विश्व कविता दिवस पर आर्य महिला पी0जी0 काॅलेज में हुई काव्य गोष्ठी
वीनस दीक्षित
विश्व कविता दिवस के अवसर पर हिन्दी विभाग, आर्य महिला पी0जी0 काॅलेज, चेतगंज, वाराणसी द्वारा महाविद्यालय सभागार में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में आदिवासी जन को प्रखर स्वर देने वाली विख्यात कवयित्री निर्मला पुतुल तथा प्रसिद्ध कवि ज्ञानेन्द्रपति का काव्य पाठ हुआ। काव्य पाठ के पहले निर्मला पुतुल ने अपनी रचना प्रक्रिया के बारे में विद्यार्थियों से संवाद किया। निर्मला पुतुल आदिवासी समाज के हाशियेकरण को झेलने और समझने वाली उन पर तीखे सवाल करने वाली न केवल कवयित्री हैं बल्कि एक कार्यकर्ता के रूप में भी उन्होंने झारखण्ड के संथाली जनजीवन पर काम किया है।
विशेष रूप से संथाली स्त्रियों के बारे में उन्होंने कहा कि आज भी आदिवासी समाज के कानून के विरूद्ध काम करने वाली स्त्रियों को ‘डायन’ करार दिया जाता है। वे हल नहीं छू सकती, छप्पर नहीं डाल सकती। भले कुछ भी नुकसान हो जाये। इससे बढ़कर उन्होंने यह भी कहा कि वन-विभाग और प्रशासनिक लोगों ने आदिवासियों की संस्कृति को नष्ट किया है। उनका राजनीतिकरण किया है। निर्मला जी ने अपनी प्रसिद्ध कविता पढ़ी- ‘बाबा मत ब्याहना मुझे उस देश’ और ‘‘पता है बस्ती की नाक बचाने खातिर तब बैल बनाकर हल में जोता था। जालिमों ने तुम्हें खूंटे में बांधकर खिलाया था भूसा’’
वरिष्ठ कवि ज्ञानेन्द्रपति ने अपनी प्रसिद्ध राजनीतिक कविताओं के साथ स्त्री जीवन के मर्म से सम्बन्धित कविताएं सुनाई। वे ठेठ बनारस के कवि हैं। यहां की राजनीतिक गतिविधियों पर पैनी नज़र रखने वाले कवि है।कार्यक्रम की अध्यक्षता डाॅ0 चन्द्रकान्त मिश्र, स्वागत महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो0 रचना दूबे, धन्यवाद ज्ञापन डाॅ0 सुचिता त्रिपाठी तथा संचालन डाॅ0 वन्दना चैबे ने किया। कार्यक्रम में प्राध्यापकांे, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों और छात्राओं की भारी संख्या में उपस्थिति रही।