विजन. 2022 के साथ नवभारत के निर्माण में भागेदारी बने – प्रधानमंत्री
मो आफताब फ़ारूक़ी
इलाहाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को इलाहाबाद में देश के मुख्य न्यायधीश जेएस खेहर के दिल की बात मन से सुनी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की 150वीं वर्षगांठ के समापन समारोह में मोदी और खेहर आज एक साथ मंच साझा कर रहे थे। प्रधानमंत्री से पहले मुख्य न्यायधीश ने कार्यक्रम को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा ‘‘प्रधानमंत्री बार-बार अपने मन की बात करते हैं। सारा देश उन्हें सुनता है। हम आज आपको अपने दिल की बात कहने आये हैं।’’
इसके बाद न्यायमूर्ति खेहर ने देश भर की अदालतों में न्यायधीशों की कमी और लम्बित मुकदमों की भारी भरकम संख्या पर अपनी चिंता व्यक्त की। इस समस्या के निराकरण के लिए उन्होंने न्यायधीशों से छुट्टियों में भी काम करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यदि हर न्यायधीश छुट्टियों में प्रतिदिन के हिसाब से 20-25 मुकदमे का निस्तारण करे तो लम्बित मुकदमों की संख्या काफी कम हो सकती है। न्यायमूर्ति खेहर के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बतौर मुख्य अतिथि बोलने को खड़े हुये तो उन्होंने कहा, ‘‘मुख्य न्यायधीश अपने दिल की बात बता रहे थे, मैं मन से उनकी बात सुन रहा था। मुझे विश्वास है उनके संकल्प पूरे होंगे। जहां तक सरकार का सवाल है। हमारे जिम्मे जो योगदान देने की बात आयेगी, हम उसे पूरा करने का प्रयास करेंगे।
उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 150 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में एक साल तक कार्यक्रम चला। आज का समापन समारोह नई ऊर्जा, नई प्रेरणा और नए संकल्प के साथ भारत की बहुत बड़ी ताकत बन सकता है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय को भारत के न्याय स्थल का तीर्थ बताते हुए मोदी ने कहा, ‘‘इस तीर्थ क्षेत्र में आप सबके बीच आकर के आपको सुनने और समझने का अवसर मिला, मैं इसे अपना गौरव मानता हूं।’’
मोदी ने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जब 100 साल हुए थे, तब राष्ट्रपति राधाकृष्णन यहां आए थे। उन्होंने कहा था कानून एक ऐसी चीज है, जो लगातार बदलती रहती है। कानून लोगों के स्वभाव और पारंपरिक मूल्यों के अनुकूल होना चाहिए। कानून को चुनौतियों का ध्यान रखना चाहिए। किस तरह की जिंदगी हम गुजारना चाहते हैं, कानून का क्या कहना है। कानून का लक्ष्य है हर नागरिक का कल्याण, केवल अमीर का ही नहीं। इसे ही पूरा किया जाना चाहिए। गांधीजी कहते थे कि हम कोई भी निर्णय करें तो इसकी कसौटी क्या हो। वे कहते थे कि अगर फैसला लेने में दुविधा हो तो सोचिए कि आखिरी छोर पर बैठे शख्स पर इसका असर क्या होगा। आप सही फैसला ले पाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गांधीजी ने आजादी के वक्त लोगों की क्षमता के हिसाब से ढाल दिया था। वकीलों का भी इसमें योगदान रहा है। गांधीजी ने आजादी का जज्बा जगाया। 2022 में आजादी के 75 साल हो रहे हैं। क्या इलाहाबाद से देश को प्रेरणा मिल सकती है। क्या हम कोई रोडमैप तय कर सकते हैं। मुझे नहीं लगता कि लोग ऐसा नहीं कर सकते। 2022 में हम गांधीजी-राधाकृष्णन के मूल्यों पर देश को आगे ले जा सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि देश के सवा सौ करोड़ लोगों का सपना देश को सवा सौ करोड़ कदम आगे ले जा सकता है। पहले मैंने कहा था कि मुझे ये तो नहीं पता कि कितने कानून बनाऊंगा लेकिन रोज एक कानून खत्म करूंगा, अब तक 1200 कानून खत्म कर दिए हैं। उन्होंने आगे कहा कि टेक्नोलॉजी से जीवन आसान हो गया है। कौन से केस में क्या फैसला हुआ, गूगल में सब देखा जा सकता है। जेल से कैदियों को लाने-ले जाने में काफी समय लगता है। योगीजी आए हैं उम्मीद है इस दिशा में कुछ करेंगे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कानून शासकों का भी शासक होता है। उससे ऊपर कोई नहीं है। न्यायपालिका