लाइसेंस 25 मांस की दुकाने 300, कहा सो रहा था अब तक प्रशासन

जिले में आंकड़ों पर आधारित विकास सहाय की रिपोर्ट
लखीमपुर खीरी/// जी हां ये कोरी सच्चाई जानकर आप भी हैरत में पड़ सकते हैं कि लखीमपुर के शहरी क्षेत्र में एक भी बूचड़खाने का लाइसेंस नहीं है और यहां बिक्री हर दिन ¨क्वटलों मांस की होती है। इतना ही नहीं बाजार में एक पूरी मांस मंडी तक चल रही है। हैरत इस बात पर  भी है अब तक की सरकारों ने यह देखने की जहमत क्यों नहीं उठाई। अब निजाम बदला है तो अफसरान को ये याद आ रहा है 

लाइसेंस के बिना गली मुहल्लों तक में बिकता है मांस
लखीमपुर
के नगरपालिका क्षेत्र में गोश्त बेचने वालों के संख्या रजिस्टर पर भले ही 25 हो, लेकिन पूरे शहर में यह संख्या 300 का आंकड़ा पार कर चुकी है। हालात यह हैं कि मुहल्लों की गलियों तक में गोश्त बिक रहा है। मेला रोड से महेवागंज जाने वाले मार्ग पर करीब 100 के आसपास दुकाने हैं। अधिकारियों की मानें तो किसी भी बकर कसाब को जानवर काटने का अधिकार नहीं है। काटे जाने के लिए कोई भी लाइसेंस नगर पालिका ने नहीं दिया है। इसके बावजूद लकड़ी के खोखे के पीछे बकरे काटने की परंपरा है।
50 ¨क्वटल मांस की हर रोज है खपत
पूरे शहर में अगर मांस की खपत की बात करें तो मुर्गा और मीट मिलाकर करीब कुल 50 ¨क्वटल मांस की हर रोज खपत है, लेकिन फिर बड़ा सवाल यह है कि जब 25 ही दुकानदारों के लाइसेंस हैं तो इतना गोश्त कहां से आता है और इसकी खपत क से होती है। इसका सीधा सा जवाब है कि रजिस्टर पर भले ही नगरपालिका ने 25 दर्ज किए हैं, लेकिन वास्तविकता में इन दुकानों की संख्या सैकड़ो में है, जिन पर हर रोज तीन से चार बकरे तक काट दिए जाते हैं।
जिम्मेदार की सुनिए
ईओ नगर पालिका अवनींद्र कुमार कहते हैं कि जानवर काटने कि जिम्मेदारी सिर्फ स्लाटर हाउस की होती है, लेकिन शहर में कोई स्लाटर हाउस भी नहीं है। फिर इतने बकरे कट के हर रोज कहां से आते हैं और इतने गोश्त की बिक्री हर रोज कैसे होती है, मात्र 25 दुकानदार तो यह खपत कर सकने में सक्षम नहीं है। इस पूरे मामले की सघन जांच कराई जा रही है।
इस पर करें गौर
मोहम्मदी : नगर पालिका बाबू कुशवाहा ने बताया कि सन् 2015 -16 में 8 लाइसेंस बड़े जानवरों के तथा 12 लाइसेंस बकरे की मीट के थे जो अब मौजूदा समय में नवीनीकरण न होने के कारण निरस्त हो गए हैं तथा अभी तक किसी भी मीट काटने वाले ने लाइसेंस के लिए संपर्क नहीं किया है तथा नगर में इस समय पूर्ण रूप से सभी दुकानें बंद हैं, जबकि पूर्व सरकार में नगर में लगभग 10 से 12 दुकानें बड़े की तथा 20 दुकानें बकरे की चल रही थी।
गोलागोकर्णनाथ : थाना क्षेत्र में बकरे, चिकन के मीट की लगभग 47 दुकानें संचालित हो रहीं है। इसमें पालिका परिषद में केवल 8 दुकानें पंजीकृत हैं। इसमें सब्जी मंडी के अंदर की बाजार के मीट व मछली विक्रेता शामिल हैं। जबकि शहर के मोहम्मदी रोड बाईपास चौराहा, भुसौरिया तिराहा, रेलवे स्टेशन के सामने, विकास चौराहे, सिनेमा रोड पर बकरे व मुर्गे का लगभग प्रतिदिन 10 से 12 ¨क्वटल मांस की बिक्री होती है। इधर सरकार के आदेश के बाद प्रतिबंधित मांस की बिक्री पूरी तरह से शून्य हो चुकी है।
पलिया : पलिया में आठ दुकानों के लाइसेंस हैं। इसके अलावा शेष दुकानें हटा दी गई हैं। फिर भी 18-20 दुकानें चल रही हैं। करीब 15 ¨क्वटल मांस रोज बिकता है।

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