेकर समोसा,ब्रेड पकोड़ा,एवं वेज बिरयानी, कहा से और किस तरह से तैयार करके परोसा जा रहा है ये देखकर शायद आपका सिर चकरघिन्नी करने लगे
भोजन में मक्खियां गिरे या कीड़े इससे हमे क्या
कानपुर सेंट्रल रेलवे पर मानक को ताक पर रखकर यात्रियो को गन्दगी के बीच बने भोजन को खुलेआम परोसा जा रहा है जिसमे प्रमुख रूप से पूड़ियां समोसा व् ब्रेड पकोड़ा है खान पान अधिकारियो की रहनुमाई की वजह से बिना डरे संचालक अवैध वेंडरों द्वारा भोजन को खुलेआम ठेलियो एवं ट्रेनों के अंदर घुसकर बिकवा रहे है भोजन में मक्खियां भिनभिनाए या कीड़े गिर जाए इस बात से बेचने वाले वेंडरों को कोई फर्क नहीं पड़ता है चाहे लंबे सफर की यात्रा कर रहे यात्री इस भोजन को खाकर बीमार ही पड़ जाए इनकी बला से इन्हें तो बस मोटी कमाई से मतलब है
मलिन बस्ती में मानक के विपरीत भोजन रेलवे कर्मचारी के संरक्षण में बनता है
सेंट्रल स्टेशन में यात्रियो को परोसी जा रही खान पान सामग्री की सच्चाई जानने की कोशिश में जब हमारी टीम स्टेशन से मिली बस्ती में पहुची तो वहा का दृश्य देखकर हमारी आखे फ़टी की फ़टी रह गई सड़े आलू के बोरे जिसमे शायद कीड़े लग चुके थे खुले में पड़े हुए थे खुले टब में चावल रखे हुए है बिना धुले हुए थाल में समोसे बनाकर रखे जा रहे है एक कोने में खड़ा वेण्डर पूड़िया तल रहा था चारो तरफ मसाले थूके जाने के निशान साफ़ देखे जा सकते थे गंदे पड़े बर्तनों में बेतादाद मक्खियां भिनभिना रही थी चारो तरफ गंदगी पसरी हुई थी सामने बैठा व्यक्ति बिना दस्ताना पहने सब्जिया डिब्बे में पैक कर रहा था जो हमारी टीम को देखकर घबराहट में खड़ा हो गया जब हमने वहा काम कर रहे लोगो से पूछा कि ये सारा भोजन कहा जाता है और इसका कर्ता धर्ता कौन है
उनका कहना था कि ये सारा भोजन रेलवे खान पान कर्मचारी जूनियर उर्फ़ अजीम की देख रेख में ही बनता है इसके कर्ता धर्ता जूनियर उर्फ़ अजीम ही है इसके बाद ये सारा भोजन यहाँ से पैक होकर पॉलीथिन के सहारे स्टेशन पर ठेलियो पर पहुचाया जाता है जिसे मानक को ताक पर रखकर बिना वर्दी नेम प्लेट के बीसियो अवैध वेंडरों के सहारे यात्रियो को परोसा जाता है अगर कोई यात्री खुले में बेचे जा रहे भोजन का विरोध करता है तो वेण्डर यात्री को धकियाते हुए कहता है इससे अच्छा भोजन चाहिए तो किसी होटल में जाओ यहाँ तो ऐसा ही भोजन मिलेगा बेचारे यात्री मरते क्या ना करते लंबे सफर की वजह से गंदगी से भरे भोजन को खाने पर मजबूर हो जाते है मजे की बात तो ये है कि ये सारा गोरख धंधा सेंट्रल स्टेशन के आला अधिकारियो की नाक के नीचे हो रहा है और किसी भी अधिकारी को अभी भनक तक नही हुई ये बात किसी भी हद तक गले से नहीं उतर नहीं पा रही है रेलवे अधिकारियो के लचर रवय्ये की वजह से ही ये वेण्डर बिना किसी से डरे गंदगी से लबरेज भोजन यात्रियो को परोस रहे है
रेलवे के मानक क्या कहते है
रेलवे मानक के अनुसार भोजन बेच रहे वेण्डर वर्दी में होना चाहिए एव उसके नाम की नेम प्लेट वर्दी में चस्पी होना अनिवार्य है खाना बनाने एव परोसने वाले का रेलवे अस्पताल से मेडिकल होना अनिवार्य है किसी भी हाल में पका हुआ भोजन खुले में नहीं रखा जाए तीन वेण्डर से ज्यादा स्टाल व् ठेलियो पर नही खड़े हो सकते एव ट्रेन पर चढ़ना वेंडरों का वर्जित है स्टाल-ठेलियो का लाइसेंस के साथ शिफ्टवार वेंडरों का ड्यूटी चार्ट होना अनिवार्य है इसके अलावा लाइसेंस धारक का स्टाल या ठेली पर नंबर भी दर्ज़ हो साफ़ सफाई एव रेट लिस्ट का बोर्ड ऐसी जगह लगा हो जो दूर से ही दिखाई दे ये सारे सारे नियम यात्रियो की सेहत एवं सुविधाओ को ध्यान में रखकर ही बनाये गए है लेकिन अफ़सोस की बात तो ये है इनमे से शायद ही कोई नियम ऐसा हो जिस पर रेलवे के लाइसेंसी स्टाल व् ठेलीधारक चल रहे हो
कौन है ये जूनियर उर्फ़ अजीम
रेलवे विभाग जिसे लोग सोने की मुर्गी कहते है इसलिए हर कोई यहाँ पर दौलत कमाने के लिये दो दो हाथ करने को आतुर रहता है जो जंग में जीत गया वो यहाँ जम गया ऐसा ही एक नाम चर्चाओ एवं सूत्रो द्वारा सामने आया है जिसे लोग जूनियर उर्फ़ अजीम कहते है जिसकी जड़े रेलवे विभाग में फैली हुई है जिसके बीसियो गुर्गे वेण्डर के रूप में रेलवे में फैले हुए है जो खुद रेलवे खान पान कर्मचारी है बावजूद इसके रेलवे परिसर में उसके अवैध वेण्डर रूपी गुर्गे ठेलियो द्वारा घूम घूमकर यात्रियो को भोजन परोसते है
सूत्रो की माने तो इसकी जड़े इतनी गहरी है इसकी ठेली पर कोई भी कैटरिंग इंस्पेक्टर भोजन की जाच करने नही आता है और ना ही कोई चेकिंग स्टाफ आस पास फटकता है जूनियर की पकड़ का यही से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसकी ठेलिया रेलवे के सभी प्लेटफार्मो पर यात्रियो को भोजन परोसती है भोजन भी ऐसा जिसे बनते हुए देखने के बाद हलक में रखने से पहले ही उल्टी हो जाए ये सारा खेल खानपान विभाग की उदासीनता की चादर ओढ़ लेने की वजह से हो रहा है बहरहाल अगर जल्द ही रेलवे विभाग ने चन्द पैसो के लालच में यात्रियो की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे जूनियर जैसे कर्मचारी के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं की तो आये रोज़ इनकी मनमानी का शिकार भोले भाले यात्री होते रहेंगे