की भूमिका अहम है। न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच शक्तियों का अलग होना जरूरी है। न्याय, न्याय प्रक्रिया पर विद्वानों का चिंतन हमारा मार्गदर्शन करने में सक्षम है। हमेशा से न्यायपालिका, विधायिका एक-दूसरे के पूरक रहे हैं। कहा कि ये गौरव का विषय है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हमेशा मार्गदर्शन किया है। न्यायपालिका ने ऐसे ऐतिहासिक फैसले लिए जिन्होंने देश की दिशा बदल दी है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 9 लाख मामले हैं। जब कोर्ट की स्थापना हुई थी तो मत्र छह जज थे, अब यहां 160 जज हैं। केन्द्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय का इतिहास गौरवमयी रहा है। यहां से जो अलख जगी उसने बार और बेन्च का नाम रोशन किया। यहां के फैसले मील के पत्थर साबित हुए हैं। साथ ही अदालत ने कई नामचीन वकील और जज दिए। यहां से मदन मोहन मालवीय जैसे वकील निकले। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जैसे वकील राष्ट्रपति बने। यहां तक कि राम मन्दिर केस में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।
पूर्व में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश दिलीप बी0 भोषले ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल ने आभार व्यक्त किया और एसएमए आब्दी तथा रीमा मल्होत्रा ने संयुक्त रुप से कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम में उप्र के राज्यपाल राम नाईक, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी, उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश दिलीप मिश्रा, भारत के पूर्व मुख्य न्यायधीश वीएन खरे, उप्र के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, प्रदेश के विधि व न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक एवं कई प्रदेशों के न्यायधीश भी उपस्थित थे।
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल राम नाईक ने बमरौली एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री मोदी की आगवानी की। कार्यक्रम के बाद मोदी विशेष विमान से जम्मू कश्मीर के लिए रवाना हो गये, जबकि राज्यपाल और मुख्यमंत्री लखनऊ वापस चले गये। कार्यक्रम के मद्देनजर हवाई अड्उे से लेकर उच्च न्यायालय तक सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये थे। एसपीजी कई दिनों से इलाहाबाद में डटी हुई थी। है। एयरपोर्ट से लेकर समारोह स्थल तक चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात थे। हाईकोर्ट के आसपास की बिल्डिंग को भी पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया था। इलाहाबाद के एसएसपी शलभ माथुर के मुताबिक, ड्रोन कैमरों से भी हाईकोर्ट के आसपास नजर रखी गई।
गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय एशिया का सबसे बड़ा और सबसे पुराना हाईकोर्ट है। इसकी स्थापना 17 मार्च 1866 में हुई थी। सर वॉल्टर मॉर्गन इलाहाबाद हाईकोर्ट के पहले चीफ जस्टिस थे। उस वक्त सिर्फ छह जज ही थे, लेकिन अब यहां जजों के 160 पद हैं। इसके अलावा करीब 17 हजार वकील हाईकोर्ट से जुड़े हुए हैं, लेकिन उस वक्त महज दर्जन भर ही वकील थे। यह देश का पहला हाईकोर्ट है, जिसके पास अपना म्यूजियम और आर्काइव गैलरी है। लखनऊ में इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच है। स्थापना के वक्त हाईकोर्ट आगरा में था। पिछले वर्ष 13 मार्च से उच्च न्यायालय के 150वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। उस समय देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी कार्यक्रम में शिरकत की थी। समापन समारोह को यादगार बनाने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की भव्य इमारत को पिछले एक सप्ताह से सजाया गया है। शहर के प्रमुख चैराहों को भी इस अवसर पर बिजली की रंग विरंगी झालरों से अलंकृत किया गया है। पिछले कई दिनों से उच्च न्यायालय के आसस पास रात में दीवाली का नजारा देखने को मिल रहा था।