छोटी काशी का ऐतिहासिक चैती मैला अवैध अतिक्रमण ना हटने से हुआ प्रभावित
(फारूख हुसैन)
लखीमपुर (खीरी) गोला गोकर्ण नाथ // मेला की भव्यता ,सुदरता और सुरक्षा की बैठक में जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक की समीक्षा के बाद कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानों को हटाने से किया इंकार पहले और बाद में अधिकारियों की लापरवाही और अब भाजपा सरकार में अधिकारियों की उपेक्षा से मेंला को लगा ग्रहण ।
भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के आदेश का खुला उल्लंघन कर अधिकारियों की लापरवाही के चलते छोटी काशी का ऐतिहासिक चैती मेला की तैयारियों को ग्रहण लग गया है।इसकी खबर मेला कमेटी के अध्यक्ष जिलाधिकारी को देने के बाद भी अवैध अतिक्रमण नही हटने से मेला को लगना खतरे में दिखाई पड़ता है।
गौरतलब हो कि गोला का अति प्राचीन मेंला भूतभावन शिव जी की महिमा का मेंला है समय बदलने के साथ मेला मैदान पर समय 2 अस्थाई दुकानदारों का अवैध कब्जा अभियान चला और इस मेला मैदान पर हर साल दुकानदारों का कब्जा होता गया मेला मैदान सिकुड़ कर छोटा हो गया इसके लिए अधिकारियों के साथ चुने हुए जनप्रतिनिध व नामित मेला कमेंटी दोषी है और बाद में वोट की राजनीति हावी हो गयी और मेला मैदान में जगह का अभाव होते देख बाहर से आने वाले दुकानदारों व खेल व तमाशा, नाटक, नौटकी, सर्कस आदि ने आना बंद कर दिया और जिम्मेदारों ने इस और कोई कदम नहीं उठाया।
इस धार्मिक और अति प्राचीन चैती मेला का अध्यक्ष जिलाधिकारी खीरी है और मेला की सारी जिम्मेदारी है ओर वह दो दिन पहले आकर मेला की तैयारियों का जायजा लिया पर इसके बाद भी कुछ दुकानदारों ने दुकाने हटाने से मना कर दिया अब यह बचा हुआ मेला मैदान भी अतिक्रमण का शिकार होते देख नगर पालिका अध्यक्ष बेहद आहत है और मेला को ना लग पाने तथा मलाई खाने वाले व भ्रष्ट उप जिला अधिकारी जो अधिशाषी अधिकारी है वह कपने तबादले के बाद भी मौजूद रह कर अपना बकाया वसूल करने में लगे है पर उनको मेला लगे या ना लगे इससे कोई मतलब नहीं है और दूसरा अब तक कोई उप जिलाअधिकारी नहीं आया है और जिला अधिकारी व पुलिस अधीक्षक ने भी इस अवैध अतिक्रमण को हटाने में कोई रुचि नहीं दिखाई है जिससे मेला खटाई में पडा़ है। महज उस्मान अली व उसकी ना हटते देख पवन गुप्ता व दो दुकान ही समूचे मेला में बाधक बने हुए है और मेला प्रेमियों और समाज सेवियों में आक्रोश पनपने लगा है ।जब कि प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री ने अपने आदेश में साफ कहा है कि अवैध अतिक्रमण व सरकारी काम में वह बाधाओं के खिलाफ है और उस पर प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाही हो पर इसके बाद भी इस प्रकार की घटना सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के आदेश और प्राथमिकता का मजाक बन कर रह गयी है और अगर आलम यही रहा तो धार्मिक मेला का लग पाना कठिन होगा और मेला प्रेमियों का आक्रोश मुखर गया तो गोला आग से झुलसने की सम्भावना से इंकार नही किया जा सकता तब जिम्मेदारों के पास बचाव के लिए भी कुछ नहीं होगा और उनकी लापरवाही इस मेला की गंगा-जमुनी संस्कृति भी खतरे पड़ जाएगी।